हिंदी सिनेमा इतिहास की बात हो और शोले (Sholay) फ़िल्म का ज़िक्र न हो ऐसा भला ऐसे कैसे हो सकता है. ‘शोले’ आज भी बॉलीवुड की सबसे की सफ़ल फ़िल्मों में से एक है. 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई शोले ने उस दौर में कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. आज भी इस फ़िल्म के दमदार डायलॉग लोगों की ज़ुबान पर चढ़े हुए हैं. इस फ़िल्म को रिलीज़ हुए 46 साल हो चुके हैं, लेकिन इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे आज की ही बात है.  

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इस फ़िल्म में वो सब कुछ था जो एक सफ़ल फ़िल्म में होना चाहिए था. जय और वीरू की अटूट दोस्ती, बसंती का नटखटपन, रामगढ़ वासियों पर गब्बर सिंह का कहर और ठाकुर का बदले की आग में जलना. शानदार कहानी, लाजवाब स्क्रीनप्ले और दमदार डायलॉग्स ने इस फ़िल्म को हिंदी सिनेमा इतिहास की सबसे बेहतरीन फ़िल्म बना दिया था.  

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‘शोले’ फ़िल्म तो आपने कई बार देखी होगी, क्या इस फ़िल्म से जुड़े ये 25 फ़ैक्ट्स जानते हैं?

1- ‘शोले’ जब रिलीज़ हुई तो शुक्रवार और शनिवार को कुछ ही दर्शक फ़िल्म देखने सिनेमाहॉल पहुंचे थे.  

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2- ‘शोले’ में जय (अमिताभ) की मौत दर्शकों को पसंद नहीं था. इसलिए निर्देशक रमेश सिप्पी ने सलीम-जावेद को इसका अंत बदलने को कह दिया था.  

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3- सलीम-जावेद ने निर्देशक रमेश सिप्पी को 2 दिन रुकने की सलाह दी. कुछ दिन बाद फ़िल्म ने रफ़्तार पकड़ी और कमाई के सारे रिकार्ड्स तोड़ दिए.  

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4- ‘शोले’ ने मुंबई के एक सिनेमाघर में लगातार 5 साल तक चलने का कीर्तिमान क़ायम किया था. शोले का रिकॉर्ड ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने तोडा था.  

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5- ‘शोले’ की कहानी मार्च 1973 से लिखना आरंभ हुई थी. इस दौरान सलीम-जावेद और रमेश सिप्पी हर दिन ख़ुद को घंटों एक कमरे में बंद कर लेते थे.  

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6- ‘शोले’ फ़िल्म की शूटिंग बेंगलुरु के पास ‘रामनगरम’ में हुई थी. शूटिंग की वजह से बेंगलुरु हाईवे से रामनगरम तक एक सड़क भी बनाई गई थी.

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7- ‘शोले’ फ़िल्म में गब्बर की गुफ़ा और ठाकुर का घर मीलों दूर दिखाया गया था, लेकिन असल में दोनों जगहें पास-पास ही थीं.  

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8- ‘शोले’ फ़िल्म के ‘जय और वीरू’ भी असल नाम हैं. दरअसल, ‘जय और वीर’ नाम के दो लड़के लेखक सलीम के साथ कॉलेज में पढ़ते थे.  

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9- ‘शोले’ फ़िल्म में ‘सूरमा भोपाली’ का किरदार लेखक जावेद अख़्तर की देन है. ये नाम उन्हें भोपाल निवास के दौरान सूझा था. 

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10- ‘शोले’ फ़िल्म में अमजद ख़ान को गब्बर सिंह डाकू का जो नाम दिया गया, वो असली डाकू का नाम है.  

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11- लेखक सलीम के पिता ने उन्हें डकैत गब्बर के बारे में बताया था, जो पुलिस पर हमला कर उनके कान-नाक काट कर छोड़ दिया करता था. 

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12- ‘शोले’ फ़िल्म में ‘जय’ के रोल के लिए शत्रुघ्न सिन्हा का नाम फ़ाइनल था. मगर सलीम-जावेद और धर्मेन्द्र की बदौलत अमिताभ को ये रोल मिल गया.  

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14- ‘शोले’ में वीरू का पानी की टंकी पर खड़े होकर बसंती के साथ शादी के लिए मौसी को राज़ी करने वाला दृश्य एक सच्ची घटना से प्रेरित है. 

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15- ‘शोले’ की शूटिंग के कुछ दिनों पहले संजीव कुमार ने हेमा मालिनी के आगे शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे हेमा ने ठुकरा दिया था.  

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16- सीता और गीता की क़ामयाबी के बाद हेमा मालिनी ‘शोले’ में बसंती का रोल करने को तैयार नहीं थी, रमेश सिप्पी ने काफ़ी मनाने पर वो मान गईं. 

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17- हेमा मालिनी के साथ रोमांटिक सीन के दौरान धर्मेन्द्र जानबूझकर ग़लतियां करते थे ताकि रीटेक हो और उन्हें हेमा के साथ व़क्त बिताने को मिल सके.  

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18- ‘शोले’ का म्यूज़िक ‘पोलिडार कंपनी’ को 5 लाख में रॉयल्टी बेसिस पर एडवांस में बेच दिया था. 5 गानों के 5 लाख रुपये उस दौर में बेहद महंगा था.  

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19- ‘शोले’ में ‘गब्बर’ का रोल पहले ‘डैनी’ करने वाले थे, लेकिन ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग अफ़गानिस्तान में होनी थी, इसलिए डैनी के हाथ से ये फ़िल्म निकल गई. 

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20- ‘शोले’ में दिखाया गया था कि गब्बर सिंह को ठाकुर पहले ही मार डालता है, लेकिन सेंसर बोर्ड को ये पसंद नहीं आया. इसके बाद इसे बदला गया था. 

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21- ‘शोले’ फ़िल्म के कैमरामैन द्वारका दिवेजा के काम से ख़ुश होकर निर्माता-निर्देशक रमेश शिप्पी ने उन्हें एक फ़िएट कार गिफ़्ट में दी थी.

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22- ‘शोले’ के उस सीन जिसमें जया लालटेन जला रही हैं और अमिताभ माउथ ऑर्गन बजा रहे हैं. 2 मिनट के इस सीन को फ़िल्माने में 20 दिन लगे थे.

23- ‘शोले’ फ़िल्म में छोटा सा किरदार निभाने के लिए अभिनेता सचिन पिलगांवकर को काम के बदले में 1 फ़्रिज दिया गया था. 

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24- ‘शोले’ फ़िल्म 60 सिनेमाघरों में गोल्डन जुबिली (50 सप्ताह) और 100 से अधिक सिनेमाघरों में सिल्वर जुबिली (25 सप्ताह) तक चली थी.  

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25- बीबीसी इंडिया ने 1999 में ‘शोले’ को ‘फ़िल्म ऑफ़ द मिलेनियम’ घोषित किया था.  

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