मिडल क्लास के जीवन को पर्दे पर हूबहू उकेरने के लिए 70 और 80 के दशक में एक डायरेक्टर बहुत फ़ेमस हुआ. इतना कि उन्हें लेजेंड्री डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी के बराबर ही सम्मान दिया जाता था और दिया जाता है. वो साफ़-सुथऱी मगर सार्थक फ़िल्में बनाने के लिए जाने जाते थे. उनकी कुछ यादगार फ़िल्में हैं ‘पिया का घर, ‘चितचोर’, ‘स्वामी’, ‘खट्टा मीठा’, ‘प्रियतमा’, ‘चक्रव्यूह’, ‘शौकीन’, ‘सफेद झूठ’, ‘त्रियाचरित्र’, ‘रुका हुआ फैसला’, ‘चमेली की शादी’.

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं. बात हो रही है जाने-माने निर्देशक बासु चटर्जी की. उन्हें प्यार से लोग बासु दा कहकर बुलाते थे. जब 70 और 80 के दशक में एक्शन और वेस्टर्न कल्चर हिंदी सिनेमा पर हावी था, तब उन्होंने नए-नए कलाकारों के साथ हल्की-फुल्की और मिडिल क्लास फ़ैमिली की कहानियों पर आधारित फ़िल्में बनाकर दर्शकों का दिल जीत लिया था. 

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ऐसी फ़िल्में जिन्हें आज भी देख कर दिल ख़ुश हो जाता है. बासु दा की अधिकतर फ़िल्में प्यार और शादी के इर्द-गिर्द घूमती थीं. इनमें भारतीय समाज की सोच और सच्चाई साफ़ दिखाई देती थी. इनमें नारी का संघर्ष था तो परिवार के लिए बलिदान देने की कहानी. यही कारण है कि उनकी फ़िल्में फ़िल्म क्रिटिक्स द्वारा भी काफ़ी सराही जाती थी. 

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उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर कार्टूनिस्ट एक अख़बार से की थी. 18 साल तक मुंबई के एक अख़बार में काम करने के बाद उन्होंने फ़िल्मों का रुख किया था. ‘एक रुका हुआ फ़ैसला’ से इन्होंने बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की थी. उसके बाद ये सिलसिला कई सुपरहिट फ़िल्मों और सीरियल्स तक चला. फ़ेमस जासूसी सीरियल ‘ब्योमकेश बक्शी’ भी बासु दा ने ही बनाया था.

चलिए एक नज़र बासु दा की कुछ कालजयी फ़िल्मों पर डाल लेते हैं…

1. एक रुका हुआ फ़ैसला 

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सिनेमा डायरेक्टर की दुनिया क्यों होती है ये जानने के लिए आपको ये फ़िल्म देखनी चाहिए. फ़िल्म में समाज की जटिलताओं को बड़े की करीने से इस मूवी में दिखाया है बासु दा ने. इस फ़िल्म को उनकी फ़िल्मों का एवरेस्ट भी कहा जाता है. इसमें हर कलाकार ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. 

2. रजनीगंधा 

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लेखिका मनु भंडारी के उपन्यास ये सच है पर बेस्ड थी इसकी स्टोरी. इसमें अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा लीड रोल में थे. इसमें एक ऐसी लड़की की कहानी है जो दो प्रेमियों में से किसे चुने इस दुविधा में है. इसका गाना ‘कई बार यूं भी देखा’ आज भी लोग गुनगुनाते हैं.

3. छोटी सी बात 

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इसमें एक सीधे-सादे लड़के की कहानी है, जो प्यार तो करता है मगर बताने की हिम्मत नहीं रखता. इसके लिए वो एक रिटायर्ड फ़ौजी की मदद लेता है. इसमें विद्या सिन्हा, अशोक कुमार और अमोल पालेकर लीड रोल में थे. इसका गाना ‘न जाने क्यों’ आज भी लोगों का फ़ेवरेट गाना है.   

4. चितचोर 

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कहानी और संगीत के मामले में बासु दा की ‘चितचोर’ वाकई में लोगों का चित चुरा ले गई थी. इसमें अमोल पालेकर और ज़रीना वहाब लीड रोल में थे. इस फ़िल्म के बाद ही बासु दा की गिनती सफ़ल निर्देशकों में होने लगी थी.  

5. खट्टा मीठा 

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दो बुज़ुर्ग जो शादी करना चाहते हैं, उनका परिवार एक साथ रहने लगता है. तब कैसी सिचुएशन होती है ये इसमें दिखाया गया है. फ़िल्म का गाना ‘थोड़ा है थोड़े की…’ आज भी लोग गुनगुना कर ख़ुद को हलका महसूस कराते हैं. इसमें कॉमेडी है, प्यार है और इमोशन भी. 

6. त्रियाचरित्र 

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हल्की-फुल्की कॉमेडी और प्यार के अलावा बासु दा ने गंभीर फ़िल्म भी बनाई थी. इस फ़िल्म की कहानी ने लोगों को हिला कर रख दिया था. इसमें एक ऐसी महिला की कहानी है जिसका ससुर ही उसका बलात्कार करता है. इसके बाद समाज का वो दोगला चेहरा सामने आता है जिसमें लोग महिला को ही दोषी ठहरना शुरू कर देते हैं. 

7. चमेली की शादी 

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अनिल कपूर, अमृता सिंह, ओमप्रकाश, अमज़द ख़ान जैसे कलाकारों से सजी ये हास्य फ़िल्म हमारे समाज में फैली जाति व्यवस्था पर कड़ा प्रहार करती है. इसमें एक ऐसे प्रेमी जोड़े की कहानी जो हो अलग-अलग जाति से ताल्लुक रखते हैं. उनका प्यार कैसे अंजाम तक पहुंचता है यही इसमें दिखाया गया है.  

8. अपने पराए 

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इस मूवी की स्टोरी शरतचंद्र उपाध्याय के एक उपन्यास पर बेस्ड थी. इसमें शबाना आज़मी, गिरीश कर्नाड और अमोल पालेकर जैसे कलाकार थे. इसमें एक संयुक्त परिवार की खट्टी-मीठी नोकझोंक को दिखाया था बासु दा ने. 

9. दिल्लगी 

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धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने इस मूवी में लीड रोल निभाया है. इसमें ऐसे प्रोफ़ेसर की कहानी है जो अपने ही कॉलेज की प्रोफ़ेसर से प्यार करता है. वो उसे इंप्रेस करने की लाख कोशिश करता है, मगर वो अंत तक उसे भाव नहीं देती. 

10. तुम्हारे लिए 

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बासु दा की इस मूवी में प्यार है फिर उनका बिछड़ना है और बदले की भावना भी. इस मूवी के ज़रिये उन्होंने प्यार को नया ट्विस्ट देने की कोशिश की थी. इसमें अशोक कुमार, संजीव कपूर और विद्या सिन्हा जैसे कलाकार थे.

आज भले ही बासु दा हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी कमाल की फ़िल्में उनकी याद बनकर हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी.

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