कई फ़िल्मों और वेब सीरीज़ में काम कर चुकीं एक्ट्रेस अनुप्रिया गोयनका इन दिनों बॉबी देओल स्टारर वेब सीरीज़ ‘आश्रम’ में नज़र आ रही हैं. बाकी फ़िल्मों और वेब सीरीज़ की तरह प्रकाश झा की इस वेब सीरीज़ के लिए भी उनके अभिनय की ज़बरदस्त तारीफ़ की जा रही है. इसके साथ ही वो एक बहुत बड़ा खुलासा करने के लिए भी चर्चा में बनी हैं. 

दरअसल, अनुप्रिया ने Times Of India के साथ अपनी ज़िंदगी से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया, उन्होंने बताया कि जब वो परेशान होती हैं तो एक ज्योतिष के पास जाती हैं,

अनुप्रिया ने एक ज्योतिषी के बारे में बताया,

जब भी मैं परेशान होती हूं या मुझे कुछ समझ नहीं आता, तो मैं उनके पास जाती हूं. उनके पास मुझे शांति का अनुभव होता है. ये एकदम ईश्वर की आवाज़ सुनने जेसा होता है. मगर मैं अपनी ज़िंदगी की बागडोर किसी के हाथों में नहीं दूंगी. इन सबके अलावा उन्होंने कहा मुझे अपनी मेहनत और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने की आवश्यकता है. अगर कुछ चीज़ें मेरे लिए काम नहीं करती हैं, तो वे मेरी कमियों के कारण हैं या मेरे लिए नहीं हैं. एक इंसान आपके लिए कोई चमत्कार नहीं कर सकता है. मैं किसी पर भरोसा कर सकती हूं लेकिन उस व्यक्ति को मुझे कंट्रोल करने नहीं दे सकती. 

अनुप्रिया ने आगे बताया,

मेरे पिता बहुत आध्यात्मिक थे, लेकिन आध्यात्मिकता की मेरी परिभाषा और उनकी परिभाषा बिल्कुल अलग-अलग है. मेरे लिए आध्यात्म का मतलब, जब आप ब्रह्मांड में विश्वास करते हैं, तो हमें कुछ बाहरी ताक़तों के अस्तित्व पर विश्वास करना होता है जो हमारे ऊपर है. इसके अलावा अच्छे विचारों पर विश्वास करना और विश्वास करना एक बड़ी ताक़त है. मुझे भगवान पर विश्वास करना बेहतर महसूस कराता है और पॉज़िटिव एनर्जी देता है. मगर मेरे पिताजी के लिए, आध्यात्मिकता हमेशा बाबाओं और आध्यात्मिक गुरुओं का अनुसरण करने में थी. वो इन सबमें इतना खो गए कि इससे रिवार को मुश्किल का सामना करना पड़ा, वो कुछ करने में असमर्थ हो गए और परिवार पर मुश्किलों के बादल मंडराने लगे.

बाजीराव मस्तानी और टाइगर ज़िंदा है में काम कर चुकीं अनुप्रिया गोयनका ने अपनी आध्यात्मिक परिभाषा को बताने के बाद बताया कि जब वो 18 साल की थीं तो एक बाबा के साथ उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा था,

मेरे परिवार ने उन पर बहुत भरोसा किया, यहां तक ​​कि मैं भी उस पर विश्वास करने लगी थी. वो वही बातें करता था जो सही थीं, उसकी बातें सुनकर मैं भी मान लेती थी, लेकिन उसने मेरा फ़ायदा उठाने की कोशिश की. तब मैं सिर्फ़ 18 साल की थी. उस बाबा ने मुझे काफ़ी लंबे समय तक डराया. 

आगे बताया,

शुक्र है, मैंने उसे फ़ायदा नहीं उठाने दिया. मैं उससे बचकर निकल गई. मुझे पता था कि मुझे अपने आपकी सुननी है. मुझे इन चीज़ों से लड़ना है. मैंने धीरे-धीरे उसके इरादों को समझने लगी थी और मैं समझ गई थी कि ये ग़लत है.

बाबाओं पर अंधविश्वास करने से अच्छा अपने आप पर विश्वास करो और अपने दिल की सुनकर आगे बढ़ो.