Bollywood Fathers: छोटी-बड़ी चाहे कोई भी समस्या हो, बस पापा के पास चले जाओ. ऐसा हल मिलता है कि वो प्रॉब्लम फ्यूचर में भी आपकी तरफ़ नज़रें डालने की हिमाकत नहीं करती. हालांकि, डांटने और लतियाने में भी पिताओं का बड़ा रोल होता है. जब कभी बुद्धि खिसक रही हो, तो पापा के दो-चार लप्पड़ों की ही ज़रूरत पड़ती है. दिमाग़ ख़ुद ब ख़ुद ठिकाने आ जाता है. बड़े पर न सही, लेकिन बचपन में तो पिता की डांट का शिकार हर कोई हुआ होगा. बची-कुची कसर बॉलीवुड ने पूरी कर दी. उनकी फ़िल्मों ने हमारे देसी डैड को ऐसा बिगाड़ा है कि पूछो मत. खैर वो जिस भी तरीक़ों से अपने इमोशंस ज़ाहिर करें, सच तो ये है कि वो हमें प्यार भी अनलिमिटेड करते हैं.
तो चलिए आज बॉलीवुड फ़िल्मों के उन कैरेक्टर्स के बारे में बता देते हैं, जिन्होंने हमारे देसी डैड को स्पॉइल करने में बड़ा रोल प्ले किया है.
Bollywood Fathers
1. तेज़ खुल्लर (मेरे डैड की मारुति)
जब भी आप पापा को तेज़ आवाज़ में अपना नाम चिल्लाते हुए सुनते हैं, उस दौरान आपका दिमाग़ तुरंत ही आपको वार्निंग दे देता है कि ‘कुछ तो गड़बड़ है‘. फ़िल्म ‘मेरे डैड की मारुति‘ में जब तेज खुल्लर का कैरेक्टर निभा रहे राम कपूर एक सीन में अपने बेटे का नाम तेज़ से चिल्लाते हैं, तो हम ऑटोमेटिकली समझ जाते हैं कि अब उनके बेटे की शामत आने वाली है. तेज खुल्लर ने कुछ को ये सोच दी कि उनके बच्चे कभी कुछ सही नहीं कर सकते.
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2. महावीर फ़ोगाट- दंगल
फ़िल्म ‘दंगल‘ में आमिर ख़ान ने महावीर फ़ोगाट का क़िरदार बखूबी निभाया है. उन्होंने एक ऐसे पिता का रोल प्ले किया है, जिसको पाने की चाहत सभी को होती है. ख़ासकर लड़कियां तो अपने पिता से यही चाहती हैं कि वो उन्हें अपने लड़कों से कम मत समझें. फ़िल्म में भी महावीर ने सभी रूढ़ीवादी सोच को तोड़ते हुए अपनी बेटियों का अंत तक साथ दिया. महावीर ने पिताओं को सिखाया कि अपने बच्चों का हमेशा सपोर्ट सिस्टम बन कर खड़े रहना चाहिए. (Bollywood Fathers)
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3. मिस्टर कुरैशी- थ्री इडियट्स
हमारे आसपास आपको ऐसे भी कई अंकल मिल जाएंगे, जो अपने बच्चे के पैदा होने से पहले ही फ़ैसला कर लेते हैं कि वो कौन सा करियर चुनेगा. फ़िल्म ‘थ्री इडियट्स‘ में फ़रहान (आर माधवन) के पिता ‘मिस्टर कुरैशी‘ को भी बिल्कुल वैसा ही दिखाया गया है. उन्हें अपने बेटे फ़रहान को डॉक्टर या इंजीनियर ही बनाना है. बेटा भी पिता के सामने अपने करियर के बारे में चूं करने से डरता है. (Bollywood Fathers)
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4. जी. एल बत्रा- शेरशाह
फ़िल्म ‘शेरशाह‘ में कारगिल युद्ध में एक अहम भूमिका निभा चुके शहीद विक्रम बत्रा की लाइफ़ जर्नी को दिखाया गया है. फ़िल्म में उनके पिता जी एल बत्रा काफ़ी कूल टाइप दिखाए गए हैं. वो बेटे के साथ दोस्त बनने की कोशिश करते हैं. वो एक ऐसे पिता के रूप में दर्शाए गए हैं कि चाहे बच्चे अपने पिता को फ़ैसले की वजह न बताएं, लेकिन उनके पिता को सब कुछ पता होता है.
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5. भास्कर बनर्जी- पीकू
आप में से कुछ लोगों के पिता ऐसे भी होंगे, जो कंजूसी के मामले में बिल्कुल ‘भास्कर बनर्जी‘ पर गए हैं. ये क़िरदार फ़िल्म ‘पीकू‘ में अमिताभ बच्चन ने निभाया था. ऐसे पिता उस कैटेगरी में आते हैं, जो घर में होने वाली हर चीज़ पर 24 घंटे कुछ न कुछ टोकाटाकी करते रहते हैं. इसके साथ ही वो कभी-कभी बच्चों जैसा बर्ताव भी करते हैं. घर में जहां भी पैसे बचाने की बात चल रही होती है, वो वहां पर आपको ज़रूर मौजूद मिलेंगे. (Bollywood Fathers)
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6. राहुल- कुछ कुछ होता है
वैसे डैड प्रोटेक्टिव होते हैं, लेकिन फ़िल्म ‘कुछ कुछ होता है‘ में शाहरुख़ ख़ान द्वारा निभाए गए राहुल के क़िरदार ने हमें ओवरप्रोटेक्टिव डैड की याद दिला दी. फ़िल्म में वो समर कैंप में अपनी बेटी के ज़रा सा जुखाम होने पर भागा-भागा अपना काम छोड़ कर चला आता है. लगता है अपने बच्चों को 24 घंटे लाड़-प्यार करने वाले पिता ने राहुल के कैरेक्टर को काफ़ी हद तक अपने अंदर समा लिया है.
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7. नारायण शंकर-मोहब्बतें
बचपन में आपने भी कई बार अगर लड़की से बात करने के बाद पिता से ये झूठ बोला है कि आप अपने मेल फ्रेंड से बात कर रहे थे, तो समझ जाओ आपके पिता भी फ़िल्म ‘मोहब्बतें‘ के नारायण शंकर से कम नहीं हैं. वो ये भी चाहते हैं कि उनका बेटा या बेटी उनके पसंद किए हुए व्यक्ति से शादी करे. वो आपकी पार्टीज़ पर नज़र रखते हैं. आपके डेली रूटीन पर नज़र रखते हैं, क्योंकि ‘परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन‘ उनके लिए सबसे ज़्यादा मायने रखता है.
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8. चौधरी बलदेव सिंह- दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
हर चीज़ को पूछने से पहले ही ना कह देना, ये ज़्यादातर डैड ने अमरीश पुरी के ‘चौधरी बलदेव सिंह‘ के क़िरदार से ही सीखा है. ऐसे पिता हों, तो उनके सामने कुछ कहने से पहले दस बार बाथरूम में प्रिपेयर करना पड़ता है. इसके साथ ही वो कभी स्माइल नहीं करते और उन्हें एंटरटेनमेंट से सख़्त नफ़रत है.
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