मूर्खता को शोकेस करने की रेस में बॉलीवुड नंबर 1 पर है. लॉजिक और अक्ल, ये ऐसी दो चीज़ें हैं, जिन्हें बॉलीवुड मूवी देखते समय अपने साथ न लाएं, तो बेहतर है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें यूज़ करने पर दिमाग़ का दही होने की संभावनाएं काफ़ी ज़्यादा रहती हैं. बॉलीवुड के इतिहास में ऐसी कई फ़िल्में बनी हैं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि इनके मेल कैरेक्टर्स लिखते समय फ़िल्ममेकर्स ने दिमाग़ को ज़रा सी भी तकल्लुफ़ देने की कोशिश नहीं की है.

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चलिए उन 6 फ़िल्मों के बारे में फ़टाफ़ट जान लेते हैं-

1. रब ने बना दी जोड़ी (शाहरुख़ खान)

अगर मूर्खता को सेलिब्रेट करने का कोई कॉन्टेस्ट होता, तो फ़िल्म रब ने बना दी जोड़ी में शाहरुख़ खान के कैरेक्टर ‘सूरी‘ को 101% इसका ख़िताब जाता. फ़िल्म में सूरी अपनी पत्नी के साथ हेल्दी रिलेशनशिप बनाने में फ़ेल हो जाता है. उसे समझ नहीं आता है कि वो अपनी पत्नी के दिल में अपने लिए प्यार के बीज कैसे बोए. हद तो तब हो जाती है जब वो अपने नाई से इस बारे में सलाह लेता है. नाई, सूरी को अपनी पहचान बदलकर अपनी पत्नी से ही नकली लव अफ़ेयर चलाने को कहता है, जिसे वो मान जाता है. मतलब बंदे ने अपना दिमाग बिल्कुल ही बेच खाया है. 

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2. धूम (अभिषेक बच्चन)

फ़िल्म ‘धूम’ में अभिषेक बच्चन के कैरेक्टर ‘जय’ को ओवर कॉन्फिडेंट और असक्षम पुलिसवाले के रूप में दिखाया गया है, जो एक बेहद ही बद्दिमाग मैकेनिक (उदय चोपड़ा) की मदद शातिर चोरों की गैंग को पकड़ने के लिए लेता है. उसका IQ लेवल चोरों से भी कम है. वो शून्य अपराधियों को पकड़ता है, लेकिन फ़िर भी उसका ओवर कॉन्फिडेंस देखकर हमेशा सीरियस रहने वालों की भी हंसी छूट पड़ेगी. (बॉलीवुड)

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3. बॉडीगार्ड (सलमान ख़ान)

फ़िल्म में दिव्या (करीना कपूर) अपने शातिर दिमाग़ से ऐसा जाल रचती है कि लवली सिंह (सलमान ख़ान) हमेशा अपने फोन पर सीक्रेट कॉलर पर लट्टू हुआ नज़र आता है. यहां तक जिस काम को करने के लिए उसे नौकरी पर रखा गया था, अपनी आशिक़ी के चक्कर में लवली से वो भी न हो पाया. आप उसकी मूर्खता के लेवल का इस बात से आंकलन कर सकते हैं कि कैसे वो अपनी कॉलर के साथ प्यार में पागल होने का दावा करता है, लेकिन फ़िर भी दिव्या की बेस्ट फ्रेंड उसे बेवकूफ़ बनाने में आसानी से कामयाब हो जाती है. 

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4. कॉकटेल (सैफ़ अली ख़ान)

फ़िल्म में गौतम (सैफ़ अली ख़ान) की प्रायोरिटी सिर्फ़ हमबिस्तर होना ही नज़र आती है. वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहता है, उसकी कंपनी एंजॉय करता है और मस्त रहता है. चूंकि उसकी गर्लफ्रेंड संस्कारी महिला की परिभाषा में फ़िट नहीं बैठती है. इसलिए गौतम को अपनी गर्लफ्रेंड की ही दोस्त के प्यार में पड़ने में बिल्कुल भी शर्म नहीं आती है. गौतम का कैरेक्टर उन टॉक्सिक भारतीय पुरुषों को दर्शाता है, जो भले ही कितने बिगड़े हों, लेकिन शादी के लिए उन्हें हमेशा वर्जिन लड़की की तलाश रहती है. (बॉलीवुड)

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5. मोहब्बतें (शाहरुख़ ख़ान)

फ़िल्म में राज (शाहरुख़ ख़ान) के सिर अपनी गर्लफ्रेंड की मौत का बदला लेने के लिए इस कदर जुनूनियत सवार होती है कि वो अपने ही विद्यार्थियों को कॉलेज के नियम तोड़ने के लिए कहता है. जिससे कि वो कॉलेज से निकाल दिए जाएं. वो म्यूजिक सिखाने की अपनी नौकरी के अलावा फ़िल्म में वो सभी मूर्खतापूर्ण हरकतें करता है, जो उसे नहीं करनी चाहिए. फ़िल्म में राज को एक ऐसे टीचर के रूप में दर्शाया गया है, जिसकी अपने स्टूडेंट्स के भविष्य के प्रति कोई ज़िम्मेदारी नहीं है.

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6. बद्रीनाथ की दुल्हनिया (वरुण धवन)

इस फ़िल्म में टॉक्सिक पुरुषत्व से भरपूर बद्री (वरुण धवन) एक मूर्ख और असक्षम कैरेक्टर है. अपनी मंगेतर जिसने बद्री को अपने करियर के लिए छोड़ दिया, उसका पीछा करने से लेकर उसके घर के आसपास तमाशा खड़ा करने तक, बद्री का अपनी मंगेतर को किडनैप करने का आइडिया उसके मूर्खपूर्ण कामों में सबसे टॉप पर है. (बॉलीवुड)

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लगता है बॉलीवुड को अब मेल कैरेक्टर्स लिखते समय हॉलीवुड से थोड़ी अक्ल उधार में लेने की ज़रूरत है.