अपनी तो जैसे तैसे कट जाएगी, ‘आप’ का क्या होगा जनाब-ए-आली… गाना सही है ना? यहां ‘आप’ पढ़कर कुछ लोगों को तो हंसी ज़रूर आई होगी. वजह तो समझने वाले समझ ही गए होंगे.

जी, वजह है ‘आप’. आम आदमी पार्टी. इस पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद से ही आप शब्द के ही मायने बदल गए हैं. आम आदमी की पार्टी, ‘आप’ और इसेक कर्ता-धर्ता के ऊपर बनी है एक फ़िल्म, ‘An Insignificant Man’. जिस देश में रिमेक भी करोड़ों रुपये कमाते हैं और नई फ़िल्मों में अच्छे पुराने गानों की बखिया उधेड़ी जाती है, वहां डॉक्यूमेंट्री कौन देखता है? हक़ीक़त कुछ ऐसी ही है, हमारे देश में डॉक्यूमेंट्री की बात करें, तो लोगों को India’s Daughter भी शायद ही याद हो. कोई और अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री की बात तो छोड़ दीजिये.

आम आदमी पार्टी के कर्ता-धर्ता, अरविंद केजरीवाल के आम आदमी से लेकर दिल्ली के सीएम बनने तक की कहानी को डॉक्युमेंट्री के रूप में दिखाया गया है.

हमारी राजनैतिक विचारधाराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन इस फ़िल्म के डायरेक्टर्स ने जो किया, उसे पूरी दुनिया में सम्मानित किया गया है. ‘An Insignificant Man’ के निर्देशक खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने आम आदमी पार्टी को डेढ़ साल तक Follow किया. 400 घंटे के वीडियो को 1 घंटा 40 मिनट की डॉक्यूमेंटरी में ढालना आसान तो बिल्कुल भी नहीं है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अन्ना की लड़ाई से लेकर केजरीवाल के दिल्ली के सीएम बनने तक डॉक्यूमेंट्री में सब दिखाया गया है.

ख़ुशबू और विनय की इस डॉक्यूमेंट्री ने 50 से ज़्यादा फ़िल्म फ़ेस्टिवल में हिस्सा लिया है. अब जाकर ये भारत में रिलीज़ की गई है.

लेकिन इस फ़िल्म की रिलीज़ भी आसान नहीं थी. पिछले साल रीलिज़ होने वाली फ़िल्म अब जाकर रिलीज़ की गई है.

व्यक्ति चाहे किसी भी विचारधारा को मानता हो, ये डॉक्यूमेंट्री ज़रूर हर एक को देखना चाहिए. ‘आप’ के लिए नहीं, ‘An Insignificant Man’ के लिए.

फ़िल्म का ट्रेलर-

Source- HT