हो गया न ‘कबीर सिंह’ के ऊपर और कितनी बात की जाएगी?   

कहानी के जितने आयाम हो सकते थे, लगभग सभी पर बात हो चुकी है. लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी, कुछ ने बताया कि कैसे ये फ़िल्म मर्दवाद का महाकाव्य है तो कुछ के लिए कबीर का किरदार एक सच्चे आशिक़ की कहानी सुनता है.  

Business Today

अब बात इस फ़िल्म से आगे बढ़ चुकी है. या ये कहना ज़्यादा सही रहेगा कि बहस पुरानी फ़िल्मों की ओर जा चुकी है. उन फ़िल्मों की कहानियां याद की जा रही हैं, जिन्हें हमने पहले तो ख़ुब सराहा लेकिन उनकी कहानियों में भी भर-भर के स्त्री-विरोध, मर्दवादी सोच को बढ़ावा देना, मज़ाक के नाम पर फूहड़ता परोसी गईं.  

ऐसा नहीं है कि फ़िल्मों में सामाजिक बुराईयां या बुरे किरदारों को नही दिखाया जाना चाहिए, हमे यह समझना होगा कि फ़िल्म अपनी कहानी के माध्यम से किसे नायक बता रही है और कौन उसके लिए विलन है. 

हम आज उन फ़िल्मों के पन्ने पलट रहे हैं, जिनके ऊपर आपत्ति जताई जानी चाहिए थी लेकिन उन पर वक़्त की धूल जम गई है और कोई उन्हें देख नहीं रहा है.   

1. दोस्ताना

The Statesman

भारत जैसे देश में जो जहां अब भी समलैंगकिता लोगों के गले नहीं उतरती, वहां बारह साल पहले एक नाज़ुक मुद्दे पर बेहद फुहड़ता के साथ फ़िल्म बनाई गई. ये इस फ़िल्म की ही देन है, जो आज भी लोग समलैंगिता और दोस्ताना का जोक निकाल लेते हैं.  

2. दबंग

Firstpost Hindi

‘प्यार से दे रहे हैं रख लो, वर्ना थप्पड़ मार के भी दे सकता हैं.’ …ऑन ड्यूटी पुलिस वाला एक कुम्हार से फ़्लर्ट करता है, उसके ऊपर अपनी वर्दी का रौब दिखाता है, शादी का दबाव बनाता है और अपने अधिकारों का नाजायज़ फ़ायदा उठाता है.  

3. तेरे नाम  

The News

मोलेस्टिंग, हरासमेंट, अपहरण… इस फ़िल्म के हीरा का प्यार करने का तरीका यही है.  

4. रांझणा  

BookMyShow

माना बचपन का प्यार था लेकिन जब बड़े हुए तब तो समझदारी आनी चाहिए थी. अपना गिल्ट ख़त्म करने के लिए पहुंच गए लड़की के कॉलेज और वहीं जा कर बस गए, उसे असहज करने के लिए. यहां कोई रूठा प्यार नहीं मनाया जा रहा था.  

5. कुछ कुछ होता है

MissMalini

छोटे बालों में लड़की अच्छी नहीं लगती, जींस-टीशर्ट भी लड़कों वाले कपड़े हो गए. लड़की बाल लंबे रखने लगे और साड़ी पहनने लगे तब कोई बात हो.  

6. गोलमाल

Hindustan Times

मर्दानगी को ग़लत तरीके से पेश करना. मूंछों की वजह से इंटरव्यू में सलेक्ट हो जाना. राम प्रसाद की बहन की शादी के पीछे सबको पड़े रहना और उसे प्रोग्रेसिव नाटक न करने देना.

7. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे

Hindustan Times

इस फ़िल्म के बाद राज रोमांस का पर्याय बन गया था. बॉलीवुड की सबसे रोमैंटिक फ़िल्मों में से एक मानी जाती है DDLJ लेकिन क्या आपको इस प्रेम कहानी की शुरुआत याद है? ट्रेन में राज सिमरन से पहली बार मिलता है और उसे मोलेस्ट करना शुरू कर देता है (जिसे लोग रोमांस समझते हैं.)