Ashok Kumar Birthday: बॉलीवुड (Bollywood) के दिग्गज कलाकार अशोक कुमार (Ashok Kumar) की आज बर्थ एनिवर्सरी है. 13 अक्टूबर 1911 को जन्मे अशोक कुमार को लोग प्यार से ‘दादा मुनि’ कहकर भी बुलाते थे. अपने करियर में उन्होंने 275 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया. लेकिन क्या आप जानते हैं फ़िल्म इंडस्ट्री के इस लीजेंड्री स्टार की शादी फ़िल्मों में काम करने की वजह से टूट गई थी?
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जी हां, ये क़िस्सा (Interesting Kissa) उन दिनों का है, जब फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था. तो चलिए जानते हैं ये पूरा क़िस्सा क्या था और कैसे न चाहते हुए भी अशोक कुमार को बनना पड़ा एक्टर.
Ashok Kumar Birthday-
पिता बनाना चाहते थे वक़ील
अशोक कुमार के पिता कुंजलाल गांगुली वकील थे और मां गौरी देवी एक धनी बंगाली परिवार से थीं. पिता चाहते थे कि बेटा उनकी राह पर चले, इसीलिए कलकत्ता में उन्हें वकालत की पढ़ाई करवाने लगे. उस दौरान भी अशोक कुमार को फ़िल्में देखने का बहुत शौक़ था. वकालत की पढ़ाई में ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और फ़ेल हो गए.
अशोक कुमार वकील तो नहीं बने, लेकिन ज़िंदगी में कमाई तो करनी ही थी. उनका दिलचस्पी भी फ़िल्मों में थी. हलांकि, वो एक्टर नहीं बनना चाहते थे. उनका मन फ़िल्में डायरेक्ट करने का था. ख़ैर, शुरुआत में वो बॉम्बे टॉकीज में काम करने लगे थे.
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दरअसल, उनकी छोटी बहन के पति शशधर मुखर्जी, हिमांशु राय की कंपनी बॉम्बे टॉकीज में साउंड इंजीनियर थे. वे अशोक कुमार को राय के पास लेकर गए. राय ने उन्हें एक्टर बनने के लिए कहा, लेकिन अशोक ने मना कर दिया. उन्हें टेक्नीकल डिपार्टमेंट में काम करना था. राय ने उन्हें कंपनी में रख लिया. अशोक बाद में डायरेक्शन में भी असिस्ट करने लगे.
जब मजबूरी में बनना पड़ा हीरो
बतौर एक्टर अशोक कुमार की पहली फ़िल्म ‘जीवन नैया’ 1936 में रिलीज़ हुई थी. जैसा कि पहले ही बतया कि दादा मुनि एक्टर नहीं बनना चाहते थे, मगर उन्हें ऐसा मजबूरी में करना पड़ा. दरअसल, ‘जीवन नैया’ की शूटिंग के दौरान हीरो नजमुल हसन सेट पर नहीं आए. इस फ़िल्म में हिमांशु राय की बीवी यानी फ़िल्म की हीरोइन देविका रानी काम कर रही थीं.
ऐसे समय राय ने अशोक कुमार से हीरो बनने के लिए कहा. लेकिन वे नहीं माने. क्योंकि उन दिनों एक्टिंग को गंदा पेशा माना जाता था. हालांकि, उन्हें यकीन दिलाया कि उनके यहां अच्छे परिवारों वाले, शिक्षित लोग ही एक्टर होते हैं तब अशोक माने और ये उनकी डेब्यू फ़िल्म साबित हुई.
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हीरो बनने की ख़बर से परिवार में मच गया कोहराम
जब अशोक हीरो बने तो उनके घर खंडवा में कोहराम मच गया. जिस परिवार में उनका रिश्ता तय हुआ था, वो टूट गया. क्योंकि, समाज में एक्टर्स को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था. लेकिन पिता ने तय किया कि वो बेटे को समझा लेंगे. ऐसे में वो नागपुर पुहंचे और अपने कॉलेज के दोस्त रविशंकर शुक्ल से मिले जो तब मुख्य मंत्री थे.
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उन्होंने पूरा मांजरा बताया और बेटे के लिए कोई नौकरी मांगी. शुक्ल ने भी 250 रुपये तनख्वाह वाली एक सरकारी नौकरी का ऑफ़र लेटर दे दिया. पिता जी फ़ौन वो ऑफ़र लेटर लेकर अशोक कुमार के पास गए और नौकरी छोड़ने को कहा.
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अशोक कुमार बड़ी मुश्किल में फंस गए तो उन्होंने हिमांशु राय को कागज़ दिखाया. फिर राय ने अशोक कुमार के पिता जी से अकेले बात की. थोड़ी देर बाद उनके पिता उनके पास आए और नौकरी के कागज़ फाड़ दिए. बोले कि हिमांशु राय कहते हैं कि अगर तुम यही काम करोगे तो बहुत ऊंचे मुकाम तक पहुंचोगे. तो मुझे लगता है तुम्हें यहीं रुकना चाहिए. (Ashok Kumar Birthday)