देवों के देव महादेव नामक सीरियल में सभी देखने वालों ने एक मंत्र के जाप को बार-बार सुना होगा. यह मंत्र है…

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्,

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि.

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इस मंत्र की महिमा अपने आप में काफ़ी अद्भुत है. महादेव को भोलेनाथ ऐसे ही नहीं कहा जाता है, इसके पीछे उनकी सादगी और भोलापन सबसे अहम वजह है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी तरह के बड़े कर्मकांड की ज़रुरत नहीं होती है. शिव तो एक लोटा शीतल जल, बिल्व पत्र और मंत्र जाप से ही ख़ुश हो जाते हैं.

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किसी भी मंत्र का जाप देवता विशेष को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. शिव के इस मंत्र का जाप भी इसी लिए किया जाता है. भगवान शिव को सनातन धर्म में सभी का अग्रज माना जाता है. मंदिर हो या घर या कोई भी सार्वजनिक स्थान कहीं भी प्रभु को याद करते हुए ‘कर्पूरगौरं’ का जाप करके मन में शीतलता उत्पन्न की जा सकती है.

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अधिकांशत: इस मंत्र का जाप पूजा सम्पन्न हो जाने के बाद किया जाता है. इस मंत्र की महिमा जानने से पहले इसका आशय जानना भी काफ़ी महत्त्वपूर्ण है.

मंत्र और उसका आशय…

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्,

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि.

जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा और दयालुता के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों (सांपों) का हार पहनने वाले हैं, वे प्रभु शिव, माता पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करें और मुझे आशीर्वाद देते रहें.

पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करने की वजह

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सनातन धर्म में किसी भी पूजा को आरम्भ करने से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है. उसी तरह से किसी भी तरह की आरती के बाद ‘कर्पूरगौरम्’ का जाप करने का महत्त्व है. महादेव की इस स्तुति को शिव-पार्वती विवाह के समय भगवान विष्णु ने सर्वप्रथम गाया था.

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इस स्तुति में भगवान शिव के महान दिव्य रूप के बारे में बताया गया है. इसका जाप करने से पूजा सफ़ल होती है और जातक को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. शिव की स्तुति करने के लिए बस मन का शांत भाव में होना ज़रुरी है, उन्हें किसी भी तरह के आडम्बर की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए वो देवता और असुरों दोनों द्वारा पूजे जाते हैं. शांत भाव से कहीं भी, किसी भी समय भोलेनाथ का स्मरण किया जा सकता है.

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