बॉलीवुड में इन दिनों बायोपिक फ़िल्मों का दौर चल रहा है. चुनावी माहौल है, ऐसे में किसी राजनेता की बायोपिक न बने, ऐसा कैसे हो सकता है.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित फ़िल्म ‘PM Narendra Modi’ को लेकर हुए तमाम तरह के विवाद के बाद फ़िलहाल चुनाव आयोग ने इसकी रिलीज़ आगे बढ़ा दी है.  

अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की बायोपिक को लेकर भी चुनावी माहौल फिर से गर्म होने जा रहा है. Baghini (The Tigress) नाम की इस फ़िल्म को हाल ही में सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिली है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि ये फ़िल्म इलेक्शन के दौरान रिलीज़ हो पाती है कि नहीं.   

इंडिया टुडे टीवी से बातचीत के दौरान फ़िल्म के निर्देशक नेहल दत्ता ने कहा कि ‘उनकी फ़िल्म बायोपिक नहीं है, बल्कि टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के जीवन की यात्रा से प्रेरित कहानी है. ये फ़िल्म मोदी की बायोपिक की तरह नहीं है. ये महिला सशक्तिकरण की एक भावनात्मक कहानी है, जिसे आप ममता बनर्जी से प्रेरित पाएंगे. 

https://www.youtube.com/watch?v=hXMrn61akKA

इस फ़िल्म में एक साधारण लड़की के सीएम की कुर्सी पर आसीन होने की कहानी दिखाई गयी है. फ़िल्म में उनकी राजनीति यात्रा के बारे में बताया गया है कि वो कैसे अकेली हज़ारों से लड़कर ख़ुद के दम पर बंगाल की पहली महिला सीएम बनीं.  

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फ़िल्म की प्रोड्यूसर और स्क्रीनराइटर पिंकी पाल का कहना है कि इस फ़िल्म को बनाने उनका एक ही मकसद था कि एक साधारण महिला की इस शानदार यात्रा को फ़िल्म के ज़रिये लोगों तक पहुंचाया जाए. सरोजिनी नायडू हों या जयललिता, उनकी कहानी भी देश भर की महिलाओं को प्रेरित करती है.   

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‘इस फ़िल्म को 2015 में बनाना शुरू किया गया, जिसे अब जाकर सेंसर बोर्ड से युनिवर्सल प्रमाणपत्र मिला है. ये फ़िल्म किसी की राजनीतिक भावनाओं को प्रभावित करने, या किसी राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं बनाई गयी है. इसे हर वर्ग का दर्शक देख सकता है.’ 

इस फ़िल्म में मुख़्य भूमिका थियेटर आर्टिस्ट रूमा चक्रवर्ती ने निभाई है.  

रूमा चक्रवर्ती का कहना है कि ‘इस मुश्किल किरदार को निभाने के लिए मैंने टीवी पर उनके कई भाषण देखे. तौर-तरीकों को सीखने के लिए उनके कई पुराने वीडियो देखे. इस किरदार के लिए सबसे ख़ास था उनकी ट्रेडमार्क ‘रबर की चप्पल’ और ‘सफ़ेद सूती साड़ी’ पहनना’.  

फ़िल्म के ट्रेलर में ममता बनर्जी के सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन को भी दिखाया गया है, जिनकी वजह से ही साल 2011 में उन्हें सत्ता मिली थी.  

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इस बीच CPI(M) ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपकर फ़िल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है. CPI(M) नेता निलोत्तन बसु ने कहा कि इससे पहले भी आयोग ने मोदी की बायोपिक पर रोक लगा दी थी.