बारहवीं के परिणाम आ चुके हैं, अब भागमभाग शुरू होगी कॉलेज में एडमिशन लेने की. कॉलेज ऐसी जगह होती है, जिसका इंतज़ार बच्चों को लंबे समय से रहता है. कब स्कूल ख़त्म हो और कॉलेज पहुंचे!  

कॉलेज शुरू होने में एक दो महीने का वक़्त लगेगा, इस बीच क्या करेंगे? ऐसा कीजिए बॉलीवुड की इन फ़िल्मों को कॉलेज का सलेबस समझ कर देख जाइए. इस लिस्ट में सब टॉपिक कवर किए हैं, प्यार, दोस्ती, राजनीति, कॉम्पटीशन और मस्ती की पाठशाला भी.  

1. जो जीता वही सिकंदर (1992)

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कॉलेज लाइफ़ पर पूरी तरह से केंद्रित बॉलीवुड की पहली फ़िल्म जो दिमाग में आती है, वो यही है. आमिर ख़ान की साइकल रेस, दो स्कूलों की आपसी लड़ाई, एक सस्ता स्कूल एक मंहगा स्कूल. ‘जो जीता वही सिकंदर’, आमिर ख़ान की शुरुआती फ़िल्मों में से है. ये 1992 में रिलीज़ हुई थी. इसके निर्देश्क और लेखक मंसूर खान थे, इसने दो फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड्स भी जीते थे. बाद कई भाषाओं में इसका रीमेक बना.  

2. 3 Idiots (2009)

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इंजीनयरिंग कर रहे हर छात्र ने शायद अपना स्लेबस न देखा हो लेकिन आमिर ख़ान की 3 Idiots ज़रूर देखी होगी. ‘बागबान’ दिखा कर मां-बाप ने बच्चों को टॉर्चर किया, तो 3 Idiots के ज़रिए बच्चों को एक मौका मिला और उन्होंने अपने मां-बाप को साथ में बैठा कर ये फ़िल्म दिखाई.  

इसका निर्देशन राजकुमार हिरानी ने किया और ये आज भी बॉलीवुड की सबसे सफ़ल फ़िल्मों में गिनी जाती है.  

3. 2 स्टेट्स (2014)

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मशहूर लेखक चेतन भगत की किताब ‘2 स्टेट्स’ पर आधारित ये फ़िल्म दो IIM के छात्रों की कहानी है, जिन्हें आपस में प्यार हो जाता है. लड़के का परिवार पंजाबी और लड़की तमिल ब्राह्म्ण परिवार से, यही होती है झगड़े की मूल वजह, जिसके इर्द-गिर्द कहानी बुनी गई है.  

फ़िल्म के निर्देश्क अभिषेक वर्मन को 2 States के लिए डेब्यु निर्देशक फ़िल्म फ़ेयर का अवॉर्ड मिला था, फिल्म ने कुल 3 फ़िल्म फ़ेयर कमाए थे.  

4. वेक अप सिड (2009)

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एक अमीर बाप का बेटा, बुरा छात्र और महत्वकांक्षा हीन लड़का. कॉलेज में बस पास होने के बाद सिड पिता का बिज़नेस से नहीं जुड़ता क्योंकि वो बोरिंग है. घर छोड़ कर जाने के बाद उसे मालूम पड़ता है कि आम इंसान पैसे कैसे कमाता है और जीने के संघर्ष में कितना मज़ा है.   

इस फ़िल्म को 3 फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड्स मिले थे, फ़िल्म आलोचकों को ये काफ़ी पसंद आई थी.  

5. रंग दे बसंती (2006)

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रंग दे बसंती नए ज़माने की देशभक्ति वाली फ़िल्म थी. फ़िल्म के निर्देश्क राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने फ़िल्म के लिए 7 साल शोध किया था. यही कहा जाएगा कि फ़िल्म पर किया गया ये इन्वेस्टमेंट सफ़ल रहा. देश के साथ-साथ विदेशों में भी इसकी ख़ूब तारीफ़ हुई थी. फ़िल्म के साथ कई विवाद जुड़ गए थे, जिसने इसकी पब्लिसिटी में योगदान दिया.  

6. हासिल (2003)

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कॉलेज में सिर्फ़ पढ़ाई, दोस्ती और प्यार ही नहीं होता, राजनीति भी कॉलेज जीवन का एक अहम भाग है. हासिल ने कॉलेज की राजनीति को क़रीब से दिखाया है. जिसमें प्यार भी है, वर्चस्व की लड़ाई भी और जातीय संघर्ष भी.  

ये निर्देश्क तिग्मांशु धूलिया की पहली फ़िल्म थी और इसके लिए इरफ़ान ख़ान को फ़िल्म फ़ेयर Best Actor in Negative Role का अवॉर्ड भी मिला.  

7. Dil Dosti Etc. (2007)

Hamara Photos

दो दोस्ती की कहानी, जो अलग किस्म के सोच और दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं. एक साधन संपन्न है, तो दूसरे ने संघर्ष किया है. एक को रिश्तों की कद्र है, तो दूसरा इन्हें बंदिश मानता है. फिर आती है दोनों दोस्तों के बीच एक ‘शर्त’.  

फि़ल्म को प्रकाश झा ने प्रोड्यूस किया है और इसके निर्देशक मनीष तिवारी है. फ़िल्म की कमाई ठीक-ठाक हुई और आलोचकों ने भी सराहा.  

8. गुलाल (2009)

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छात्र राजनीति के ऊपर केंद्रित एक बेहतरीन फ़िल्म. इसके संवाद और संगीत को ख़ासा पसंद किया गया था. ‘आरंभ है प्रचंड’ आज भी लोगों को ज़ुबानी याद है. 2009 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट स्टोरी’ के लिए नॉमिनेट हुई थी.  

9. मैं हूं ना (2004)

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मेजर राम एक मिशन के तहत कॉलेज में एडमिशन लेते हैं, जहां उनकी मुलाक़ात अपने सौतले भाई से होती है और फिर ढेर सारा फ़िल्मी ड्रामा होता है. कहानी पारिवारिक है किंतु इसके प्लॉट को कॉलेज लाइफ़ के ऊपर ही तैयार किया गया है.  

मुख्य अभिनेता शाहरुख ख़ान हैं, फ़राह खान इसकी निर्देश्क और लेखिका हैं. ये साल 2004 की दूसरी सबसे सफ़ल फ़िल्म थी.  

10. Student Of The Year (2012)

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वैसे तो फ़िल्म बेस्ड है कॉलेज लाइफ़ के ऊपर लेकिन ऐसे कॉलेज कम से कम भारत में तो नहीं पाए जाते, इस फ़िल्म को आप बस मनोरंजन के उद्देश्य से देख सकते हैं, जिसके केंद्र में एक प्रतियोगिता और तीन दोस्त हैं.  

इसका निर्देशन करन जोहर ने किया है और ये आलिया भट्ट, वरुण धवन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की पहली फ़िल्म थी.