बॉलीवुड में हर साल सैकड़ों फ़िल्में बनती हैं लेकिन उससे कई ज़्यादा प्लान होती हैं, शूटिंग के लिए तैयार भी हो जाती हैं, लेकिन कुछ ऐसा होता है कि ये फ़िल्में बड़े परदे तक नहीं पहुंच पाती हैं. इनमें छुपी हैं वो परफॉरमेंस जो कभी कोई नहीं देख पायेगा, वो एक्टर जो शायद इन फ़िल्मों की वजह से स्टार्स बन जाते और वो नग़मे जो कानों तक पहुंचने से पहले ही शांत हो गए. नज़र डालते हैं ऐसी कुछ फ़िल्मों पर.
1. लव एंड गॉड (1962)
मुग़ल-ऐ-आज़म के बाद के.आसिफ़ ने लैला-मजनू की कहानी पर ये फ़िल्म बनाई थी. लेकिन गुरु दत्त की मृत्यु के बाद इस फ़िल्म को संजीव कुमार के साथ फिर से शूट किया गया. दुर्भाग्यवश 1971 में आसिफ़ के इंतेक़ाल के बाद 1985 में इस फ़िल्म को के.सी. बोकाडिया और उनकी पत्नी से रिलीज़ किया.
2. आलीशान (1988)
इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन अभिनेता थे, लेकिन सिर्फ़ एक हफ़्ते की शूटिंग के बाद, अमिताभ और जावेद अख़्तर ने ‘मैं आज़ाद हूं’ करने का फैसला लिया और ये फ़िल्म अधूरी ही रह गयी.
3. यार मेरी ज़िंदगी (1971)
ये शायद भारतीय इतिहास की सबसे विलंबित फ़िल्म होगी जो अमिताभ बच्चन के ‘एंग्री यंग मैन’ चरण के पहले बनना शुरू हुई थी और 35 साल बाद पूरी हुई! उसके बाद भी ये फ़िल्म आज तक रिलीज़ नहीं हुई है. मुकुल दत्त द्वारा निर्देशित इस मूवी में शत्रुघ्न सिन्हा भी थे.
4. अपना पराया (1972)
इस समय न ही अमिताभ बच्चन स्टार थे, न ही रेखा उमराओ जान. 2 नए कलाकारों के साथ ये फ़िल्म बनाने में ज़्यादा लोग इच्छुक नहीं थे, इसलिए कुछ सीन्स के अलावा ये फ़िल्म कभी आगे नहीं बढ़ पायी.
5. देवा (1987)
दिग्गज निर्देशक, सुभाष घई और एंग्री यंग मैन, अमिताभ बच्चन इस फ़िल्म के लिए साथ में आये थे, लेकिन एक हफ़्ते की शूटिंग के बाद ही, दोनों के बीच कहा-सुनी हो गयी और अहंकार की वजह से घई ने इस फिल्म की शूटिंग बंद कर दी. सुभाष घई ने प्रण लिया कि वो ये फ़िल्म कभी, किसी के साथ नहीं बनाएंगे.
6. ग़ज़ब (1978)
मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में बॉलीवुड के कई बड़े नाम थे, लेकिन इतनी बड़ी फ़िल्म के लिए कोई पैसा लगाने वाला नहीं मिला, जिस वजह से ये फ़िल्म कभी रिलीज़ ही नहीं हो पायी.
7. करिश्मा (1978)
प्राण के बेटे इस फ़िल्म के निर्देशक थे, लेकिन इसे कभी जनता की वाहवाही लूटने का मौका ही नहीं मिला. कुछ लोग मानते हैं कि ‘करिश्मा’ नाम बॉलीवुड के लिए अशुभ है. शायद इसलिए ‘Karishma Kapoor’ ने बाद में अपने नाम से ‘H’ हटवा दिया था.
8. शिवा (1978)
70 के दशक में शायद बिछड़े भाइयों की कहानी ट्रेंड में थी. इसीलिए इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन अपने चर-परिचित स्टाइल में एंग्री यंग मैन का किरदार निभा रहे थे और रोमेश शर्मा उनके शांत भाई का. ये फ़िल्म कभी रिलीज़ नहीं हो पायी.
9. सरफ़रोश (1979)
70 के दशक की सबसे सफ़ल जोड़ी मनमोहन देसाई और अमिताभ बच्चन एक बार फिर साथ आये थे. इस फ़िल्म में अमिताभ अपराधी का किरदार निभा रहे थे और उनका साथ दे रहे थे ऋषि कपूर, कादर खान, शक्ति कपूर और परवीन बाबी.
10. टाइगर (1980)
2 भाइयों की असल ज़िन्दगी में आपसी रंजिश के कारण ये फ़िल्म कभी बड़े परदे तक नहीं पहुंच पायी.
11. ख़बरदार (1984)
इच्छामृत्यु पर आधारित इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन डॉक्टर का किरदार निभा रहे थे और कमल हासन मरीज़ का. 16 रील शूट करने के बाद निर्माताओं ने इस फ़िल्म की शूटिंग इसलिए बंद कर दी क्योंकि उन्हें कॉन्ट्रोवर्सी होने का डर था.
12. ज़मीन (1988)
रमेश सिप्पी की इस बड़े बजट की फ़िल्म में विनोद खन्ना, संजय दत्त, माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी अभिनय कर रहे थे. फ़िल्म सिटी में करोड़ों रुपये से बने सेट पर आधी शूटिंग के बाद निर्माता ने हाथ खड़े कर दिए क्योंकि उनके पास फ़िल्म को ख़त्म करने के पैसे ही नहीं बचे थे.
13. शिनाख़्त (1988)
ख़ुफ़िया जासूस, अमिताभ बच्चन की एक मिशन के दौरान याददाश्त चली जाती है और कॉलेज में पढ़ने वाली, माधुरी दीक्षित उसे ढूंढ लेती है. टीनू आनंद ने इस फ़िल्म को आगे इसलिए नहीं बनाया क्योंकि इस फ़िल्म की कहानी गंगा, जमुना, सरस्वती से बहुत मिलती थी.
14. ख़ुदा गवाह (1978)
अमिताभ बच्चन इस फ़िल्म में काऊबॉय का रोल निभाने जा रहे थे! फ़िल्म की शूटिंग तो ज़्यादा दिनों नहीं चली लेकिन निर्माता ने यही टाइटल अमिताभ की 1992 की फ़िल्म ख़ुदा गवाह में उपयोग कर लिया.
15. ज़ूनी (1989)
मुज़फ्फर अली डिंपल कपाड़िया और विनोद खन्ना के साथ ये ऐतिहासिक फ़िल्म बनाने वाले थे जिसमें डिंपल एक कश्मीरी देहाती लड़की का किरदार अदा कर रही थीं और विनोद खन्ना सुल्तान यूसुफ़ शाह का.
16. बंधुआ (1989)
जे.पी. दत्ता की पहली फ़िल्म अमिताभ बच्चन के साथ थी जो कि कभी रिलीज़ का चेहरा नहीं देख पायी. इसमें वहीदा रेहमान और पूजा बेदी भी अभिनय कर रही थीं.
17. टाइम मशीन (1992)
अंग्रेज़ी फ़िल्म ‘Back To The Future’ से प्रेरित इस फ़िल्म में आमिर खान, रवीना टंडन और नसीरुद्दीन शाह लीड रोल में थे. लेकिन 3/4 फ़िल्म शूट होने के बाद निर्देशक शेखर कपूर का हॉलीवुड से बुलावा आ गया.
18. कलिंगा (1991)
दिलीप कुमार ने इस फ़िल्म से अपना निर्देशक बनने का सपना पूरा करने की कोशिश की थी, लेकिन ये सपना, सपना ही रह गया क्योंकि 2 साल बाद भी फ़िल्म ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी. फ़िल्म निर्माता, सुधाकर बोकाडे को समझ आ गया कि महान दिलीप साहब के साथ ये फ़िल्म पूरी करने में बहुत समय लगेगा.
19. लंदन (1997)
फ़िल्म के निर्माता, सनी देओल और हॉलीवुड की निर्देशक, गुरिंदर चड्ढा के बीच क्रिएटिव मतभेदों के कारण ये फ़िल्म नहीं बन पायी. बाद में सनी ने फ़िल्म का नाम बदल कर ‘दिल्लगी’ कर दिया. उस फ़िल्म का क्या हश्र हुआ, ये आप सब जानते हैं.
20. सरहद (1976)
जे.पी. दत्ता की युद्ध बंधियों पर पहली फ़िल्म में विनोद खन्ना थे जो कि आधी शूट होने के बाद बंद हो गयी क्योंकि निर्माताओं के पास और पैसे नहीं थे. 9 साल बाद दत्ता ने ग़ुलामी बनाई.
21. चोर मंडली (1983)
राज कपूर की इस आखरी फ़िल्म में उनके साथ दादा मुनि, अशोक कुमार भी थे. ये फ़िल्म पूरी शूट और डब भी हो गयी थी, लेकिन एक विवाद के कारण कभी रिलीज़ नहीं हो पायी. इसमें किशोर कुमार, मुकेश और मोहम्मद रफ़ी की सदाबहार तिकड़ी ने गाने भी गाये थे.
22. पांच (2001)
अनुराग कश्यप की पहली फिल्म ‘पांच’ की हिंसा सेंसर बोर्ड को पची नहीं, लेकिन अनुराग कहां मानने वाले थे! वो भी अड़ गए और तब तक निर्माताओं का फ़िल्म पर से विश्वास उठ गया.
23. लेडीज़ ओनली (1998)
हॉलीवुड की फ़िल्म ‘नाइन टू फाइव’ पर आधारित इस फ़िल्म में रणधीर कपूर एक ठरकी बॉस की भूमिका निभा रहे थे जिन्हें उनकी महिला कर्मचारी मारने की योजना बनाती हैं. ये फ़िल्म शूट तो हो गयी थी, लेकिन निर्माता कमल हासन को अच्छा फाइनैंसर नहीं मिला.
24. इंडियन (1997)
सनी देओल इस फ़िल्म में आतंकवादी और आर्मी अफ़सर का डबल रोल निभा रहे थे. निर्माता पहलाज निहलानी ने 4.5 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे जिसमें से 1.75 करोड़ सिर्फ़ एक गाने को फ़िल्माने में लग गए थे. सनी देओल के साथ इस फ़िल्म में ऐश्वर्या राय भी थीं.
25. देओधर गांधी (1998)
घायल के बाद गुस्सैल सनी देओल की ये अगली फ़िल्म होने वाली थी जिसका निर्देशन गुड्डू धनोआ करने वाले थे. इस फ़िल्म में सनी के साथ प्रियंका चोपड़ा थीं.
26. मुंबई सेंट्रल (2004)
कैज़ाद गुस्ताद की इस फ़िल्म पर उस समय ब्रेक लग गया जब उनकी असिस्टेंट डायरेक्टर नादिया खान की मुंबई लोकल के नीचे आ कर मृत्यु हो गयी थी. गुस्ताद को मामला छुपाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया था.
27. जाना न दिल से दूर (2001)
देव आनंद इस फ़िल्म के लिए लेखक बन गए थे और अपने भाई विजय आनंद के साथ फ़िल्म को बनाने वाले थे, लेकिन विजय की मृत्यु के बाद ये फ़िल्म नहीं बन पायी.
28. दस (1996)
संजय दत्त और सलमान खान को लेकर मुकुल आनंद ये बड़े बजट की फ़िल्म बनाने वाले थे. इसमें संजय और सलमान भारतीय एजेंट का रोल कर रहे थे, लेकिन मुकुल आनंद की असामयिक मृत्यु के बाद ये फ़िल्म ठंडे बस्ते में चली गयी जिसका निर्देशन 2005 में अनुभव सिन्हा ने किया था.
29. Let’s Catch Veerappan (2005)
राम गोपाल वर्मा की इस ब्लैक कॉमेडी फ़िल्म में 3 गांववाले वीरप्पन की खबर देने का इनाम लेना चाहते हैं, लेकिन किसी तरह वो कई पुलिस अफ़सरों की मौत के जुर्म में फंस जाते हैं. इस फ़िल्म की शूटिंग के पहले दिन ही वीरप्पन असलियत में मारा गया था, इसलिए राम गोपाल वर्मा ने इस फ़िल्म को भी ख़त्म कर दिया.