90s Extraordinary Malayalam Movies: मलायलम सिनेमा आज से ही नहीं बल्कि लंबे समय से बेहतरीन फ़िल्में बनाते आ रहा है. अडूर गोपालकृष्णन, सीबी मलायिल, कमल, प्रियदर्शन, लोहिता दास जैसे निर्देशकों और लेखकों ने 80 के दशक के अंत और 90 के दशक के आरंभ में कला फिल्मों और व्यावसायिक फिल्मों को जोड़ दिया था. कॉमेडी से लेकर गंभीर सिनेमा तक, केरल में निर्देशकों, लेखकों और अभिनेताओं ने विश्व स्तरीय सिनेमा बनाने के लिए मिलकर शानदार काम किया. (90s Best Malayalam Movies)
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देखिए 90 के दशक के बेस्ट मलयालम सिनेमा की सूची (90s Best Malayalam Movies)
1- वानप्रस्थम (1999)
कुन्हीकुट्टन सुभद्रा जब भी वो अपनी कथकली पोशाक पहनते हैं, तो सुभद्रा को उनके चरित्र से प्यार हो जाता है. वो बेहद प्यार करते हैं लेकिन उनका मिलन अकल्पनीय है. सुंदर सौंदर्यशास्त्र और दृश्य, जो आपको दूसरे युग में ले जाएंगे, वानप्रस्थम सिर्फ़ एक फ़िल्म से कहीं अधिक है.
2- संदेशम (1991)
श्रीनिवासन द्वारा लिखित यह राजनीतिक व्यंग्य, मलयालम सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है. जयराम और श्रीनिवासन अभिनीत, यह दो भाइयों की कहानी है, जो अपने क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों से संबंधित हैं. वो बारी-बारी से एक-दूसरे को नीचा दिखाते हैं और उनके झगड़े कभी खत्म नहीं होते. इन सबके बीच उनकी हरकतों का खामियाज़ा उनके गरीब माता-पिता को भुगतना पड़ता है.
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3- मणिचित्रथाजु
तमिल, तेलुगु और हिंदी में फिल्म के रीमेक के साथ, हम कहेंगे कि ओरिजिनल निश्चित रूप से देखने लायक है. काले जादू और मनोविज्ञान के तत्वों के साथ, ये फ़िल्म हर मलयाली की पसंदीदा फ़िल्म है. शोभना, सुरेश गोपी और मोहनलाल एक ऐसी कहानी में मुख्य किरदार निभाते हैं.
4- कालापानी
मलयालम की कई क्लासिक फ़िल्मों में से एक, ‘कालापानी‘ एक डॉक्टर की कहानी बताती है, जिस पर ट्रेन में बम विस्फोट करने का झूठा आरोप लगाया जाता है और उसे पोर्ट ब्लेयर में जेल भेज दिया जाता है. एक समानांतर कहानी भी फ्लैशबैक में चलती है, जो हमें डॉक्टर और उसके जीवन की कहानी बताती है. कलाकारों में मोहनलाल, अमरीश पुरी, तब्बू, श्रीनिवासन और प्रभु के साथ हैं. यह फिल्म देखने लायक है.
5- परिनयम
फ़िल्म ‘परिनयम’ स्मार्थिविचारम के नंबूदरी अनुष्ठान पर आधारित है. ये वो परीक्षण है जहां एक नंबूदरी महिला और पुरुष से अवैध यौन संबंध बनाने के लिए पूछताछ की जाती है और उन्हें दंडित किया जाता है. ये फ़िल्म ऐसे समय में सेट की गई है जब नंबूदरी ने भूमि पर शासन किया और विधवा महिलाओं को निर्वासित करने वाली प्रथाओं का पालन किया. ये उन्नीमाया की कहानी बताती है, जो अपने पति की मृत्यु के बाद गर्भधारण करती है और एक बच्चे को जन्म देती है. वो न केवल पूरी तरह से Patriarchal समाज के खिलाफ खड़ी होती है बल्कि अपने बच्चे पर किसी के अधिकार से भी इनकार करती है.
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6- पेरुमथाचन
90 के दशक में बनी कलात्मक फिल्मों में से एक, फ़िल्म ‘पेरुमथाचन‘ एक पिता-पुत्र की जोड़ी की कहानी है. पिता उस्ताद मूर्तिकार हैं, जिनकी विशेषज्ञता के लिए उनकी बहुत प्रशंसा की जाती है. हालांकि, उनका बड़ा हो चुका बेटा उज्जवल है. पिता, डरता है कि उसकी महिमा के दिन खत्म हो गए हैं. इस पर पिता नाराज़गी जताते हैं और अपने बेटे के विद्रोही तरीकों को धिक्कारतें हैं.
7- कमलादलम
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपनी पत्नी और उसके साथ अपने उद्देश्य की भावना को खो देता है. पेशे से एक नृत्य शिक्षक, वो अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद शराब पीकर अपनी प्रतिभा को बर्बाद कर देता है. ये तब तक है जब तक कि मोनिशा नाम की एक शिष्या उसे अपने डांस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने के लिए नहीं कहती. वो इसके लिए राज़ी हो जाता है, लेकिन मोनिशा को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है.
8- अक्कारे अक्कारे अक्कारे
प्रफुल्लित करने वाला नादोदिकट्टु और पट्टानप्रवेशम का तीसरा भाग, फ़िल्म अक्कारे अक्कारे अक्कारे पहले दो की तरह ही शानदार है. तीसरे भाग में, विजय-दासन की जोड़ी को भारत से चुराए गए सोने के मुकुट को वापस लाने के लिए अमेरिका भेजा जाता है. ये फ़िल्म निश्चित रूप से आपके रोंगटे खड़े कर देगी.
9- थेनमाविन कोम्बात
एक ट्रायंगल लव स्टोरी है. इस फ़िल्म में सब कुछ सही मात्रा में दिखाया गया है. श्रीकृष्णन को करुथम्बी से प्यार हो जाता है. लेकिन वो मणिकन से प्यार करती है. जब श्रीकृष्णन को पता चलता है, तो वो अपने भाई जैसे दोस्त को मारने की साजिश भी रचता है. मुख्य भूमिका में शोभना, मोहनलाल और नेदुमुदी वेणु हैं.
10- मथिलुकल
वैक्कोम मोहम्मद बशीर के इसी शीर्षक वाले उपन्यास पर आधारित, फ़िल्म ‘मथिलुकल‘ अवश्य देखनी चाहिए. ये एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो त्रिवेंद्रम सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. वो जेल से मुक्त होने की योजना बनाता है.
11- गुरु
फ़िल्म ‘गुरु’ बेस्ट विदेशी भाषा फ़िल्म श्रेणी में ऑस्कर के लिए नामांकित होने वाली पहली मलयालम फ़िल्म थी. फ़िल्म मृत्यु के देवता, यमराज और चित्रगुप्त की एक अजीब कहानी बताती है, जो एक पवित्र पुस्तक को पुनः प्राप्त करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. काल्पनिक तत्वों से भरपूर, फिल्म सांप्रदायिक हिंसा, नफरत आदि जैसे सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी भी करती है.
12- आमरम
एक मछुआरे के गांव में स्थापित, फ़िल्म ‘आमरम’ अच्युती की कहानी है, जिसकी एक छोटी बेटी है. वो उसे वो सारे अवसर देना चाहता है जो उसे नहीं मिल सके. वो उसे शिक्षित करना चाहता है और उसके डॉक्टर बनने का सपना देखता है. लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि वो नहीं चाहता कि उसकी बेटी एक मछुआरे से शादी करे और उसकी तरह जीवन व्यतीत करे. हालांकि, वो प्यार में पड़कर भाग जाती है और एक स्थानीय मछुआरे से शादी कर लेती है. अच्युती उसके फैसले से नाखुश है, लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं होता है.
13- किलुक्कम
प्रफुल्लित करने वाले कॉमेडी सीक्वेंस, अकल्पनीय मोड़ (उस समय के लिए), एक अद्भुत प्रेम कहानी और इन सबसे बढ़कर, बेहतरीन कलाकार. इस फ़िल्म में एक उत्कृष्ट सिनेमाई अनुभव मिल सकता है. साथ-साथ व्यावसायिक सफलता भी फिल्म को मिली थी. किलुक्कम एक खोई हुई लड़की, एक टूर गाइड, उसके दोस्त और उसके पिता को खोजने की साहसिक यात्रा की कहानी है.
14- कलियत्तम
फ़िल्म ‘कलियत्तम’ एक तेय्यम नर्तक पेरुमाल्यम की कहानी है, जिसे तमारा से प्यार हो जाता है. उनका शिष्य, कंथन, जो कला के रूप में महान कौशल दिखाता है, उनका विश्वासपात्र बन जाता है. हालांकि, एक अन्य जूनियर कलाकार पनियन, उसे विश्वास दिलाता है कि कंथन की योजना है कि वो उसे छीन ले और उसकी पत्नी को ले जाए. इससे पेरुमाल्यान अपनी पत्नी की वफादारी पर शक करने लगता है.
15- भारतम
फ़िल्म ‘भारतम’ की कहानी दो भाइयों, रामनाथन और गोपीनाथन के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों कर्नाटक गायकों के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हैं. जबकि रामनाथन परिवार के स्टार हैं, संगीत कार्यक्रम करते हैं. गोपी अभी भी अपने बड़े भाई का शिष्य है. लेकिन बाद में रामनाथन खूब शराब पीने लगता है. इतना अधिक कि उसके नशे की लत के कारण एक संगीत कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ता है. दर्शक उसे गालियां देते हैं और उससे दूर भगाते हैं.
16- मझायेथुम मुनपे
श्रीनिवासन द्वारा लिखित मझायेथुम मुनपे एक खूबसूरत कहानी है. ये एक प्रोफेसर की कहानी है जिसने हालही में एक गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया है. कॉलेज में नया होने के कारण, लड़कियों का एक गिरोह उसके साथ मज़ाक करना शुरू कर देता है. मम्मूटी, शोभना और एनी की यह एक बहुत ही दिलचस्प फ़िल्म है.
17- नंबर. 20 मद्रास मेल
इस फ़िल्म कहानी एक ट्रेन यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है, अर्थात् त्रिवेंद्रम से मद्रास तक की ट्रेन यात्रा. ट्रेन में हमारा परिचय एक ऐसे व्यक्ति से होता है जो अपनी पत्नी और अपनी छोटी बेटी देवी के साथ यात्रा कर रहा है. टोनी और उसके दोस्त भी तस्वीर में आते हैं, तो एक टिकट कलेक्टर भी. अपनी यात्रा के दौरान, टोनी देवी को देखता है और उसके साथ फ़्लर्ट करता है. जब ट्रेन सुबह मद्रास पहुंचती है, तो देवी शौचालय में मृत पाई जाती है.
18- योद्धा
योद्धा एक युवा बौद्ध भिक्षु के बारे में है, जो अप्पुकुट्टन से मिलता है, जबकि वो अपहरण करने की कोशिश कर रहे कुछ लोगों से भाग रहा होता है. ये सब नेपाल में होता है. बेहतरीन कॉमेडी टाइमिंग, शानदार कास्ट और अलग कहानी के साथ, इस फिल्म को बार-बार देखा जा सकता है. इसमें ए.आर. रहमान का संगीत है.
19- मान्नार मथाई स्पीकिंग
ये फ़िल्म आज भी दर्शकों के दिलों में है. मुकेश, मासूम और साईकुमार की तिकड़ी ठहाके लगाए बिना आपको नहीं छोड़ेगी. दूसरे भाग में, मान्नार मथाई के थिएटर ग्रुप को एक फीमेल लीड की जरूरत है, और ये दो लड़कों पर निर्भर है कि वे एक परफेक्ट मैच ढूंढे. जब वो महिला को ढूंढते हैं, तो कुछ गड़बड़ हो जाता है.
20- उल्लादक्कम
फ़िल्म जो PTSD के मुद्दे को बहुत ही संवेदनशील तरीके से पेश करती है. उल्लादक्कम एक ऐसी लड़की की कहानी बताती है जो अपने डॉक्टर के प्रति आसक्त हो जाती है. अपने इलाज के दौरान लड़की कुछ ऐसा करती है जिससे डॉक्टर मुश्किल स्थिति में पड़ जाता है.
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