फ़िल्मों के साथ भारत का इतिहास 100 साल से भी पुराना हैं. यहां बनी फ़िल्मों की संख्या लाखों के ऊपर है, ऐसे में 11 ऐसी फ़िल्मों को चुनना जिसे सर्वश्रेष्ठ कहा जाए, कोई गुनाह करने से कम नहीं है. बावजूद इसके, हमने ये काम किया. ये बॉलीवुड की वो 11 फ़िल्में हैं जिसपर हमें नाज़ है.

1. मदर इंडिया

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ऑस्कर के लिए भेजी गई ये फ़िल्म सिर्फ़ एक वोट के अंतर से अवॉर्ड से वंचित रह गई थी. इस फ़िल्म में एक मां की कहानी के ज़रिये महिला सश्क्तिकरण और देशभक्ति की बात कही गई है. बहुत कम लोगों को पता है कि ये फ़िल्म इसके निर्देशक महबूब ख़ान की एक पुरानी फ़िल्म औरत(1940) की रीमेक है.

2. मुग़ल-ए-आज़म

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हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री की शायद सबसे महंगी फ़िल्म. इस फ़िल्म के बिना फ़िल्म इतिहास की कोई भी लिस्ट पूरी नहीं हो सकती. के. आसिफ़ की बेहतरीन रचना है मुग़ल-ए-आज़म. दिलीप कुमार, पृथ्वीराज कपूर और मधुबाला ने लीड रोल में बेहतरीन अदाकारी की है. संगीत, सेट, संवाद, कहानी, क्लाइमेक्स इन सब मामलों में मुग़ल-ए-आज़म किसी भी फ़िल्म पर बीस साबित होती है. मुग़ल बादशाह अकबर के बेटे सलीम का एक दरबारी नाचने वाली के प्यार में पड़ में जाना कहानी का मूल है.

3. आनंद

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इस कल्ट फ़िल्म ने राजेश खन्ना को एक अदाकार के रूप में स्थापित कर दिया था. कहानी है एक ऐसे इंसान की जो एक जानलेवा बिमारी से ग्रस्त है, उसो पता है कि उसके पास गिनती के दिन बचे हुए हैं. लेकिन उसने अपनी ज़िंदगी के हर लम्हे को आनंद से जिया. राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की अदाकारी सबकी आखें नम कर देती हैं. ऋषिकेश मुखर्जी ने इस यादगार फ़िल्म का निर्देशन और लेखन किया था.

4. शोले

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इस फ़िल्म ने बॉलीवुड को वो दिया, जो आज तक कोई फ़िल्म नहीं दे पाई. बेहतरीन कैरेक्टर्स् और दमदार डायलॉग्स, शोले ने अपने समय के सभी रिकॉर्ड्स धवस्त कर दिए थे. ये फ़िल्म कल्ट तो बनी ही, ये एक रेफ़रेंस फ़िल्म भी बनी गई. आपने ख़ुद ऐसी कई फ़िल्म देखे होंगे, जिसके सीन शोले से प्रेरित होंगे. जय-वीरू आज भी दोस्ती के पर्याय हैं और गब्बर सिंह सा विलन कोई दूसरा नहीं हुआ.

5. गरम हवा

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भारत-पाकिस्तान विभाजन की ज़मीन पर बनी इस फ़िल्म को भारत में आर्ट सिनेमा को शुरू करने का श्रेय भी जाता है. इस फ़िल्म में बलराज सहानी को आप जब-जब देखते हैं तो ऐसा लगता है कि ये वो इंसान है जिसे आप जानते हैं. इस फ़िल्म ने विभाजन के दर्द को बिना शोर-शराबे को उकेरा था. इसकी कहानी लेखिका इस्मत चुगतई की अप्रकाशित कहानी पर अधारित थी.

6. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे

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दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे ने हिन्दी फ़िल्मों में रोमांस को नई परिभाषा दी. ये DDLJ का जादू ही है, जो ये 20 साल बाद भी मराठा मंदिर में चल रही है. ये आदित्य चोपड़ा की पहली फ़िल्म थी. इस फ़िल्म के लिए वो राज के किरदार के लिए हॉलीवुड एक्टर टॉम क्रूज़ को लेना चाहते थे. ये अब तक की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों से एक है.

7. सत्या

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मुंबई और उसके गैंगस्टर्स के ऊपर कई फ़िल्में बनी हैं. लेकिन शायद ही कई सत्या जैसी बन पाई. इस फ़िल्म ने गैंगस्टर्स की ज़िंदगी के हिंसक पहलु से अलग हिस्से को भी दिखाया है. सत्या ने इंडस्ट्री को भविष्य के दो सितारे दिए हैं, अनुराग कश्यप(लेखक) और मनोज बाजपेयी (अभिनेता). सत्या को राम गोपाल वर्मा की बेहतरीन फ़िल्म माना जाता है. आलोचकों ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया था.

8. लगान

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लगान भारत की वो तीसरी फ़िल्म थी जो Academy Award For Best Foreign Language Film के लिए चयनित हुई थी. 3 घंटे 45 मिनट लंबी होने का बावजूद ये फ़िल्म आज भी अपने दर्शक को उबाती नहीं है. इसकी कहानी को लेकर आमिर ख़ान इतने आशवस्त थे कि जब डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर को कोई प्रोड्युसर नहीं मिल रहा था, तब आमिर ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू की और इस फ़िल्म को प्रोड्यूस किया.

9. मक़बूल

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शेक्सपियर के नाटक मैकबेथ के ऊपर आधारित इस फ़िल्म का डायरेक्शन विशाल भारद्वाज ने किया है. हालांकि ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर औंधे मुंह गिर गई थी. लेकिन आज इसे कल्ट का दर्जा प्राप्त है. कुछ फ़िल्में ऐसी होती हैं जो अपने वक़्त से आगे की होती है, ‘मक़बूल’ उन फ़िल्मों से है. इस फ़िल्म से इरफ़ान ख़ान की अदाकारी का लोहा माने जाने लगा.

10. रंग दे बसंती

Scoop Whoop

रंग दे बसंती नए ज़माने की देशभक्ति फ़िल्म थी. फ़िल्म के निर्देश्क राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने फ़िल्म के लिए 7 साल शोध किया था. यही कहा जाएगा की फ़िल्म पर किया गया ये इनवेस्टमेंट सफ़ल रहा. देश के साथ-साथ विदेशों में भी इसकी ख़ूब तारीफ़ हुई थी. फ़िल्म के साथ कई विवाद जुड़ गईं थी जिसने इसके पब्लिसिटी में योगदान दिया.

11. A Wednesday

Daily Motion

1 घंटा 40 मिनट की इस फ़िल्म को आप एक बार देखिएगा और ज़िंदगी भर याद रखिएगा. एक आम आदमी का गुस्सा जब सिस्टम के ऊपर फूटता है, तब क्या हो सकता है ये इस फ़िल्म ने फ़िल्मी अंदाज़ में दिखाया है. इस फ़िल्म को बॉक्स ऑफ़िस और आलोचकों दोनों का प्यार मिला. डायरेक्टर नीरज पांडे की ये पहली फ़िल्म थी.

12. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर

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इस फ़िल्म के एतिहासिक होने का सबूत ये है कि लोग आज भी इसके डायरेक्टर अनुराग कश्यप से इस फ़िल्म का तीसरा पार्ट बनाने के लिए कहते हैं. बॉक्स ऑफ़िस पर इस फ़िल्म ने औसत कमाई ही की थी लेकिन माउथ पब्लिसिटी ने इसे जल्द ही कल्ट का दर्जा दे दिया. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर कई कलाकारों की ज़िंदगी में वरदान बन कर आई थी. उनमें से एक नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी भी थे.

13. बाहुबली

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ये वो फ़िल्म है जसने भारतीय फ़िल्म मेकिंग को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ला कर रख दिया. इस फ़िल्म के सेट की भव्यता और CGI इसे हिट बनाने के लिए काफ़ी थे. दो हिस्सों में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने विदेशों में भी खूब कमाई की. इसकी कुल कमाई भारतीय सिनेमा की किसी भी फ़िल्म से कहीं आगे है. कहानी में वास्तविकता का पूट डालने के लिए लेखक ने एक नई भाषा ईजाद की थी.

हम जानते है, आपको लग रहा होगा कि उस फ़िल्म को लिस्ट में होना चाहिए, इस फ़िल्म को लिस्ट में रखने की ज़रूरत नहीं थी. कमेंट बॉक्स में बताईए कि इस लिस्ट में किस फ़िल्म को जोड़ना चाहेंगे.