दुर्गा पूजा… एक ऐसा त्यौहार जो अपने साथ सुबह-सुबह हल्की ठंडी हवा और शियुली (हरसिंगार) फूलों की महक लेकर आता है.


आप आस्तिक हों या नास्तिक पर धूप की ख़ुशबू और अनुराधा पौडवाल के भजन आपको अच्छा महसूस करवाएंगे, इसकी पूरी गारंटी है.

बीतते सालों के साथ दुर्गा पूजा या नवरात्र मनाने के तरीके भी बदल गए हैं. पंडालों में हाई-वॉल्यूम में ही ख़तरनाक डीजे पर तेज़ गाने बजते हैं जिनमें भक्ति का एक कतरा नहीं दिखता. हमने तो ‘मुन्नी बदनाम हुई’ गाने के साथ मां की बिदाई होती देखी है, सच में काफ़ी बुरा लगता है.

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तो इस बार हमने आपके लिए कुछ गानों की प्लेलिस्ट बनाई है- 

1. राधा ने श्याम मली जाशे 

ये एक गरबा गीत है. और हम सब ये जानते हैं कि आजकल गरबा गुजरात तक ही सीमित नहीं है. राधा श्याम की रासलीला का ये गीत गरबा पर ज़रूर बजता है. आप भी बजाइए. गरबा न भी करना हो तो ये गीत इतना मधुर है कि पंडाल की रौनक बढ़ा देगा. 

2. ढाक बाजा कोशुर बाजा 

श्रेया घोषाल की आवाज़ में ये गाना मां दुर्गा के आगमन की ख़ुशी ज़ाहिर कर रहा है. सालभर मां के घर लौटने की ख़ुशी हर एक बंगाली का चेहरे पर देखते ही बनती है. 

3. शुभारंभ- काइ पो चे 

काइ पो चे फ़िल्म का शुभारंभ गाना कई बार सुना होगा. पंडाल हो या घर ये गाना सुनकर अलग ही ख़ुशी होती है. 

4. अयि गिरीनंदिनी 

अयि गिरीनंदिनी दुर्गा स्त्रोत है. आदि शंक्राचार्य ने इसकी रचना की थी. कहानियों के अनुसार, रामाकृष्ण उर्फ़ ‘तेनाली राम’ ने इसे लोकप्रिय बनाया. 

5. भाई भाई 

गरबा का आइकॉनिक गाना. ‘राम लीला’ में भी इस गाने के अंश हैं. इस गाने पर तो न डांस करने वाले भी कम से कम कंधे हिला ही लेंगे. 

6. नगाड़ा संग ढोल 

इस गाने में गज़ब की ऊर्जा है. लिखने वाले, बनाने वाले ने कमाल का काम किया है. मतलब भले ही समझ न आये पर गाने पर थिरकने से ख़ुद को रोक पाना असंभव है. 

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7. अंबे क्रुपा करी 

ये मराठी गाना 2013 में आया था. अंबे मां से कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की जा रही है. 

8. पलीवालु भद्रवट्टकम 

देवी भागवती को समर्पित है ये गीत. देवी भागवती, दुर्ग/काली का ही एक रूप है. दरिकन असुर को मारने के लिए उनकी भगवान शिव ने उनकी उत्पत्ति की थी. उन्हीं को समर्पित है ये मलयालम गीत. नए दौर के म्यूज़िक के साथ गीत को ऐसा बना दिया गया है कि मतलब न समझ आने पर भी कोई भी झूमने लगे. 

पेशकश कैसी लगी ज़रूर बताइएगा.