नेपाल (Nepal) में 19 जून को ‘आदिपुरुष’ फ़िल्म पर बैन लगा दिया गया था. 22 जून को कोर्ट ने ये फ़ैसला सुनाते हुए केवल आदिपुरुष ही नहीं, बल्कि हिंदी फ़िल्मों पर नेपाल में लगा बैन भी हटा दिया गया है. अदालत ने ये आदेश भी दिए कि अब से देश के सेंसर बोर्ड द्वारा पारित किसी भी फ़िल्म की स्क्रीनिंग न रोकी जाए. लेकिन कोर्ट के इस फ़ैसले पर काठमांडू के मेयर ने नाराजगी जताई है.

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काठमांडू के मेयर ने लगाया था बैन

दरअसल, काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने भारतीय फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ में सीता को ‘भारत की बेटी’ बताए जाने पर आपत्ति जताते हुए फ़िल्म पर बैन लगा दिया था. उन्होंने शहर के सभी सिनेमाघर को लिखित रूप से हिदायत दी थी कि जब तक फ़िल्म से इस विवादित सीन को हटा नहीं लिया जाता, तब तक फ़िल्म सिनेमाघरों में लगने नहीं देंगे.

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काठमांडू मेयर बालेन शाह ने केवल ओम राउत की फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ को ही नहीं, बल्कि सभी भारतीय फ़िल्मों पर भी नेपाल में प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन अब बैन हटने के बावजूद बालेंद्र शाह का कहना है कि वो किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन फ़िल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं देंगे, क्योंकि मामला ‘नेपाल की संप्रभुता और स्वतंत्रता’ से संबंधित है.

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कोर्ट के फ़ैसले पर बालेंद्र शाह की कड़ी टिप्पणी

हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, काठमांडू के मेयर ने कड़े शब्दों में कोर्ट के फ़ैसले की निंदा करते हुए कहा, ‘अदालत और सरकार दोनों भारत के गुलाम हैं’. आदिपुरुष फ़िल्म के लेखक को लेकर कहा कि, ‘वो कहते हैं कि नेपाल भारत के अधीन है, इससे भारत की गलत मंशा साफ़ झलकती है. इसके बावजूद भी अदालत द्वारा फ़िल्म की स्क्रीनिंग के पक्ष में आदेश जारी करने का मतलब है, नेपाल कभी भारत के शासन में था’.

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