90 के दशक और उसके बाद की फ़िल्मों की बात करें तो कुछ फ़िल्में ऐसी बनाई गईं, जो हर घर परिवार की कहानी थी. लोग उन फ़िल्मों के किरदार में अपने घर के किसी न किसी सदस्य को ढूंढ ही लेते थे. इसलिए इन फ़िल्मों ने लोगों में कई सालों बाद भी जगह बनाई हुई है. बच्चे अगर माता-पिता के साथ ग़लत करें तो उन्हें हम साथ-साथ हैं के मोहनीश बहल की तरह बनने की सलाह दी जाती. चुलबुलेपन में हम आपके हैं कौन से तुलना की जाती. और बात अगर बाग़बानी की आए तो बाग़बान से बेहतर तो कोई फ़िल्म थी ही नहीं.

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ऐसी ही कुछ फ़िल्मों की लिस्ट आपके लिए लाए हैं:

1. कॉकटेल

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हो सकता है ये फ़िल्म इस लिस्ट में देखकर आप चौंक जाएं, लेकिन इसकी कहानी एक साधारण लड़की और एक ऐसी लड़की की थी, जो मॉर्डन है पार्टी करती है और अपने तरीक़ से ज़िंदगी को जीती है. मगर वो अपने उसूलों पर खरी है. इसमें दीपिका पादुकोण, सैफ़ अली ख़ान और डियाना पेंटी मुख्य भूमिका में हैं.

2. हम आपके हैं कौन!

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हम आपके हैं कौन! उस दौर की सुपरहिट फ़िल्मों में से एक थी. इस फ़िल्म ने मिडिल क्लास से लेकर अपर क्लास तक के परिवार को ख़ुद से जोड़ा. इसमें मोहनीश बहल ने समझदार और परिपक्व बड़े भाई की भूमिका निभाई थी और सलमान ख़ान ने प्रेम नाम का किरदार निभाया, जो बहुत ही चुलबुला था. इन दोनों के अलावा रेणुका शहाणे जहां एक संस्कारी बहू के किरदार में दिखीं तो माधुरी दीक्षित ने एक ऐसी बेटी का किरदार निभाया जो फ़ैमिली के लिए अपने प्यार तक को त्याग देती है.

3. विवाह

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फ़िल्म विवाह की कहानी दो ऐसी बहनों की है जिसमें एक गोरी और सर्वगुण सम्पन्न है तो दूसरी का रंग सांवला है और वो बहुत ही चुलबुली है. इस वजह से सुन्दर लड़की से उसकी चाची नफ़रत करती है. इसके अलावा एक मिडिल क्लास में शादी के समय एक पिता पर क्या बीतती है फ़िल्म में बख़ूबी दिखाया गया है. संघर्ष, त्याग, प्यार, अपनापन और ईर्ष्या सबकुछ फ़िल्म में नापतोल के दिखाया गया है. इसमें शाहिद कपूर, अमृता अरोड़ा, आलोक नाथ, सीमा विस्वास और अनुपम खेर जैसे कई बड़े स्टार्स हैं. 

4. हम साथ-साथ हैं

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संयुक्त परिवार की सुलझी और सधी कहानी थी ‘हम साथ-साथ हैं’. इसमें भाइयों के प्यार के साथ-साथ मां-बाप का आशीर्वाद सबकुछ था. साथ ही फ़िल्म ये बताती है कि परिवार से बड़ी कोई ताक़त नहीं होती है. ये एक मल्टीस्टारर फ़िल्म थी. 

5. बाग़बान

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संस्कारों और परिवार की बात हो और बाग़बान का नाम न आए ऐसी तो हो नहीं सकता है. इसमें दिखाया गया कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो वो मां-बाप को सीढ़ी से ज़्यादा कुछ नहीं समझते, जो ग़लत है. मगर बच्चों को माफ़ न करने का फ़ैसला बिल्कुल सही था. इसमें अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी और सलमान ख़ान सहित कई बड़े स्टार्स मौजूद थे.