इन दिनों सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) की वेब सीरीज़ दहाड़ (Dahaad) चर्चा का विषय बनी हुई है. Amazon Prime Video की ये वेब सीरीज़ इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि इसकी कहानी रियल लाइफ़ स्टोरी पर बेस्ड है. फ़िल्म में कर्नाटक के सीरियल किलर सायनाइड मोहन (Cyanide Mohan) की कहानी दिखाई गई है. आज हम बात कर्नाटक के इसी ख़ूंखार सीरियल किलर की करने जा रहे हैं, जिसने साल 2003 से 2006 के बीच 20 से अधिक लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया था. इन 6 सालों में उसने अलग अंदाज़ से वारदातों को अंजाम देकर कर्नाटक में दहशत फ़ैला दी थी.

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सायनाइड मोहन! कर्नाटक में आज भी ये नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप उठती है. इस सीरियल किलर का असली नाम मोहन कुमार था. लेकिन हत्याओं के लिए सायनाइड का इस्तेमाल करने की वजह से उसे सायनाइड मोहन नाम दिया गया था. साल 2009 में जब ये पकड़ा गया तो उसने अपने ख़ुलासों से सभी को हैरान कर दिया था.

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बात साल 2009 की है. कर्नाटक के बंतवाल तालुके के बारीमार गांव से अनीता नाम की एक लड़की गायब हो गई थी. इलाक़े में अफ़वाह उड़ी कि वो किसी मुस्लिम लड़के के साथ भाग गई है. लेकिन जब 2 दिन बाद भी अनीता कहीं नहीं मिली तो परिजनों और ग्रामीणों ने मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए हंगामा शुरू कर दिया.

पुलिस पर मामले का दबाव बढ़ा तो जांच शुरू हुई और कुछ दिन बाद अनीता का शव गांव से क़रीब 150 किलोमीटर दूर हसन शहर के बस स्टैंड में मिला. पुलिस पर पहले से ही लड़की के गायब होने और अब मर्डर मिस्ट्री सुलझाने का दबाव बढ़ता जा रहा था. ऐसे में पुलिस को आनन फ़ानन में एक टीम बनानी पड़ी.

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पुलिस ने इसके बाद अनीता के फ़ोन की कॉल डिटेल खंगालनी शुरू की तो अनीता की किसी कावेरी नाम की लड़की से सबसे ज़्यादा बातचीत की बात सामने आई. इस दौरान जब पुलिस कावेरी के घर पहुंची तो पता चला कि कावेरी भी कई दिनों से लापता थी. इसके बाद कावेरी की कॉल डिटेल में विनुथा का नाम सामने आया. पुलिस को पता चला की विनुथा भी गायब और उसकी कॉल डिटेल में किसी पुष्पा नाम की लड़की का नंबर मिला. इस कड़ी को जोड़ने में पुलिस के होश ढीले हो गए.

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पुलिस ने इसके बाद इन सभी कड़ियों को जोड़ना शुरू किया. इस दौरान उसे बंद पड़े सभी नंबरों में से एक चालू नंबर मिला. पुलिस ने जब इस नंबर पर बात की तो पता चला कि कोई धनुष नाम का लड़का इसे चला रहा है. इस दौरान लड़के ने पुलिस को बताया कि ये फ़ोन उसे उसके चाचा मोहन ने दिया है. इसके बाद पुलिस ने मोहन को गिरफ़्तार कर लिया. पुलिस को पहले लग रहा था मोहन किसी सेक्स रैकेट गिरोह में काम होगा, लेकिन जब उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पुलिस के होश उड़ गये.

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कैसे बना मोहन कुमार से सायनाइड मोहन

पुलिस पूछताछ में मोहन ने बताया कि, साल 2003 से 2006 के लापता हुई 20 लड़कियों को उसी ने मौत के घाट उतारा था. वो सिर्फ़ उन्हीं लड़कियों को जाल में फंसाता था जो या तो आर्थिक रूप से कमज़ोर होती थीं. फिर ग़रीब परिवारों की लड़कियों से बिना दहेज शादी करने के लिए मोहन उनके परिजनों को राजी कराता था. इसके बाद वो लड़कियों से कहता कि उनके पास जितने भी पैसे व गहने हैं उन्हें लेकर उसके आ जाए और ताकि वो गांव से बाहर चलकर शादी कर सकें.

मोहन इसके बाद लड़कियों को बस से उनके शहर से दूर लेकर जाता था. इस दौरान किसी होटल में फर्जी पहचान पत्र पर ठहरता और लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाता था. दूसरे दिन सुबह बस स्टैंड के शौचालय के बाहर लड़कियों को गर्भनिरोधक गोली खाने के लिए मना लेता था, लेकिन असल में ये गर्भनिरोधक गोलियां नहीं, बल्कि सायनाइड की गोलियां होती थीं. लड़की जैसे ही शौचालय के अंदर गोली खाने जाती मोहन गहने और पैसे लेकर रफूचक्कर हो जाता था.

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पुलिस पूछताछ में मोहन ने बताया कि साल 2003 से लेकर 2009 के बीच उसने दक्षिण कर्नाटक के छह शहरों के अलग-अलग बस स्टैंड के पास बने टॉयलेट में 20 महिलाओं को मौत के घाट उतारा था. इस दौरान वो जिस जाति की लड़की से दोस्ती बढ़ाता ख़ुद को भी उसी समुदाय का बताता था. इससे लड़कियां उसके झांसे में जल्दी आ जाती थी. मोहन कुमार उर्फ़ सायनाइड मोहन की पहले से ही 3 पत्नियां थीं.

सायनाइड मोहन पर हत्या के अलावा बैंक ऋण धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप भी थे. वो सन 1980 से 2003 तक कर्नाटक के बारीमार गांव के प्राथमिक विद्यालय में फ़िजिकल एज्युकेशन टीचर भी रहा. आख़िरकार दिसंबर 2013 में सायनाइड मोहन को मौत की सजा सुना दी गई थी.

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