साल का वो मौसम फिर से आ गया. वो मौसम, जो कुछ लोगों के लिए मज़ा, तो कुछ लोगों के लिए सज़ा है. पर मौसम मज़ा है या सज़ा, ये बड़ी चिंता है. बच्चों के लिए तो हर मौसम में मौज और मस्ती ही होती है. बारिश का मौसम यानि की प्रकृति का अलग सौंदर्य, चाय-पकौड़े, बारिश में डांस करते हुए.

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भीगना या फिर घंटों खिड़की के पास बैठे हुए बाहर देखना.

बड़े होने के बाद वो बारिश के दिन बहुत याद आते हैं. क्योंकि अब हम पहले की तरह बेफ़िक्र होकर वो सब नहीं कर सकते, जो बचपन में करते थे.

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चलिए यादों की गलियों से होते हुए बचपन वाले मोड में और याद कर लीजिए बचपन के बारिश के मौसम को:

1. कागज़ की नाव

बारिश के मौसम में हम मोहल्ले के बच्चे रंग-बिरंगे कागज़ों से नाव बनाते थे और पानी भरे गड्ढों में उन्हें चलाते थे. हम अपनी नाव को तेज़ चलने के लिए Motivate भी करते थे. एक गाना भी बनाया था, कुछ लाइनें याद हैं- नाव चली, नाव चली. देखो मेरी नाव चली… ऐसा कुछ

2. जान-बूझकर रेनकोट या छाता न ले जाना

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बारिश के मौसम में हम कई बार जान-बूझकर छाता/रेनकोट घर पर छोड़ देते थे. ताकि लौटते वक़्त बारिश में भीग सकें. इस हरकत के लिए मम्मी से मार भी खाई है.

3. पानी भरे गड्ढों में कूदना और कपड़े गंदे करना

बचपन में कई बार पानी भरे गड्ढों में बग़ैर सोचे-समझे कूद जाते थे. अब बड़े होने पर एहसास होता है कि मां कितनी मेहनत करती थी, गंदे कपड़े धोने और सुखाने में.

4. चादर तान के सोना

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बारिश के मौसम में चादर ओढ़ कर सोने में भी मज़ा आता था. बारिश की आवाज़ सुनकर और हल्की-हल्की ठंड महसूस करते हुए सोना किसे अच्छा नहीं लगेगा?

5. कार्टून वाला रेनकोट और रंग-बिरंगे छाते

इस्तेमाल भले न हों, पर कार्टून प्रिंट वाले रेनकोट तो मां-पापा से ख़रीदवाना ज़रूरी था. कितनी बार तो रेन कोट गुम भी हो जाते थे, लेकिन बचपन में यही स्टाइल स्टेटमेंट होता था!

6. बारिश में डांस

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बारिश में भीगते-भीगते डांस करना किसी भी वीडियो गेम से ज़्यादा मज़ेदार लगता था. कई बार पैर भी फ़िसल जाता था, लेकिन फिर उठकर दोगुने जोश के साथ डांस करते थे.

7. कबड्डी या फ़ुटबॉल

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बारिश होने पर कुछ बच्चे घरों में दुबक जाते थे और कुछ खेलने निकल जाते थे. और बारिश में हरे-हरे मैदान में कबड्डी या फ़ुटबॉल से बेहतर क्या होगा?

8. गर्मा-गर्म प्याज़ और आलू के पकौड़े

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बारिश के मौसम में मां प्याज़ और आलू के पकौड़े बनाती थी और साथ में होती थी धनिए की चटनी.

बचपन ही अच्छा था. जब मन होता, तब बारिश में जाकर भीग तो सकते थे. अब तो भीगने से एक ख़्याल रोक देता है, ऑफ़िस का लैपटॉप ख़राब हो गया तो?

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