हाल ही में रिलीज़ हुई और दृश्यम फ़िल्म्स के बैनर तले बनी फ़िल्म Newton ने ऑस्कर में एंट्री कर ली है. इस फ़िल्म को तरफ से तारीफ़ मिल रही है और ऑस्कर में इसका नॉमिनेट होना हमारे लिए गर्व की बात है. फ़िल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले राजकुमार राव ने ये साबित कर दिया कि फ़िल्म इंडस्ट्री में केवल टैलेंट की मांग है. राजकुमार राव हमेशा ऐसे किरदार का चुनाव करते हैं, जो लीक से हटकर होते हैं. कुछ दिनों पहले रिलीज़ हुई फ़िल्म बरेली की बर्फ़ी में भी राजकुमार राव का किरदार देखने लायक था. फ़िल्म भले ही बॉक्स ऑफ़िस पर अपना कमाल न दिखा पाई हो, मगर राजकुमार राव के काम की हर किसी ने तारीफ़ की. खैर, हम यहां बॉलीवुड की ऐसी फ़िल्मों की बात करने जा रहे हैं, जो बीते दो दशकों में ऑस्कर्स में शामिल हुई हैं.
चलिए अब आते हैं बीते सालों में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई 7 फ़िल्मों पर. इन फ़िल्मों के नाम सलाम बॉम्बे, रुदाली, बैंडिट क्वीन, 1947 अर्थ, लगान, वॉटर, पीपली लाइव, फ़िल्मों के नाम शामिल हैं, और आठवीं फ़िल्म है ‘न्यूटन’. लेकिन अगर आप गौर करें तो इन सभी फ़िल्म्स में एक चीज़ कॉमन है और वो हैं अभिनेता रघुबीर यादव. जी हां, इन आठों फ़िल्मों में रघुबीर यादव ने एक अहम किरदार निभाया है. ये संयोग ही है कि बीते सालों में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई इन आठों फ़िल्मों में रघुबीर यादव का भी एक किरदार है.
तो चलिए आज हम इन फ़िल्मों में रघुबीर यादव के किरदारों के बारे में बात करते हैं.
1. पीपली लाइव – 2010
2010 में रिलीज़ हुई फ़िल्म पीपली लाइव की कहानी भारत में किसानों की दुर्दशा और देश में तथाकथित पत्रकारिता पर एक व्यंग्य करती है. 83rd Academy Awards में इस फ़िल्म को भारत की ओर से Best Foreign Film कैटेगरी में आधिकारिक तौर पर एंट्री मिली थी. हालांकि, फ़िल्म को नॉमिनेट नहीं किया गया था. फ़िल्म में रघुबीर यादव ने एक शराबी किसान बुद्धिया की भूमिका निभाई थी.
2. Water- 2005
दीपा मेहता के निर्देशन में बनी फ़िल्म वॉटर एक Indo-Canadian फिल्म थी, जो ‘Water’ नॉवेल पर आधारित थी. ये फ़िल्म भारत में वाराणसी में रहने वाली विधवाओं और उनकी अनसुनी कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है. इसे भारत में बैन कर दिया गया था. फ़िल्म में रघुबीर यादव एक ट्रांसजेंडर, गुलाबी के किरदार में नज़र आये थे, जो मधुमती नाम की एक विधवा को गांजा सप्लाई करता था.
इस फ़िल्म को Bangkok International Film Festival में बेस्ट फ़िल्म के अवॉर्ड्स के साथ कई अवार्ड्स मिल चुके हैं. इसी फ़िल्म के लिए रघुबीर को IFFI, Silver Peacock Award में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाज़ा गया था. इसके अलावा उन्होंने इस फ़िल्म के लिए वेनिस के FIPRESCI Critic’s Award में भी बेस्ट एक्टर का ख़िताब जीता था.
3. लगान – 2001
आमिर खान द्वारा अभिनीत ये फ़िल्म एक स्पोर्ट ड्रामा फ़िल्म थी, जिसमें रघुवीर ने मुर्गीपालन करने वाले व्यक्ति का रोल अदा किया था. 1999 में फ़िल्म 1947: Earth के लिए रघुबीर यादव के अभिनय को खुब सराहा गया था. इसी के चलते उनको फ़िल्म लगान के लिए चुना गया था. ऑस्कर्स के लिए भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर लगान फ़िल्म का नाम प्रस्तावित किया गया था. 2002 में इस फ़िल्म को अकादमी पुरस्कार के नामांकन समारोह में Best Foreign Language फ़िल्म के लिए नॉमिनेट किया गया था.
4. 1947: Earth -1999
1999 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 1947: Earth बापसी सिधवा के नॉवेल क्रैकिंग इंडिया पर आधरित थी. इसे दीपा मेहता ने निर्देशित किया था. 1999 में Academy Award में Best Foreign Language Film कैटेगरी के लिए इंडिया की तरफ से इस फ़िल्म का नाम भेजा गया था.
5. बैंडिट क्वीन – 1993
फूलन देवी के जीवन पर बनी ये बायोपिक भी 67वें ऑस्कर्स अवॉर्ड में Best Foreign Language शामिल हुई थी. शेखर कपूर के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में रघुबीर यादव ने माधो की भूमिका निभाई थी. हालांकि, फ़िल्म को इस कैटेगरी के लिए नॉमिनेशन नहीं मिला था.
6. रुदाली – 1993
1993 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म की कहानी राजस्थान की एक परंपरा पर आधारित थी, जिसमें शोक व्यक्त करने के लिए पेशेवर रोने वाले लोगों को बुलाया जाता है, पर आधारित थी. फ़िल्म में डिम्पल कपाड़िया मुख्य भूमिका में थी. ये फ़िल्म भी ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी. फ़िल्म ने रघुबीर ने बुधवा का किरदार निभाया था.
7. सलाम बॉम्बे – 1985
1985 में रिलीज़ हुई फ़िल्म सलाम बॉम्बे में रघुबीर यादव चिलम नाम के एक चोर की भूमिका में नज़र आये थे. भारतीय सिनेमा की ओर से Academy Award के लिए Best Foreign Language फ़िल्म के लिए नामित होने वाली ये दूसरी फ़िल्म थी. इसके अलावा इस फ़िल्म ने “The Best 1,000 Movies Ever Made” की लिस्ट में भी जगह बनाई थी.
रघुबीर यादव को उनके प्रसिद्ध चाचा चौधरी के किरदार के लिए भी जाना जाता है. इसमें कोई शक नहीं है कि उनमें अभिनय कौशल की कोई कमी नहीं है. उनको एक नहीं, बल्कि दो-दो इंटरनेशनल अवॉर्ड्स मिल चुके हैं.
दोस्तों अगर आपने गौर किया हो तो पिछले दो दशकों से बॉलीवुड से कोई न कोई फ़िल्म ऑस्कर्स के लिए नॉमिनेट होती आ रही है. ये हमारे देश के लिए गर्व की बात है. लेकिन इसका पूरा श्रेय बॉलीवुड के बेहतरीन निर्देशकों और कलाकारों को जाता है, जिन्होंने फ़िल्म बनाते वक़्त उसमें बिना कोई ग़लती किये परफ़ेक्ट फ़िल्में बनायीं.