‘आदिपुरुष’(Adipurush Trailer) का ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है. फ़िल्म में साउथ के सुपरस्टार प्रभास (Prabhas), कृति सेनन (Kriti Sanon), सैफ़ अली खान (Saif Ali Khan) और देवदत्त गजानन नागे अहम क़िरदार निभाते नज़र आएंगे. इस फ़िल्म की हर जगह चर्चा हो रही है. लेकिन हम आज उस फ़िल्म के बारे में बताएंगे, जिसमें पहली बार पर्दे पर रामकथा दिखी थी. साथ ही, उस फ़िल्म में मां सीता का रोल भी श्रीराम का क़िरदार निभाने वाले एक्टर ने ही किया था. (Anna Salunke Played Ram And Sita Role In Lanka Dahan)
आज़ादी से पहले पर्दे पर दिखी थी राम-सीता की गाथा
सबसे पहली बार रामकथा आज़ादी से पहले पर्दे पर नज़र आई थी. साल 1917 और फ़िल्म का नाम ‘लंका दहन’. ‘हिंदी सिनेमा के जनक’ दादा साहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) ने इस साइलेंट मूवी को डायरेक्ट किया था. यानि फ़िल्म में वीडियो तो था, मगर ऑडियो नहीं. फ़िल्म में सीन को समझाने के लिए बीच-बीच में हिंदी-इंग्लिश में टेक्स्ट लिखे नज़र आते थे. (Lanka Dahan is based on Ramayana)
फ़िल्म में दिखाया गया कि कैसे राम को 14 सालों के लिए वनवास जाना पड़ा. वहां सीता का रावण ने अपहरण किया. कैसे हनुमान जी, मां सीता को खोजते हुए लंका पहुंचते हैं और वहां उनसे मिलकर अपनी पहचान बताते हैं. खु़द को रामभक्त बताते हुए उन्हें श्रीराम की अंगूठी देते हैं, ताकि सीता जी को यक़ीन आ सके कि रावण का कोई इसमें छल नहीं है. फिर कैसे लंका दहन हुआ सीता जी को मुक्त कराया गया.
इस फ़िल्म को दर्शकों का बहुत अच्छा रिस्पांस मिला था. लोग जूते उतार कर फ़िल्म देखते थे. मुंंबई के मैजिस्टिक थियेटर के बाहर टिकट के लिए लंबी-लंबी लाइन में लोग लगे रहते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई के ही एक थियेटर में ये फ़िल्म 23 हफ़्ते तक चली. बताते हैं कि उस वक़्त बैग्स में भरकर सिक्कों को बैलगाड़ी के ज़रिए प्रोड्यूसर्स के पास पहुंचाया जाता था.
राम ने ही निभाया सीता का क़िरदार
इस फ़िल्म की सबसे मज़ेदार बात ये थी कि इसमें राम और सीता दोनों का क़िरदार अन्ना सालुंके (Anna Salunk) ने निभाया था. इस हिसाब से भारतीय सिनेमा का पहला डबल रोल फ़िल्म ‘लंका दहन’ में ही निभाया गया था. वहीं, गणपत शिंदे हनुमान बने थे. (First double role in Indian cinema)
Anna Salunke Played Ram And Sita Role In Lanka Dahan
बता दें, ये कोई पहली बार नहीं था, जब अन्ना सालुंके ने कोई फ़ीमेल क़िरदार निभाया हो. साल 1913 में बनी दादा साहेब फाल्के की ही पहली फ़िल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ में भी वो रानी तारामती का क़िरदार निभा चुके थे. अपने 18 साल के एक्टिंग करियर में उन्होंने 5 फ़िल्मों में फ़ीमेल क़िरदार निभाए थे.
दरअसल, सिनेमा के शुरुआती वक़्त में महिलाएं काम करने को तैयार नही थीं. हरीशचंद्र के वक़्त भी ऐसा ही हुआ था. दादा साहेब को रानी तारामती के रोल के लिए प्रोस्टीट्यूट और नाचने वाली लड़कियों ने भी मना कर दिया था. बाद में उन्होंने अन्ना सालुंके को ये रोल ऑफ़र किया, जो एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम करते थे.
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