हॉलीवुड वाले क्रिएटिव कम हैं. जब कोई हॉरर फ़िल्म बानाते हैं, तब पूरी फ़िल्म में डर के अलावा कुछ नहीं दिखा पाते.
असली टैलेंट तो बस बॉलीवुड में है. हमारे यहां जब हॉरर फ़िल्में बनती हैं, तो यहां के डायरेक्टर्स सुपर नेचुरल टैलेंट अपने अन्दर उतार लेते हैं. जिसके बाद वे फ़िल्म बनाते हैं, तो उसमें ह्यूमर, डर, रोमांस और बदला सब कुछ देखने को मिलता है.
हम बॉलीवुड की कुछ ऐसी ही फ़िल्मों का ज़िक्र करेंगे, जिनके गाने आपको भूत-प्रेतों की दुनिया में ले जायेंगे. लेकिन आपको डर बिलकुल भी नहीं लगेगा. आपके आस-पास कोई तांत्रिक हो, तो उससे संपर्क कर लीजिये, वही आपको भूत पहचानने का हुनर सिखा सकता है.
1. आएगा आने वाला ( 1949, महल)
आत्मा हमेशा डरावनी नहीं होती. कभी-कभी वो गाना भी गा सकती है. किसी के आने का सन्देश भी दे सकती है. अब इस गाने में जो आत्मा है, उसका कहना है कि:
‘भटकी हुई जवानी, मंज़िल को ढूंढती है,
माझी बग़ैर नय्या, साहिल को ढूंढती है.’
इस गाने में कौन किसे ढूंढ रहा है नहीं पता. डरावनी फ़िल्म में अगर लता दी की आवाज़ में गाना सुनने को मिल जाए, तो इससे ज़्यादा राहत की बात और क्या होगी?
2. नैना बरसे (वो कौन थी : 1964)
इस गाने में सफ़ेद साड़ी में बेइंतहा ख़ूबसूरत लगने वाली आत्मा गाना गा रही है. इस गाने को देखने के बाद मुझे लगा कि आत्मा इतनी ख़ूबसूरत होती है. इस गाने को भी गया है लता मंगेशकर ने.
3. कहीं दीप जले कहीं दिल (1962: बीस साल बाद)
सोचिये रात में आप अपने कमरें में बैठ कर पियानो बजा रहे हों और अचानक से कहीं दूर से, लड़की की आवाज़ में गाना सुनने को मिले ‘कहीं दीप जले कहीं दिल.’ अब ऐसे में आप ख़ुद को हीरो न समझने लगें. वो लड़की आत्मा भी हो सकती है, जो दिल में भारी भरकम दर्द लिए मर गई हो. इस गाने को भी गाया है, लता मंगेशकर ने. एक वक़्त था जब लोग इस गाने को, डरावना कहते थे लेकिन आज ये बस ख़ूबसूरत गाना लगता है. ऐसी आत्मा अगर मिलने के लिए कहे तो कौन नहीं मिलना चाहेगा?
4. झूम-झूम ढलती रात ( कोहरा: 1964)
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दुल्हन के जोड़े में भटकती एक रहस्यमयी आत्मा. कभी सीढ़ियों पर तो कभी रेगिस्तान में. दुल्हन बनी वहीदा रहमान इस फ़िल्म में मर चुकी होती हैं. उनकी आत्मा कभी उनके पति के सामने आती है, तो कभी ओझल हो जाती है. हॉरर फ़िल्म में ऐसे रहस्यमयी गाने केवल बॉलीवुड में ही हो सकते हैं. इस गाने को गाया है लता मंगेशकर ने.
5. मैं भूखा हूं (भूत बंगला : 1965)
अब भाई भूखे हो तो किसी ढाबे पे जाकर भूख मिटाओ, गाते क्यों हो बे? गा कर कौन डराता है भाई ? इस गाने में भूत भी माइकल जैक्सन की तरह डांस कर रहे हैं. डर तो बिलकुल भी नहीं लग रहा है. किसी ज़माने में इसे देखकर डरते होंगे पर आज तो ये मस्त कॉमेडी लग रहा है.
6. तुझको पुकारे मेरा प्यार ( नीलकमल: 1968)
राजकुमार अपने पूरे फ़िल्मी करियर में कभी इतने बेबस और मासूम नहीं दिखे थे. इस गाने में उन्हें ज़िन्दा दीवार में चुनवाया जा रहा है और वे अपनी महबूबा को बुला रहे हैं. आम आदमी होता तो बाप या भगवान को याद करता लेकिन राजकुमार की बात ही अलग है. वे मरते-मरते भी महबूबा को याद कर रहे थे.
7. मेरा साया साथ होगा (मेरा साया : 1966)
बहुत दिनों तक मुझे पता था कि ये कोई रोमांटिक गाना है, बाद में पता लगा ये गाना आत्मा गा रही है. इस गाने में सुनील दत्त को अपनी दिवंगत पत्नी की आवाज़ सुनाई देती है. सुनील दत्त जहां-जहां जाते हैं उन्हें गाना सुनाई पड़ता है.
अब हर जगह किसी का साया साथ हो, तो इंसान सुबह-सुबह अपना वजन कैसे हल्का करेगा.
8. मेरे नैना सावन भादो (महबूबा 1976)
जिसके नैना सावन भादो हों उनकी तो शान ही निराली है. जब चाहें बरसात करा दें. इस गाने में हेमा मालिनी कहर ढा रही हैं. कहने को तो इस फ़िल्म में हेमा की आत्मा भटकती रहती है लेकिन इतनी ख़ूबसूरत आत्मा मैंने कभी नहीं देखी.
9. साथी रे तू कहां है ( वीराना: 1988)
इस गाने में फ़िल्म की हिरोइन जैस्मिन के शरीर पर एक चुड़ैल का कब्ज़ा हो जाता है. इस गाने को देखकर आप हंसी और डर दोनों एक साथ फ़ील कर सकते हैं. इन गाने की शुरुआत होती है बाथटब से. कसम से ये डायरेक्टर का सबसे वाहियात आइडिया था.
10. गुमनाम है कोई (गुमनाम : 1965)
इस गाने को देखकर लगता है इंसानों की टोली किसी गुमनाम जगह पहुंच गई है और जहां से कोई राह नहीं मिल रही है. बैकग्राउंड में गाना बजता है ‘गुमनाम है कोई.’ शराब और सिगरेट पीते हुए प्राण इस गाने में थोड़े परेशान लगे हैं. ज़रूर कोई कांड किए होंगे तभी गाना सुनकर माथे पे पसीना आ रहा है.
11. कैसा ये राज़ है (Raaz- The Mystery Continues: 2009)
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इस गाने में भरपूर मिस्ट्री क्रिएट करने की कोशिश की गई है. लेकिन गाना देखने के बाद ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा है. शायद बॉलीवुड की हॉरर फ़िल्मों में दर्शकों को डर से राहत देने के लिए ऐसे गाने डाले जाते हैं.
12. सूना-सूना (कृष्णा कॉटेज: 2004)
इस गाने को मैंने इतनी बार सुना फिर भी कोई आत्मा नज़र नहीं आई. वैसे हॉरर फ़िल्मों में ऐसे रोमांटिक गाने क्यों रखते हैं लोग?
ख़ैर, हॉरर फ़िल्मों में ये लव, इमोशनल और सस्पेंस वाले गाने बहुत राहत देते हैं. कुछ देर तो सुकून से बीतने चाहिए,वर्ना डर वाली फ़िल्मों में रखा क्या है?