Manoj Bajpayee: बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी ने अपने करियर की शुरुआत शेखर कपूर की फ़िल्म ‘बैंडिट क्वीन 1994’ में की थी. इसमें मनोज ने मान सिंह का रोल निभाया था. हालांकि, ये रोल तो दमदार था लेकिन इससे मनोज बाजपेयी को कोई फ़ायदा नहीं मिला. इतना उम्दा किरदार निभाने के बाद भी उनके पास काम नहीं था पैसे नहीं थे. फिर फ़िल्म ‘सत्या’ में ‘भीकू म्हात्रे’ का किरदार मनोज के करियर का टर्निंग पॉइंट बना और तब से लेकर मनोज बाजपेयी हम सबके चहेते एक्टर हैं. मगर मनोज भी उन्हीं नौजवानों में से एक थे जो अमिताभ बच्चन को देखकर एक्टर बनने का सपना देखते हैं. मनोज बचपन से अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े फ़ैन रहे हैं इसलिए उनसे मिलने की भी ख़्वाहिश बहुत रही थी.

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‘सत्या’ के बाद मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) की मुलाक़ात अमिताभ बच्चन से हुई उसी से जुड़ा मज़ेदार क़िस्सा मनोज ने The Lallantop में शेयर किया था.

मनोज बाजपेयी बताते हैं,

सत्या के समय की बात है. फ़िल्म पूरी इंडस्ट्री देख चुकी थी. गैंजस टॉकीज़ में प्राइवेट स्क्रीनिंग हो चुकी थी. अमित जी को दिखाने के लिए रामगोपाल वर्मा जो हैं एक फ़ेमस स्टूडियो हुआ करता था वहां के क़रीब 50 या 70 की सीट होगी तो वो स्पेशली बुक किया गया अमित जी और उनके परिवार के लिए. और मैं बचपन से दीवाना. मैंने अमिताभ बच्चन को देखा ही नहीं था कभी. मुझे ये भी नहीं पता था कि वो लगते कैसे हैं.

आगे बताया,

वो फ़िल्म देखने वाले थे तो उनसे पहले पूरा सिक्योरिटी का वैन पहुंचा. मैं और उस समय के बहुत बड़े क्रिटिक और पत्रकार ख़ालिद मोहम्मद. फिर रामगोपाल वर्मा उनको अंदर करके और उनके पूरे परिवार को बिठाकर फ़िल्म शुरू कराकर आ गए अपनी गाड़ी में. रामू की गाड़ी में हमेशा वोडका पड़ी रहती है तो उन्होंने कहा कि चलो सेलिब्रेट करते हैं क्योंकि अमित जी फ़िल्म देख रहे हैं उनका परिवार फ़िल्म देख रहा है. मेरे लिए अमिताभ बच्चन जी लास्ट अवॉर्ड हैं. अच्छा फिर हम लोग वोडका पीने लग गए.

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इसके बाद जो हुआ वो बड़ा ही मज़ेदार था, मनोज ने बताया,

अब मुझे पता चला कि अमित जी बाहर आने वाले हैं. टाइम हो गया है फ़िल्म ख़त्म हो गई है. अब रामगोपाल वर्मा चले गए उन्हें विदा करने. मुझसे कहा तो मैंने कहा नहीं सर मैंने वोडका पी रखी है और मैं अमिताभ बच्चन को इस अवस्था में नहीं मिल सकता. वो मेरे बचपन के हीरो तो वो चले गए. इधर ये ख़ालिद मोहम्मद को क्या सूजा या ज़्यादा नशा हो गया उसने मुझे ज़बरदस्ती खींच खांच के कहा चलो निकलो जाओ और गाड़ी से बाहर निकाल दिया और गाड़ी में अंदर से लॉक लगा दिया.

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इसके आगे जो हुआ वो आपको हंसाने के लिए काफ़ी है.

अब मैं अंदर नहीं जा सकता और मुझे अंदर जाना है क्योंकि अगर मैं अंदर नहीं गया तो वो बाहर आ जाएंगे और मुझे देख लेंगे. फिर मैंने सोचा बाथरूम है सामने उसके अंदर मैं घुस जाता हूं और थोड़ी देर वहीं रहूंगा. मैं अंदर गया फिर मुझे जब लगा कि सब चले गए तो मैं बाहर आया और मैं जैसे ही बाहर आया इधर से अभिषेक बच्चन वो मेरी तारीफ़ करने लगे. अभिषेक मुझसे बात कर रहा था तभी मुझे लगा कि अचानक से कोई आकर खड़ा हुआ. जिस हाइट पर मेरी आंख थी उस आदमी की मैं छाती ही देख पा रहा था. और मैं वोडका के नशे में सराबोर था इसलिए मेरी ऊपर देखने की हिम्मत नहीं रही थी क्योंकि एक सेंस कह रहा था कि अमिताभ बच्चन आ गए. मैंने जैसे ही देखा मेरा कान-वान सुन्न हो गए एक दम.

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आगे मनोज ने अमिताभ बच्चन कि भगवान शिव से तुलना करते हुए कहा,

मुझे आज भी नहीं याद है कि वो क्या बोल रहे थे. मुझे लगा जैसे भगवान सामने खड़े हो गए. अगर आपके सामने शिव जी खड़े हो जाएं तो कैसा लगेगा? मेरे साथ ऐसा हो तो मैं या तो बेहोश हो जाऊंगा या रोने लगूंगा. अमिताभ बच्चन मेरे बचपन के हीरो दीवार, अमर अकबर एंथोनी, ज़ंजीर सब घूमने लगीं. वो बोलते जा रहे थे मेरा हाथ पकड़े हुए थे इस बीच मैंने कहा मैं ज़रा गले मिल लूं आपसे? उन्होंने कहा, अरे, क्यों नहीं क्यों नहीं आइए आइए. मुझे इतना ही याद है इस पूरी मीटिंग का.

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आपको बता दें, अमिताभ बच्चन को देखकर एक्टर बने मनोज बाजपेयी बॉलीवुड के उम्दा एक्टर्स में से एक हैं. वर्कफ़्रंट की बात करें तो मनोज बाजपेयी की आने वाली फ़िल्मों में ‘सैम बहादुर’ है. इसके अलावा, इनकी ‘सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है’ 23 मई को Zee5 पर रिलीज़ हो चुकी है.