2001 में SAB TV पर एक कॉमेडी सीरियल प्रसारित किया गया, जिसका नाम था ‘ऑफ़िस-ऑफ़िस’. धारावाहिक की कहानी और इसके कलाकार लोगों को इतना पसंद आये कि कुछ ही समय में ये लोगों की पहली पसंद बन गया. ‘ऑफ़िस-ऑफ़िस’ की स्टोरीलाइन और इसके किरदार आज भी लोगों के ज़हन में हैं, जिन्हें भूलाना आसान नहीं है. 

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इसी बात पर एक बार फिर से सीरियल की कहानी पर नज़र डाल लेते हैं:

धारावाहिक एक आम आदमी की ज़िंदगी पर आधारित था, जो अपने घर के कामों के लिये सरकारी ऑफ़िस के चक्कर लगाता रहता है. इस शो के किरदार मुसद्दीलाल को लोग ख़ुद से जोड़ कर देख सकते थे. समाज को गंभीर मैसेज देने के साथ-साथ ये कार्यक्रम लोगों को हंसाने का काम भी करता था. शायद यही वजह थी कि शो के समय घर का कोई भी शख़्स चैनल नहीं बदलने की ग़लती नहीं करता था. उस दौर में ये सीरियल सरकारी नौकरी करने वाले लोगों की ऑफ़िस लाइफ़ को बख़ूबी दिखाता था. इसके हर एपिसोड में आम इंसान को अलग-अलग मुश्किलों से जूझते हुए समाज के लिए एक सन्देश दिया जाता था. 

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मुसद्दीलाल यानि अभिनेता पंकज कपूर शो का मुख़्य किरदार थे, जो अपनी मासूमियत भरी एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहे. पंकज कपूर के साथ-साथ धारावाहिक में मौजूद देवेन भोजानी (पटेल), मनोज पाहवा (भाटिया), संजय मिश्रा (शुक्ला), हेमंत मिश्रा (पांडे) और असावरी जोशी (उषा) ने भी उम्दा अभिनय करके लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी. 

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मुसद्दीलाल लाल जब भी अपना काम कराने के लिये सरकारी दफ़्तार जाते, बेचारे सरकारी बाबूओं के दस बहाने सुन कर वापस आ जाते. ऑफ़िस में उषा जी कभी घर के काम करती दिखाई देतीं, तो कभी भाटिया जी समोसे खाते दिखते. अब ऐसे में मुसद्दीलाल करें भी, तो आखिर क्या? इसके अलावा काम के लिये मुसद्दीलाल जी से पैसे ऐंठे जाते वो अलग. 

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इस शो की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस पर फ़िल्म भी बनाई गई थी, लेकिन उसे क्रिटिक्स की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. 

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वैसे एक बात और आज भले ही हज़ार सीरियल और वेबसीरिज़ आ गईं हों, पर ‘ऑफ़िस-ऑफ़िस’ जैसी बात किसी में नहीं है. क्यों सही कहा न? 

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