अपने अलग और उम्दा अदाज़ से बॉलीवुड को एक नई दिशा देने वाले एक्टर राज कुमार जैसा स्टाइलिश हीरो दोबारा नहीं आ सकता. गले में रुमाल, हाथ में सिगार और बिल्कुल हट के आवाज़ के मालिक राज कुमार बहुत साफ़ दिल के इंसान थे, जितने गंभीर वो अपनी एक्टिंग में थे, उससे कहीं ज़्यादा मसखरे असल ज़िंदगी में थे. इसके साथ ही वो अपनी ज़िंदगी को बहुत प्लानिंग से जीते थे. शायद इसीलिए ही उन्होंने अपने ज़िंदगी ही नहीं, बल्कि मौत के बाद की भी प्लानिंग जीते जी कर ली थी. इस बात को डायरेक्टर मेहुल कुमार ने ख़ुद बताया था.

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राज कुमार की मौत को राज़ रखने की बात हो या उनकी शवयात्रा का रिहर्सल वो बहुत ही अलग व्यक्तित्व के इंसान थे. ऐसा ही एक क़िस्सा डायरेक्टर मेहुल कुमार ने भी शेयर किया है.दरअसल, राज कुमार ने अपने करियर में सबसे ज़्यादा फ़िल्में मेहुल कुमार के साथ की थी. इनमें से ही एक फ़िल्म ‘मरते दम तक’ थी, जिसका एक क़िस्सा मेहुल कुमार ने इंटरव्यू में बताया था,

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जब इस फ़िल्म में राज कुमार की मौत का सीन शूट किया जा रहा था, तभी उन्होंने सबको मजबूर किया कि उन्हें मरा हुआ घोषित किया जाए, उनके ज़ोर देने पर ऐसा ही किया गया क्योंकि राज कुमार अपनी मौत का ये सीन महसूस करना चाहते थे. अगर देखा जाए तो, ये उनकी मौत की रिहर्सल ही थी.

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आगे बताया, जब राज कुमार की शवयात्रा श्मशान के लिए निकली, तो उन्हें गाड़ी में लिटाया गया फिर उन पर हार और फूल चढ़ाए गए. उसी वक़्त उन्होंने कहा था, ‘जानी अभी पहना लो हार, जब जाएंगे आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब गए. इस बात को राज कुमार ने सच साबित कर दिया, वो जब गए तो किसी को भी पता ही नहीं लगने दिया.

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मेहुल ने बताया,  

हालांकि, उस समय उनकी बात को मैंने मज़ाक समझा था, लेकिन असल में वो जब वो दुनिया को अलविदा कहकर गए तो किसी को कानों कान ख़बर नहीं लग पाई थी. पता तब चला था जब उनका अंतिम संस्कार हो गया.
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आपको बता दें, अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले अभिनेता राज कुमार को कैंसर हो गया था, जिसके चलते उन्होंने 3 जुलाई 1996 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.