आजकल हर तरफ़ एक ही ऑनलाइन गेम सुर्ख़ियों में है. लेकिन ग़लत वजह से. ये गेम है Blue Whale. इसकी चर्चा अभी भारत में ज़्यादा है क्योँकि ऐसा माना जा रहा है कि मुंबई में एक टीनएजर ने इसके प्रभाव में आ कर आत्महत्या कर ली. ये बहुत ही दुखद घटना है क्योंकि ये सिर्फ़ यहीं नहीं, बल्कि विश्व भर से सुनाई दे रही है.

क्या है ये Blue Whale?

ये असल में गेम नहीं, एक चैलेंज है, और इसमें हिस्सा लेने के लिए Curator खुद पार्टिसिपेंट तक पहुंचता है.

शायद आपको नहीं पता होगा, कि Blue Whale Beaching क्या है. ये एक फिनोमेना है, जो 300 B.C.से चला आ रहा है. इसमें  Blue Whales अपने आप ही किनारे आ कर जान दे देती हैं. यानि कि Suicide! इसके अनगिनत कारण हो सकते हैं. लेकिन शायद यही वजह है, कि एक सरफिरे साइकोलोजी स्टूडेंट Philipp Budeikin, ने इस भयानक खेल को ये नाम दिया, और ये माना कि ये ख़तरनाक खेल उसके दिमाग की उपज है. ये भी बताया जाता है कि इसका Mastermind रूस का एक पोस्टमैन Ilya Sidorov था, जो पुलिस की गिरफ़्त में है. इस गेम से रूस में 130 जानें जा चुकी हैं, जिसमें पहला केस 2013 का बताया गया है. इसकी शुरुआत VKontakte नाम की सोशल नेटवर्किंग साइट से हुई थी.

हैरत की बात ये है कि इतना ख़तरनाक होने के बावजूद, इस पर सही वक़्त पर रोक नहीं लगाई गई, और अब ये विश्व में चारों तरफ़ फैल चुका है और मासूम बच्चों को ब्लैकमेल कर के उनकी जानें ले रहा है.

इस वेबसाइट पर जा कर #bluewhale सर्च करने पर ढेरों दिल दहलाने वाले मेसेजेस और फोटोज़ दिख जायेंगी, और ये भी पता लगेगा कि कितने लोग इसका शिकार हैं और बनते जा रहे हैं. Philipp Budeikin के मुताबिक, इन सभी लोगों को जीने का कोई अधिकार नहीं, क्योंकि ये ‘Biological Waste’ हैं. कोई ऐसा सोच भी कैसे सकता है? एक पागल और प्रवत्ति से ख़तरनाक़ ख़ूनी ही शायद ऐसा सोच और कर सकता है.

इसमें 50 Tasks दिए जाते हैं, जिनकी शुरुआत आसान सी होती है, जैसे, अपनी फोटोज़ खींच कर शेयर करना, आदि. लेकिन धीरे धीरे, ये पार्टिसिपेंट पर हावी होने लगता है. Self Harm करने को कहता है, जैसे ब्लेड से हाथ काटना, जानवर को मारना, रातों में जागना. इसके चंगुल में मासूम लोग फंसते जाते हैं और ब्लैकमेल होते जाते हैं, क्योंकि ये उनका पर्सनल डाटा हैक कर लेता है और अनइंस्टाल नहीं होता. इसका आखिरी टास्क है Suicide. जो मना करने से यूजर के परिवार को मार डालने की धमकियां मिलती हैं और लोग उस बात को मान कर अपनी जान ले लेते हैं.

डॉक्टर पुलकित शर्मा का कहना है, कि ”ऐसे गेम्स पर पाबंदी लगनी चाहिए, क्योंकि इनका असर डिप्रेस्ड लोगों पर जल्दी होता है. अगर कोई डिप्रेशन में है, और उसे बोला जाये, कि सबकुछ ठीक हो जायेगा, तो उसके लिए ये बात मानना नामुमकिन सा होता है. लेकिन अगर उसे ये बोला जाये, कि उसको अपने दुखों से निजात मिल सकती है, जान दे कर, तो वो उस तरफ़ ज़रूर नज़र डालेगा. ये उसके लिए आसान और लॉजिकल है. इस गेम को चलाने वाले इसी बात का फ़ायदा उठा रहे हैं. उनको लगता है कि वो दुनिया से, सबसे ऊपर हैं, तब ही वो दुनिया को साफ़ कर रहे हैं, डिप्रेस्ड और सुसाइडल लोगों से. जबकि ऐसी प्रवत्ति रखने वाले खुद दिमाग से बीमार और बचपन में किसी तरह के एब्यूज या ट्रॉमा का शिकार, हो सकते हैं.”

सोचने वाली बात ये है, कि जब हम में लोगों पर प्रभाव डालने की इतनी भारी क्षमता है, तो बुराई की तरफ़, मौत की तरफ़ क्यों है? अच्छाई की तरफ़ क्यों नहीं? क्यों नहीं, हम ऐसे गेम्स बनाते, जो लोगों को बिल्डिंग से धकेलें नहीं, बल्कि जीने की राह दिखाएं, अच्छे कामों को प्रोत्साहन दें, अच्छी बातें करना सिखाएं?

अगर ये 50 Tasks एक ‘Peace in the World’ या ‘Live and Lead A Good Life’ या ‘Niceness Meter’ गेम या चैलेंज का हिस्सा हों, तो शायद बच्चे जीना सीखें, डिप्रेशन से बाहर निकलें, अपने और अपने परिवार के बारे में सोचें और ख़ुशी से रहें.

इसीलिए हम चाहते हैं, और हमारी कोशिश है, कि इस Blue Whale Challenge से आप और आपका परिवार दूर रहें.

नीचे दिए गए Challenge के Instructions फॉरवर्ड कीजिये और Blue Whale को Boycott कीजिये!

चैलेंज ही देना है तो ये दीजिये! Share कीजिये! 

Designs: Lakshya and Sanil Modi