Bollywood Films Mother Characters: वैसे तो फ़िल्मों और सीरियलों में दिखाए जाने वाले हर कैरेक्टर की एक अलग ख़ास बात होती है, लेकिन जो कैरेक्टर हिंदी मूवीज़ और टीवी सीरियल्स में सबसे ज़्यादा स्पेशल है, वो क़िरदार सिर्फ़ मां का है. कई सालों से फ़िल्ममेकर्स मां के रोल के साथ एक्सपेरिमेंट करते रहे हैं. किसी फ़िल्म में उन्हें फ़नी दिखाया गया है तो किसी फ़िल्म में इमोशनल. लेकिन मां के क़िरदार को चाहे जिस भी तरीक़े से हिंदी फ़िल्मों में दिखाया जाए, दर्शक हर रूप में उसे प्यार देते हैं.

यहां हम आपको एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की कुछ ऑन-स्क्रीन मां (Bollywood Films Mother Characters) के क़िरदारों से रू-ब-रू कराएंगे, जिनका चित्रण बॉलीवुड ने परफ़ेक्ट तरीक़े से किया है.

Bollywood Films Mother Characters

1. इंग्लिश विंग्लिश में शशि गोडबोले

इस फ़िल्म में ‘शशि‘ का क़िरदार दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी (Sridevi) ने निभाया था. फ़िल्म में वो आम मांओं की तरह अपने बच्चों की परवरिश करने के चलते अपने सपने भूल जाती है. हालांकि, इसके बाद उसे इस चीज़ का एहसास होता है और वो इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करके अपने बच्चों को बाद में ख़ुद के लिए स्टैंड लेना सिखाती है.

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2. फ़ेम गेम में अनामिका

इस वेब सीरीज़ में अनामिका के क़िरदार ने हमें अपनी मां की याद दिला दी. वो अपने दोनों बच्चों को बिना किसी शर्त के एक्सेप्ट करती है. इसके साथ ही जब उसे अपने बेटे की सेक्सुअल ओरिएंटेशन का पता चलता है, तो ना ही वो उसे इसके लिए ताना देती है और न ही गुस्सा करती है. इसके साथ ही वो अपने बेटे को इस बात के लिए कंफ़र्टेबल फ़ील कराती है और उसका कॉन्फिडेंस बढ़ाती है. (Bollywood Films Mother Characters)

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3. रंग दे बसंती में मितरो

किरण खेर (Kirron Kher) को ऑन-स्क्रीन मां के क़िरदार में देखना सभी को पसंद है. वो अपने कैरेक्टर के साथ पूरी तरह न्याय करती हैं और फ़िल्म ‘रंग दे बसंती‘ में भी उन्होंने यही किया. इसमें वो बिना अंजाम की परवाह किए अपने बेटे के साथ खड़ी होती हैं, जब वो सच्चाई के लिए स्टैंड लेता है.

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4. जाने तू या जाने ना में सावित्री

इस फ़िल्म में सावित्री का क़िरदार रत्ना पाठक (Ratna Pathak) ने निभाया है. वो अपने बेटे को प्रोग्रेसिव और फेमिनिस्ट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती और उसकी परवरिश भी उसी तरह से करती हैं. वो प्रयास करती है कि उनका बेटा उसकी पितृसत्तात्मक सोच वाली फ़ैमिली के विचारों से बचा रहे. (Bollywood Films Mother Characters)

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5. बधाई हो में प्रियमवदा कौशिक

फ़िल्म में ज़्यादातर मांओं की तरह प्रियमवदा कौशिक के क़िरदार में नीना गुप्ता (Neena Gupta) जानती हैं कि बच्चों से घर के काम में कैसे मदद ली जाती है. अपनी बिना प्लान की हुई प्रेग्नेंसी की वजह से अपनी फ़ैमिली और बच्चों के द्वारा ताने मारने के बावज़ूद वो अपने फ़ैसले पर अटल रहती हैं और 52 साल की उम्र में एक बच्चे को जन्म देती हैं.  

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6. ख़ूबसूरत में मंजू चक्रवर्ती

इस फ़िल्म में किरण खेर द्वारा निभाए गए कैरेक्टर मंजू चक्रवर्ती ने दिखाया कि कैसे मां और बेटी बड़ी आसानी से अपने दिल का हाल एक-दूसरे से बयां कर लेती हैं. इस फ़िल्म में भी मां-बेटी के बीच की बातचीत हमें अपने मां के साथ बिताये गए मोमेंट्स की याद दिला देती है.

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7. सीक्रेट सुपरस्टार में नज़्मा मलिक

चाहे ख़ुद पर कितनी भी परेशानी आए, लेकिन अपने बच्चों की इच्छा पूरी करने के लिए मां हमेशा आगे रहती है. सीक्रेट सुपरस्टार फ़िल्म में नज़्मा मलिक के कैरेक्टर ने भी हमें यही दिखाया है.

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8. नील बटे सन्नाटा में चंदा सहाय

इस फ़िल्म में स्वरा भास्कर (Swara Bhasker) ने चंदा सहाय की भूमिका निभाई है. फ़िल्म में वो उनका कैरेक्टर ये सुनिश्चित करता है कि उसकी बेटी को वैसी लाइफ़ न जीनी पड़े, जैसी उसने ख़ुद जी है. अपनी बेटी का भविष्य बेहतर बनाने के लिए वो अपनी सारी मेहनत झोंक देती है.  

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10. शुभ मंगल ज़्यादा सावधान में सुनैना त्रिपाठी

इस फ़िल्म में सुनैना एक आधुनिक मां हैं जो न तो पूरी तरह से प्रगतिशील हैं और न ही मूल विचार प्रक्रिया में पूरी तरह फंसी हुई हैं. जिस तरीके से वो अपने बेटे के बारे में सच्चाई हैंडल करती है और उसका सपोर्ट करती हैं, वो ऑडियंस का दिल जीत लेता है. 

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11. गुल्लक में शांति मिश्रा

इस सीरीज़ में शांति मिश्रा को देखकर आप अपनी मां को मिस करने लगोगे. हर मां की तरह वो गुस्सा करने वाली, फ़नी, और अपने बच्चों के लिए बेस्ट चाहने वाली है. 

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12. दो दूनी चार में कुसुम एस दुग्गल

ये फ़िल्म एक मिडिल क्लास परिवार के दो पहिया वाहन से लेकर चार पहिया वाहन के सफ़र की कहानी है. कुसुम एस दुग्गल के क़िरदार में नीतू सिंह ने बताया है कि अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए मां-बाप को क्या-क्या करना पड़ता है.

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13. दोस्ताना में मिसेज़ आचार्य

इस फ़िल्म में किरण खेर की बतौर पंजाबी मां परफॉरमेंस आपका दिल जीत लेगी. ऐसे दृश्य जहां उन्हें  पता चलता है कि उसका बेटा समलैंगिक है, आपको जोर से हंसाएगें. वो दृश्य जहां वह अपने बेटे की कामुकता को स्वीकार करती है, आपको नरम कर देगा. 

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मां तो ‘मां’ होती है न.