फ़िल्में बनाना आसान काम नहीं है. एक-एक सीन को परफ़ेक्टली शूट करने के लिए एक्टर्स से लेकर डायरेक्टर्स तक सभी को काफ़ी मेहनत करनी होती है. तब जाकर कोई फ़िल्म हमेशा के लिए यादगार बन पाती है. ऐसी ही कुछ फ़िल्मों के बेस्ट शॉट्स को फ़िल्माने की कहानी आज हम आपको बताएंगे. इन्हें जानने के बाद आपको भी ये एहसास हो जाएगा कि फ़िल्में बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं.

1. अंधाधुन 

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अंधाधुन के लिए एक्टर आयुष्मान ख़ुराना ने काफ़ी मेहनत की थी. उन्होंने ब्लाइंड मैन के रोल के लिए ख़ास तरह के लेंस पहने थे. पियानो बजाना भी सीखा. वो अपने रोल में इस कदर ढल गए थे कि पुणे की गलियों में छड़ी लेकर निकल जाने पर उन्हें किसी ने भी नहीं पहचाना था. 

2. 3 इडियट्स 

इस मूवी के नशे वाले सीन में आमिर ख़ान, शरमन जोशी, आर. माधवन ने रियल में शराब पी थी. इसके चलते ये सीन फ़िल्माने में काफ़ी समय लग गया और कैमरे की रील ख़त्म हो गई. इसके बाद राजू हिरानी ने सभी असिस्टेंट डायरेक्टर्स को रात में ही रील लाने के लिए कह दिया था. इसके बाद वो रात में किसी तरह शूट के लिए रील लेकर आए थे. तब जाकर शूट हुआ था. 

3. मसान 

मसान के सीन में जब दीपक यानी विक्की कौशल अपनी गर्लफ़्रेंड के मरने का दुख मना रहा होता है, तो उस सीन के दौरान विक्की असल में रोने लगे थे. जबकि सीन को वरुण ग्रोवर ने एक मोनोलॉग के रूप में लिखा था. उसमें रोने का सीन नहीं था. उन्हें ये सीन करते देख सेट पर सभी लोगों की आंखों में असल में आंसू आ गए थे. इस तरह ये 3 मिनट का सीन 8 मिनट में शूट हुआ था. 

4. कुछ कुछ होता है 

इस मूवी के गाने ‘ये लड़का है दीवाना’ की शूटिंग के दौरान काजोल साइकिल से गिर जाती हैं. उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है. गिरने से उन्हें टेंपोरेरी मेमोरी लॉस हो जाता है. इसके बाद सभी परेशान हो जाते हैं. ख़ुशकिस्मती से जब वो अजय देवगन से वो फ़ोन पर बात करती हैं तो उन्हें सब याद आ जाता है और सबको वो पहचानने लगती हैं. 

5. जब वी मेट 

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जब वी मेट में जो होटल वाला सीन है जहां रेड पड़ जाती है. उस सीन के लिए रिसेप्शनिस्ट के रोल के लिए कोई एक्टर नहीं मिल रहा था. क्योंकि सीन की डेट फ़ाइनल नहीं थी और वो सीन मनाली में फ़िल्माया जाना था. एक्टर न होने के चलते तब वो सीन फ़िल्म के आर्ट डायरेक्टर टेडी मौर्या ने निभाया था. 

6. दिलवाले 

दिलवाले फ़िल्म के गाने ‘गेरुआ’ की शूटिंग के दौरान शाहरुख़ ख़ान की जान बचाई थी काजोल ने. दरअसल, जिस झरने पर इसकी शूटिंग हो रही थी वहां पर शाहरुख़ ख़ान का पैर एक पत्थर पर पड़कर फिसल गया, तब उन्हें गिरता देख काजोल उन्हें पकड़ लेती हैं. काजोल अगर उन्हें न पकड़ती तो कुछ भी हो सकता था. आइसलैंड में इसकी शूटिंग हो रही थी. इसके शूट के समय काजोल की ड्रेस को हवा से उड़ने से बचाने के लिए उस पर पत्थर रखे गए थे. 

7. दिल धड़कने दो 

दिल धड़कने दो के गाने ‘गल्ला गूडिया’ के लास्ट में सभी लोग पागल हो कर नाच रहे होते हैं. असल में वो शूट के क्रू मेंबर्स थे. वो शेफ़ाली शाह का आइडिया था और उनके अनुसार ही ज़ोया ने इसे फ़िल्माने के लिए फिर से गाना बजाकर इसका एंड शूट किया था. 

8. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर-2 

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इस मूवी में एक सीन है जिसमें शमशाद(राजकुमार राव) डेफ़िनेट(ज़िशान) के पीछे दौड़ते हैं. ये सीन लिखा नहीं गया था, दोनों कलाकार रोल करते-करते सीन के हिसाब से भागने लगे. इस सीन को फ़िल्माने के लिए फ़िल्म के आर्ट डायरेक्टर ने अपने वाकी-टॉकी के ज़रिये गलियों में लोगों से भीड़ क्रिएट करने को कहा ताकी सीन रियल दिखे. सीन के आख़िर में रेलवे ट्रैक पर गिरने से ज़िशान को चोट भी लग गई थी. 

9. हैदर 

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हैदर की शूटिंग के समय इरफ़ान ख़ान की कार पर एक कश्मीरी लड़के ने पत्थर फेंक के मारा था, जिससे कार का शीशा टूट गया था. तब उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को उस पर फ़ायर करने से रोक दिया, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि कोई हादसा हो. यही नहीं उन्होंने उस लड़के की तुलना क्रिकेटर जॉन्टी रोड्स से कर दी. ताकि माहौल ख़ुशनुमा हो जाए. 

10. सत्या 

सत्या के एक सीन में भीखू मात्रे एक बिल्डिंग की छत पर चढ़कर कहता है ‘मुंबई का किंग कौन’. इस सीन को करने से पहले मनोज बाजपेयी डर रहे थे. क्योंकि ऊंचाई बहुत अधिक थी. इसे फ़िल्माते समय अनुराग कश्यप ने उनके पैर पकड़े हुए थे. तब जाकर इसकी शूटिंग हुई थी. 

इन सभी क़िस्सों से पता चलता है कि एक परफ़ेक्ट सीन को फ़िल्माने के लिए कलाकार कितनी मेहनत करते हैं.

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