‘ख़ुदा गवाह’ 1992 में रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन(Amitabh Bachchan) और श्रीदेवी(Sridevi) की सुपरहिट फ़िल्म थी. इसे मुकुल एस. आनंद ने डायरेक्ट किया था. इसमें डैनी डेंगज़ोंग्पा, शिल्पा शिरोडकर, नागार्जुन जैसे स्टार भी थे. इसे फ़िल्मफ़ेयर का बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर(डैनी) का अवॉर्ड भी मिला था.
इसकी शूटिंग अफ़गानिस्तान में हुई थी. वहां से जुड़ा एक दिलचस्प क़िस्सा अमिताभ बच्चन ने अपने एक ब्लॉग में शेयर किया था. आज वो स्टोरी हम आपके लिए लेकर आए हैं.
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दरअसल, इन दिनों अफ़गानिस्तान सुर्खियों में है. वहां पर तालिबान ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है. कुछ साल पहले ऐसे ही हालात थे जब अफ़गानिस्तान में फ़िल्म ‘ख़ुदा गवाह’ की शूटिंग हुई थी. तब वहां से बस सोवित संघ गया ही था और अफ़गानिस्तान की कमान राष्ट्रपति नजीबुल्लाह अहमदज़ई (Najibullah Ahmadzai) के हाथों में थी.
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वो हिंदी फ़िल्मों के बहुत बड़े फ़ैन था. इसलिए जब इस फ़िल्म की यूनिट वहां पहुंची तो उनकी सुरक्षा का ज़िम्मा सरकार ने उठा लिया. अमिताभ सहित पूरी टीम का शाही मेहमान की तरह स्वागत हुआ. इसके बाद अमिताभ ने बताया है कि कैसे उन्होंने सुरक्षा बलों के साए में इस फ़िल्म की शूटिंग की थी.
वहां हर तरफ टैंक और सुरक्षा बल तैनात थे. इस सबके बावजूद मेरी लाइफ़ की सबसे यादगार ट्रिप है. हमें एक जगह से बुलावा आया था, तो डैनी डेंजोंगप्पा, मुकुल और मैं एक चॉपर में सवार होकर वहां के लिए निकले. हमारे चॉपर के साथ 5 दूसरे हेलीकॉप्टर उड़ रहे थे. एरियल व्यू इतना शानदार था कि पूछिए मत, पहाड़ कभी गुलाबी तो कभी बैंगनी रंग के लगते थे, क्योंकि चारों तरफ मौसमी फूल खिले हुए थे. जब घाटी में चॉपर उतरा तो ऐसा लगा मानों समय थम सा गया हो. देखते ही वहां के सरदार ने हमको कंधे पर उठा लिया, क्योंकि उनकी परंपरा के मुताबिक अतिथि के पैर ज़मीन पर नहीं पड़ने चाहिए.
-अमिताभ बच्चन
अमिताभ ने आगे बताया कि उन्हें एक छोटे महल में रखा गया था. जहां उनकी ख़ूब खातिरदारी हुई थी. उनके लिए वहां के पारंपरिक खेल बुजकशी की प्रतियोगिता भी रखी गई थी. फ़िल्म में भी बुजकशी टूर्नामेंट दिखाया गया है. इस फ़िल्म की शूटिंग वहां के मज़ार-ए-शरीफ़ इलाके में हुई थी, जहां आतंकवादियों का ख़तरा सिर पर मंडराता रहता था. मगर फ़िल्म की यूनिट की सुराक्षा में पूर्व राष्ट्रपति ने अपने सैन्य बल को तैनात कर रखा था.
इसकी शूटिंग टैंक और सशस्त्र सैनिकों के बीच हुई थी. फ़िल्म की शूटिंग के बाद जब इंडिया वापस लौटने का वक़्त आया तो नजीबुल्लाह अहमदज़ई ने पूरी टीम को राष्ट्रपति भवन में शाही भोज पर बुलाया. यहां उन्होंने फ़िल्म के बारे में चर्चा की और लौटते समय उन्हें उपहारों से लाद दिया. अमिताभ बताते हैं ये किसी परीकथा की तरह था. ऐसी खातिरदारी उन्हें किसी ट्रिप पर नहीं मिली थी. उन्होंने अपने ब्लॉग के अंत में लिखा कि पता नहीं हमारे वो मेजबान कहां होंगे.