बॉलीवुड फ़िल्म्स को लेकर अक़सर विवाद होते रहते हैं. कई बार ये विवाद फ़िज़ूल के होते हैं. कई बार बातों में लॉजिक होता है. इस दौरान कई ऐसी फ़िल्म्स भी बन जाती हैं, जो समाज में एक ग़लत मैसेज देती हैं. हांलाकि, इसके बावजूद किसी का ध्यान उस पर नहीं जाता है. कमाल की बात ये है कि दर्शक तमाम ऐसी फ़िल्मों को सुपरहिट भी साबित कर देते हैं.

आज हम आपको कुछ ऐसी ही फ़िल्मों के बारे में बताते हैं, जो पूरी तरह से एक ग़लत एंगल से बनाई गई हैं. ग़लत होने के बाद बॉक्स ऑफ़िस पर ख़ूब चली भी.  

1. ‘सिंबा’

रोहित शेट्टी की फ़िल्म दर्शकों को कभी निराश नहीं करती, क्योंकि उसमें वो होता है जो दर्शक देखना चाहते हैं. अगर आप फ़िल्म की कहानी पर ग़ौर करें, तो पुलिस वाले के किरदार में रणवीर सिंह एक फे़क एनकाउंटर कर देते हैं. फ़िल्म में फ़ेक एनकाउंटर न सिर्फ़ न्यायतंत्र की हत्या है, बल्कि इससे लोगों का जूडिशल पर से विश्वास भी उठता है. 

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2. ‘कॉकटेल’

एंटरटेनमेंट के नाम पर फ़िल्म में दीपिका पादुकोण की भूमिका को समाज के सामने ग़लत तरीक़े से रखा गया. फ़िल्म में दीपिका ने वेरोनिका नामक लड़की की भूमिका निभाई है. वेरोनिका को पार्टी करना पसंद है. वो बोल्ड है और अपने फ़ैसले ख़ुद लेती है. वेरोनिका एक ऐसी लड़की की मदद करती है, जो डरी सहमी रहती है और सीधी-साधी है. वेरोनिका के बॉयफ़्रेंड (सैफ़ अली ख़ान) को मीरा (डायना पेंटी) की यही अदा अच्छी लगती है. दूसरी तरफ़ दीपिका के कैरेक्टर एक ग़लत लड़की की तरह पेश किया गया. क्या सच में क्लब जाने वाली लड़कियां समाज पर धब्बा होती हैं?

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3. ‘बीवी नबंर 1’

सुष्मिता सेन, करिश्मा कपूर और सलमान ख़ान स्टाटर ये फ़िल्म पूरी तरह से ग़लत तरीक़े से बनाई गई है. करिश्मा कपूर ने एक ऐसी पत्नी की भूमिका निभाई, जो जानती है कि उसका पति प्रेम किसी और महिला के साथ रिश्ते में है. उसे छोड़ने के बजाये वो अपने पति को पाने की तमाम कोशिश करती है. सच में महिलाओं को ऐसा करना चाहिये क्या?

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4. ‘कुछ कुछ होता है’

इसमें कोई दोराय नहीं कि फ़िल्म 90 के दशक की बेहतरीन फ़िल्मों से एक है. पर अंत में जब अंजली शादी के मंडप पर अमन को छोड़ कर राहुल के पास जाती है. वो बेहद ग़लत था. मतलब जो लड़का अकेलेपन में आपका सहारा बना आप शादी वाले दिन उसे कैसे छोड़ सकते हो?  

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5. ‘जुदाई’

श्रीदेवी, अनिल कपूर और उर्मिला स्टारर ये फ़िल्म भी सुपरहिट फ़िल्मों में से एक है. फ़िल्म में एक मीडिल क्लास पत्नि अपने पति को दूसरी अमीर महिला को बेच देती है. वजह पैसा था. इसके बाद अंत में उसे ग़लती का एहसास होता है, तो वो अपने पति को वापस पाने की कोशिश करती है. अंत में वो अमीर महिला ख़रीदे हुए पति को छोड़ कर उसे उसकी पहली पत्नी को सौंप देती है. रियल लाइफ़ में ये बकवास संभव है क्या?

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6. ‘धड़कन’

फ़िल्म की कहानी त्रिकोणीय प्रेम पर आधारित है. शिल्पा शेट्टी, सुनील शेट्टी से प्यार करती हैं. हांलाकि, ग़रीबी होने की वजह से सुनील शेट्टी से उनकी शादी नहीं हो पाती. अपनी प्रेमिका से बिछड़ने के दुख में वो सुनील शेट्टी कुछ ही समय में बहुत अमीर हो जाते हैं. इसके बाद उनके अंदर एक गुस्सैल और बदले की भावना रखने वाला आशिक़ जन्म लेता है.

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7. ‘नो एंट्री’

बॉलीवुड की ये फ़िल्म तीन ऐसे पुरुषों की कहानी है, जो अपनी पत्नियों को धोखे में रखते हैं. इसके बाद अंत में जब तीनों को अपनी ग़लती का एहसास होता है. तीनों अपनी पत्नियों से माफ़ी मांगने की तैयारी करते हैं. तभी समीरा रेड्डी की एंट्री होती और वो उसे निहारने लगते हैं. मतलब ये कैसी ग़लती का एहसास था. 

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8. ‘तनु वेड्स मनु’

‘तनु वेड्स मनु’ हम सबकी पंसदीदा फ़िल्म में से एक हैं. पर फिर फ़िल्म कई ख़ामियों से भरी है. फ़िल्म की कहानी के अनुसार, दुनिया में दो तरह की महिलाएं होती हैं. एक कैटेगिरी बहुत ज़्यादा Hysterical महिलाओं की होती है. दूसरी बहुत Lame. आप ही बताओ क्या इस बात में कोई दम है?

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मूवी बनाइये, पर उसके ज़रिये कुछ ऐसा मत दिखाइये कि हम दोबारा वो फ़िल्म देख ही न पायें.