Bollywood Entry Scene : बॉलीवुड (Bollywood) मेलोड्रामाटिक है और हमेशा चीज़ों को बॉलीवुडिया स्टाइल में चीज़ों को करता है. इसका चीज़ों को करने के लिए कुछ थोड़ा ख़ास स्वभाव है. लेकिन एक पॉइंट पर हम सभी सहमत हैं, कि ये चीज़ों को ओवर करने का स्टाइल भी हमें कभी-कभी अच्छा लगता है. यहां तक ​​कि इन फ़िल्मों के सबसे घिसे-पिटे हिस्से भी हमें आराम देते हैं, जब हम उदासीन महसूस कर रहे होते हैं.

मेन कैरेक्टर्स के इंट्रो सीन निसंदेह बॉलीवुड फ़िल्मों का एक आकर्षण हैं, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. बेशक़ दर्शकों पर पहली छाप महत्वपूर्ण होती है और ये फ़िल्में लगभग हमेशा ऐसा करने में उत्कृष्ट होती हैं. क्या हम वास्तव में रोमांटिक फ़िल्म मोहब्बतें में राज की एंट्री सीक्वेंस से आगे बढ़ गए हैं, जहां वो एक एडोरेबल लुक में नज़र आते हैं?

Bollywood Entry Scene

हालांकि, ऐसे कई हीरो की एंट्री के सीन हैं, जो इतने आइकॉनिक हैं कि भुलाए नहीं जा सकते.

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फ़िल्म कभी ख़ुशी कभी गम में शाहरुख़ ख़ान

फ़िल्म कभी ख़ुशी कभी गम में राहुल का चॉपर से उतरना और जया बच्चन (नंदिनी) का आरती की थाली लेकर दरवाज़े के पास इंतज़ार करना एक ऐसा दृश्य है, जो हमेशा टॉप पर रहेगा, लेकिन हमेशा यादगार रहेगा.

फ़िल्म धूम 2 में ऋतिक रोशन

मैं तब तक इंतज़ार करूंगी, जब तक आप एक और शुरुआती सीन का नाम नहीं दे सकते जो उतना ही मनोरम था, जितना कि ऋतिक रोशन के कैरेक्टर आर्यन को फ़िल्म धूम 2 में पेश किया गया था.

फ़िल्म आनंद में राजेश खन्ना

राजेश खन्ना द्वारा निभाया गया कैरेक्टर फ़िल्म की तरह ही यादगार है. वो वास्तव में मूवी में ख़ुशी के एक बंडल की तरह थे और ये उसी समय से स्पष्ट हो गया था, जब वो फ्रेम में आए थे.

फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में रणवीर सिंह

इस ऐतिहासिक ड्रामा मूवी ने पेशवा को वो प्रमुखता दी, जो उन्होंने अर्जित की थी. इस मूवी का डायलॉग ‘चीते की चाल, बाज़ की नज़र और बाजीराव की तलवार पर संदेह नहीं करते, कभी भी मात दे सकते हैं’ अभी भी हमारे दिमाग में छपा हुआ है.

फ़िल्म हम दिल दे चुके सनम में सलमान ख़ान

भंसाली के रोमांटिक ड्रामा में, समीर निस्संदेह सलमान खान द्वारा चित्रित सबसे अनोखे कैरेक्टर में से एक था. पहले सीक्वेंस ने कैरेक्टर की ऊर्जा और आकर्षण को तुरंत स्पष्ट कर दिया और हम उसकी तारीफ़ किए बिना नहीं रह सके.

फ़िल्म देवदास में शाहरुख़ ख़ान

फिल्म में उनके आने से पहले की पूरी बिल्ड-अप के कारण आप शाहरुख ख़ान के किरदार देव पर मोहित हो जाते हैं. साथ ही, जिस तरह से भंसाली ने मुख्य किरदार को चित्रित किया है और पारो के साथ उनका प्यारा रिश्ता आपको मदहोश कर देगा.

फ़िल्म फूल और कांटे में अजय देवगन

ये बिना शक के OG एंट्री सीन में से एक रहेगा. हम नास्टैल्जिक महसूस किए बिना नहीं रह सकते क्योंकि यह इतना आइकॉनिक था कि दशकों बाद अजय देवगन ने इसे फिर से रिक्रिएट किया.

फ़िल्म ‘आशिक़ी’ में राहुल रॉय

इस टाइमलेस आइकॉनिक 90s के दशक की फ़िल्म में, संगीत, सेटअप और रोमांटिक एक्टर का इंट्रो समेत सभी चीजें हैं जो केवल उस युग में हो सकती हैं. क्योंकि इसी फ़िल्म का सीक्वल ये जादू बिखेरने में नाकाम रहा था.

फ़िल्म रंगीला में आमिर ख़ान

एक चरित्र को सूक्ष्मता से पेश करने की बात करें- रंगीला ने मुन्ना के रूप में आमिर खान के लिए वही किया. अपने व्यक्तित्व के विपरीत आमिर ने इस कैरेक्टर को काफ़ी सूक्ष्म रूप से लेकिन प्रभावशाली ढंग से प्रवेश किया.

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फ़िल्म ओए लकी! लकी ओए!

अभय देओल के व्यक्तित्व ने फ़िल्म की थीम के समान ही सनकीपन बिखेरा. अपने पहले सीन से ही लकी का बेपरवाह अंदाज़ साफ़ झलक रहा था और ऑडियंस कैरेक्टर के बारे में जानने के लिए और उत्साहित थी.   

फ़िल्म रंग दे बसंती में आमिर ख़ान

रंग दे बसंती के डीजे ने शांत अवतार लिया, इसलिए कैरेक्टर की एंट्री को उसके लापरवाह व्यवहार को पूरी तरह से पकड़ना था. आज भी ये दृश्य देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

फ़िल्म डॉन में अमिताभ बच्चन

भले ही अमिताभ बच्चन शायद ही कभी ऐसा प्रदर्शन करते हैं जो उल्लेखनीय से कम हो. हालांकि, मूल डॉन जिसने स्वैग को बड़े पर्दे पर लाया, उसे हमेशा याद किया जाएगा.