बॉलीवुड फ़िल्मों में कहानी के साथ ही डायलॉग भी बेहद अहम माने जाते हैं. 70, 80 और 90 के दशक में किसी फ़िल्म के हिट और फ़्लॉप होने का कारण उसके डायलॉग भी हुआ करते थे. ‘आनंद’ हो या ‘शोले’ या फिर ‘ज़ंज़ीर’ ये सभी फ़िल्म अपनी कहानी के साथ-साथ ज़बरदस्त डायलॉग की वजह से भी हिट रही थी. 70, 80 और 90 के दशक में विलेन के डायलॉग हीरो के डायलॉग से अधिक दमदार हुआ करते थे. खलनायकों के एक-एक डायलॉग से सिनेमा हॉल तालियों से गूंज पड़ता था. इस दौरान ख़लनायकों के एक से बढ़कर ‘तकिया कलाम’ भी हुआ करते थे, जो अब बॉलीवुड फ़िल्मों से नदारद हैं.
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चलिए आज 70, 80 और 90 के दशक में खलनायकों के ऐसे ही कुछ ‘तकिया कलाम’ से आपको रूबरू कराते हैं-
1- ‘मुगैंबो ख़ुश हुआ’ (अमरीश पुरी)
अमरीश पुरी 70, 80, 90 के दशक में बॉलीवुड के सबसे बड़े ख़लनायकों में से एक हुआ करते थे. अनिल कपूर-श्रीदेवी स्टारर ‘मिस्टर इंडिया’ फ़िल्म का आइकॉनिक डायलॉग ‘मुगैंबो ख़ुश हुआ’ आज भी बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर रहता है. इस डायलॉग ने अमरीश पुरी को स्टार बना दिया था.
2- ‘जो डर गया समझो मर गया’ (अमजद ख़ान)
‘शोले’ फ़िल्म और इस फ़िल्म के गब्बर सिंह को शायद ही कभी कोई भूल पाए. इस फ़िल्म में अमजद ख़ान ने ‘गब्बर सिंह’ नाम के खूंखार डाकू का किरदार निभाया था. फ़िल्म से ज़्यादा ‘गब्बर सिंह’ के डॉयलॉग हिट हुए थे. शोले फ़िल्म में ‘जो डर गया समझो मर गया’, ‘ये हाथ हमको दे दे ठाकुर’ और ‘कितने आदमी थे’ गब्बर सिंह के ऑइकॉनिक डॉयलॉग थे.
3- ‘मोना डार्लिंग’ (अजीत ख़ान)
अजीत ख़ान 70 और 80 के दशक के बॉलीवुड के सबसे बड़े विलेन के तौर पर जाने जाते थे. धर्मेंद्र-जीनत अमान स्टारर ‘यादों की बारात’ फ़िल्म में अजीत ख़ान ने ‘शाखाल’ नाम के विलेन का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘शाखाल’ बात-बात पर अपनी सेक्रेटरी मोना को ‘मोना डार्लिंग’ कहकर बुलाते थे.
4- ‘प्रेम नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा’ (प्रेम चोपड़ा)
ऋषि कपूर-डिंपल कपाड़िया स्टारर फ़िल्म ‘बॉबी’ में प्रेम चोपड़ा ने ‘जैक ब्रैगेंज़ा’ नाम का नेगेटिव किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा’ जैक का बेस्ट तकिया कलाम था.
5- ‘सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है’ (अजीत ख़ान)
शत्रुघन सिन्हा-रीना रॉय स्टारर फ़िल्म ‘कालीचरण’ में अजीत ख़ान ने दीन दयाल उर्फ़ ‘लॉयन’ नाम का नेगेटिव किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है‘ लॉयन का बेस्ट तकिया कलाम था.
6- ‘नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या’ (प्रेम चोपड़ा)
गोविंदा और रवीना टंडन स्टारर ‘दूल्हे राजा’ फ़िल्म में प्रेम चोपड़ा ने ‘बिशंबर नाथ’ नाम का नेगेटिव किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या’ बिशंबर नाथ का फ़ेवरेट तकिया कलाम हुआ करता था.
7- ‘बैड मैन’ (गुलशन ग्रोवर)
अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ़ स्टारर फ़िल्म ‘राम लखन’ में गुलशन ग्रोवर ने ‘केसरिया विलायती’ नाम का नेगेटिव किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में केसरिया विलायती का तकिया कलाम ‘बैड मैन’ था. ये डायलॉग इतना हिट हुआ कि गुलशन ग्रोवर को आज भी इसी नाम से जाना जाता है.
8- ‘मेरे मन को भया मैं कुत्ता काट के खाया’ (मुकेश तिवारी)
‘चायनागेट’ फ़िल्म का ये डायलॉग भी काफ़ी हिट हुआ था. इस फ़िल्म में मुकेश तिवारी ने ‘जगीरा’ नाम के डाकू का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘मेरे मन को भया मैं कुत्ता काट के खाया’ जगीरा का तकिया कलाम था. ‘लोमड़ी का दूध पीकर पला है ये जगीरा’.
9- ‘ज़िंदगी का मज़ा तो खट्टे में है’ (गुलशन ग्रोवर)
अजय देवगन-सोनाली बेंद्रे स्टारर फ़िल्म ‘दिलजले’ में ‘इंस्पेक्टर युजवेंद्र’ का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘ज़िंदगी का मज़ा तो खट्टे में है’ इंस्पेक्टर युजवेंद्र का बेस्ट तकिया कलाम था.
10- ‘आउ….लोलिता’ (शक्ति कपूर)
जीतेन्द्र-श्रीदेवी स्टारर ‘तोहफा’ फ़िल्म में शक्ति कपूर ने कामेश सिंह का किरदार निभाया था, जो कॉलेज के बाहर लड़कियों को छेड़ने का काम करता है. इस फ़िल्म में ‘आउ….लोलिता’ कामेश का तकिया कलाम था, जो बेहद हिट भी हुआ.
11- ‘बाय गॉड, दिल गार्डन गार्डन हो गया’ (गुलशन ग्रोवर)
अक्षय कुमार स्टारर ‘इंटरनेशनल खिलाड़ी’ फ़िल्म का ये डायलॉग बेहद हिट हुआ था. इस फिल्म में गुलशन ग्रोवर ने ‘ठकराल’ नाम के विलेन का धाकड़ किरदार निभाया था. फ़िल्म में ‘बाय गॉड, दिल गार्डन गार्डन हो गया’ ठकराल का बेस्ट तकिया कलाम था.
12- ‘मेरा नाम है क्राइम मास्टर गोगो’ (शक्ति कपूर)
सलमान ख़ान-आमिर ख़ान स्टारर बेहतरीन कॉमेडी फ़िल्म ‘अंदाज अपना अपना’ तो आपने देखी ही होगी. इस फ़िल्म में शक्ति कपूर ने ‘क्राइम मास्टर गोगो’ का किरदार निभाया था, जो नेगिटिव कम, फनी ज़्यादा था. फ़िल्म में ‘मेरा नाम है क्राइम मास्टर गोगो’ और ‘आंखें निकलकर गोटियां खेलूंगा’ शक्ति कपूर के बेस्ट तकिया कलाम थे.
13- मेरा नाम है बुल्ला रखता हूं मैं खुल्ला (मुकेश ऋषि)
मिथुन चक्रवर्ती स्टारर ‘गुंडा’ फ़िल्म में मुकेश ऋषि ने ‘बुल्ला’ नाम के खूंखार विलेन का दमदार किरदार निभाया था. इस फ़िल्म में ‘मेरा नाम है बुल्ला रखता हूं मैं खुल्ला’ बुल्ला का फेवरेट तकिया कलाम था, जो बेहद हिट भी हुआ.
इनमें से आपका सबसे फ़ेवरेट तकिया कलाम कौन सा है?