शारदीय नवरात्री के अपने अंतिम दिनों में आ गई हैं. जगह-जगह पर भंडारे के साथ-साथ पंडालों का भी आयोजन किया जा रहा है. पंडालों में दुर्गा मां की पूजा के साथ-साथ कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खाने-पीने की स्वादिष्ट डिशेज़ का भी आयोजन किया जाता है. इसीलिए आज हम आपको अलग-अलग राज्यों के पंडाल के बारे में बताएंगे, जिन्हें बहुत ही ख़ूबसूरत रूप दिया गया है.

ये रहे वो पंडाल:

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1. बोसेपुकुर शीतला मंदिर, कोलकाता

बोसपुकुर शीतला मंदिर अपनी अनूठी और असाधारण थीम के लिए जाना जाता है. इनकी थीम आमतौर पर ग्रामीण भारत को दर्शाती है. ये पंडाल दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता में पर्यटकों के आकर्षण में से एक है.

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2. जोधपुर पार्क, कोलकाता

दक्षिण कोलकाता के जोधपुर पार्क का दुर्गा पूजा पंडाल सबसे बड़े दुर्गा पूजा पंडालों में से एक है. इस पंडाल में की जाने वाली रचनात्मकता की तारीफ़ हर जगह की जाती है.

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3. एक्दालिया एवरग्रीन क्लब, कोलकाता

एक्दालिया सदाबहार देश भर के विभिन्न मंदिरों की प्रतिकृतियों के लिए जाना जाता है, जिसके बाद पंडालों का निर्माण किया जाता है. पंडाल की रोशनी और सजावट शहर में मशहूर है. इस पंडाल में आपको कोलकाता की सबसे ऊंची दुर्गा मूर्ति भी देखने को मिलेगी.

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4. सुरूची संघ, कोलकाता

सुरुचि संघ का मुख्य आकर्षण मूर्ति की बाहरी सजावट होती है. इन्होंने 2003 में सर्वश्रेष्ठ सजाए गए पंडाल का पुरस्कार जीता था. हर साल इनकी थीम भारत के एक अलग राज्य पर आधारित होती है.

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5. बॉम्बे दुर्गा बारी समिति, हाजी अली

ये इस शहर के सबसे पुराने पंडालों में से एक है, जो 92वें वर्षों से निरंतर आयोजित किया जा रहा है. पिछले साल की तरह, इस साल भी यहां ‘घोरोआ पूजा’ होगी. भक्त पंडाल के दर्शन ऑनलाइन कर पाएंगे.

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6. कालीबाड़ी मंदिर, नई दिल्ली

दक्षिण दिल्ली काली बाड़ी के रूप में भी जाना जाता है, इस काली बाड़ी को ‘डाकर साज’ में दुर्गा की मूर्ति रखने के लिए जाना जाता है.

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7. बंगा मैत्री संसद, सांताक्रूज़

बंगा मैत्री संसद एक सामाजिक-सांस्कृतिक ट्रस्ट है, जिसे 1947 में स्थापित किया गया था, जो इसे मुंबई के सबसे पुराने पूजाओं में से एक बनाता है, इस वर्ष इसका 74वां आयोजन है.

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8. बालीगंज कल्चरल एसोसिएशन, कोलकाता

बालीगंज कल्चरल एसोसिएशन ने 1951 में अपनी पहली दुर्गा पूजा का आयोजन किया था. इस पूजा का आकर्षण कलात्मक और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम थे.

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9. Badamtala Ashar Sangha, कोलकाता

बादामतला अशर संघ हर साल एक नई थीम के लिए जाना जाता है. पंडाल ने 2010 में रचनात्मक उत्कृष्टता पुरस्कार भी जीता था. ये कोलकाता में सबसे अधिक देखे जाने वाले पंडालों में से एक है.

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10. संतोष मित्रा स्वॉयर, कोलकाता

ये कोलकाता में सबसे लोकप्रिय दुर्गा पूजा पंडालों में से एक है. हर साल यहां अलग थीम रखी जाती है. मूर्ति की उत्कृष्ट बनावट ही आकर्षण का केंद्र है. 

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11. मोहम्मद अली पार्क, कोलकाता

मोहम्मद अली पार्क में दुर्गा पूजा पंडाल और मूर्ति दोनों ही अपने आप में ख़ास हैं. यहां हर साल एक अलग थीम पर पंडाल का आयोजन होता है. पूजा की शुरुआत 1969 में हुई थी.

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12. कुमारतुली पार्क, कोलकाता

कोलकाता के कुमारतुली पार्क में 1995 में दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया गया था. ये जगह इसलिए फ़ेमस है क्योंकि यहां अधिकांश दुर्गा मूर्तियां प्रोफ़ेशनल मूर्ति बनाने वालों द्वारा बनाई जाती है, जो कई पीढ़ियों से इस व्यवसाय में हैं.

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13. बेगबाज़ार, कोलकाता

बेगबाज़ार दुर्गा पूजा पंडाल, कोलकाता का सबसे पुराना दुर्गा पंडाल है. दुर्गा पूजा के दिनों में यहां ख़ूब भीड़ रहती है और इस जगह को यहां की मूर्ति की वजह से भी ज़्यादा जाना जाता है. दुर्गा पूजा के दशमी वाले दिन शादीशुदा महिलाएं सिंदूर खेला करती हैं.

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14. सालुंके विहार, पुणे

आनंदम एसोसिएशन के द्वारा हर साल सालुंके विहार में दुर्गा पूजा पंडाल का आयोजन किया जाता है. हर साल की तरह इस बार भी सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का इंतज़ाम किया गया है.

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15. कांग्रेस भवन, शिवाजी नगर, पुणे

इस पंडाल को पुणे के सबसे पुराने पंडाल के रूप में जाना जाता है. ग्रेटर पूना की बंगिया संस्कृति संसद द्वारा 1940 से लेकर अब तक ‘सरबोजनिन दुर्गोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है. ये इनका 78वां साल है.

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16. चलतबागन, कोलकाता

चलतबागन में दुर्गा पंडाल की इस बार की थीम आदिवेश परिवेश है. इसलिए इसमें मां दुर्गा की मूर्ति से लेकर सब जगह आदिवासी परिवेश को दर्शाया गया है.

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17. लेक टाऊन, कोलकाता

कोलकाता में सॉल्ट लेक सिटी के लेक टाऊन इलाक़े में ये पंडाल 6000 एक्रेलिक शीट्स की मदद से दुबई के बुर्ज ख़लीफ़ा की तर्ज पर बनाया गया है. इस 145 फ़ीट ऊंचे पंडाल को श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब में तैयार किया गया है.

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18. Community Durga Puja Pandal , Kolkata

इस पंडाल में को NRC और CAA के मुद्दे को दर्शाते हुए बनाया गया है, जिसमें एक औरत बच्चों के साथ दुर्गा मां की मूर्ति लेकर डिटेंशन कैम्प में बैठी है.

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