Bollywood Films True Love : कई बार हम ऐसी रिलेशनशिप में फंस जाते हैं, जो टॉक्सिक होती हैं लेकिन फिर भी हम दूसरे व्यक्ति के साथ साथ रहने की कोशिश करते हैं. पितृसत्तात्मक सोच के अलावा, अगर इस सोच को हमारे अंदर डालने का हम ज़्यादातर क्रेडिट बॉलीवुड मूवीज़ को दें, तो बिल्कुल ग़लत नहीं होगा. कई बॉलीवुड फ़िल्मों ने हमारी आइडियल फैंटेसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन परफेक्शन की ख़ोज में हम कभी जाल में फंस जाते हैं और ख़ुद को खो देते हैं. कुछ बॉलीवुड फ़िल्में इस बात का परफेक्ट उदाहरण हैं कि कैसे टॉक्सिक प्यार को जाने देना हमारी ज़िंदगी इम्प्रूव कर सकता है और हमारी ज़िंदगी में हर लव कनेक्शन का टिके रहना ज़रूरी नहीं है.
आइए आपको 8 बॉलीवुड मूवीज़ के बारे में बता देते हैं, जिन्होंने प्यार को जाने देने की सच्ची ताक़त को दर्शाया है.
1- रॉकस्टार
रॉकस्टार फ़िल्म साल 2011 में रिलीज़ हुई थी, जिसे इम्तियाज़ अली ने डायरेक्ट किया था. इसमें रणबीर कपूर लीड रोल में थे और उनके साथ में अदिति राव हैदरी, नरगिस फाख़री, शम्मी कपूर सपोर्टिंग रोल में थे. ये फ़िल्म ‘जॉर्डन’ की कहानी बताता है, जिसका सपना रॉकस्टार बनने का होता है. वो हीर कौल (नरगिस) से मिलता है, जिसकी सगाई हो चुकी होती है. उसे हीर से प्यार हो जाता है, लेकिन हीर अपनी सगाई की वजह से उसे अपनी फ़ीलिंग नहीं बता पाती. जैसे ही जॉर्डन का करियर ऊँचाई लेता है, फिर भी उसके दिल के कोने में हीर के लिए प्यार समाया होता है. बाद में वो उसे छोड़कर म्यूजिक को अपना प्यार बना लेता है. हालांकि, हीर की बीमारी दोनों को फिर पास ले आती है. ये फ़िल्म इस आइडिया को बताती है कि प्यार किसी व्यक्ति को पाने के बारे में नहीं है, बल्कि उसकी ख़ुशी को एक्सेप्ट करने के बारे में है.
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2. जब वी मेट
मूवी में शाहिद और करीना कपूर लीड रोल में हैं. इस फ़िल्म की कहानी आदित्य की गर्लफ्रेंड के किसी और के शादी करने, गीत के प्रेमी के उसे छोड़ने और आदित्य के गीत को जाने देने के बारे में है. जब आदित्य को गीत के अंशुमन से अलग होने का पता चलता है, वो दोनों को मिलाने की कोशिश करता है. आदित्य, गीत से प्यार होने के बाद ख़ुद में बदलाव महसूस करता है, लेकिन वो गीत से अपने लिए प्यार की कोई उम्मीद नहीं करता. हालांकि, भाग्य उसकी तरफ़ खिंचा चला आता है, जब गीत को एहसास होता है कि अंशुमन से ज़्यादा आदित्य के साथ ख़ुश है.
3. हम दिल दे चुके सनम
इस लिस्ट में हम दिल दे चुके सनम का नाम भी शामिल है. इस फ़िल्म की कहानी नंदिनी और समीर के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों को एक-दूसरे से प्यार होता है, लेकिन नंदिनी, वनराज से शादी कर लेती है. वनराज को नंदिनी का समीर के प्रति प्यार के बारे में पता चलने के बाद वो उसे समीर से मिलाने में मदद करता है. कैसे वनराज नंदिनी की ख़ुशी के लिए अपने सच्चे प्यार को जाने देता है, जो ये दर्शाता है कि प्यार कंट्रोल करने के बारे में नहीं है.
4. तमाशा
ये फ़िल्म दो लोगों की जर्नी दिखाती है, जो एक-दूसरे के प्यार में होते हैं, लेकिन बाद में उन्हें एहसास होता है कि वो दोनों एक-दूसरे के लिए नहीं बने हैं. ये मूवी अपने सपनों को पूरा करने और ख़ुद से सच्चे होने की इम्पोर्टेंस पर ज़ोर देती है, चाहे इसका मतलब अपने प्यार को जाने देना ही क्यूं ना हो.
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5. प्यार तो होना ही था
संजना और शेखर असामान्य परिस्थितियों में एक-दूसरे से टकराते हैं और किसी स्वार्थ के चलते एक साथ रहते हैं. हालांकि, समय बीतने पर संजना के मन में शेखर के लिए फीलिंग्स आने लगती हैं और वो उसको पुलिस से बचाने के लिए सीमा पार करने से भी नहीं कतराती है. वो उसे सेफ़ रखने के लिए अपनी सेविंग्स भी खर्च कर देती है, लेकिन शेखर से प्यार की कोई उम्मीद नहीं रखती.
6. ये जवानी है दीवानी
मूवी में बनी (रणबीर कपूर) और नैना (दीपिका पादुकोण) की अपनी ज़िन्दगी से अलग-अलग उम्मीदें होती हैं. बनी के लिए रोमांटिक फीलिंग्स होने के बावजूद भी नैना उसके सपनों को सपोर्ट करने के लिए अपनी भावनाएं उससे ज़ाहिर नहीं करती है. वो मूव ऑन होकर उसका इंतज़ार ना करने का फ़ैसला करती है, चाहे वो उसके लिए कितना भी मुश्किल क्यों ना रहा हो. हालांकि, बाद में डेस्टिनी दोनों को मिला देती है.
7. कल हो ना हो
ये फ़िल्म नैना कपूर की कहानी बताती है, जो एक न्यूयॉर्क में रह रहे ट्रेडिशनल इंडियन परिवार से आती है. उसकी लाइफ़ तब मोड़ लेती है, जब वो अपने पड़ोस में रह रहे लड़के अमन से मिलती है. अपने चुलबुले अंदाज़ के ज़रिए अमन सबका दिल जीत लेता है, लेकिन वो एक सीरियस बीमारी से जूझ रहा होता है जिसके चलते उसके पास सिर्फ़ कुछ ही दिन जीने के लिए बचे होते हैं. नैना और अमन एक-दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करते हैं और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो जाता है. हालांकि, अमन की ज़िन्दगी को कुछ ही समय बचा होता है, जिसकी वजह से वो नैना की ज़िन्दगी ख़राब नहीं करना चाहता है. ये फ़िल्म इस आइडिया को बताती है कि कैसे सच्चा प्यार रियलिटी को एक्सेप्ट करने और ज़रूरी होने पर जाने देने के बारे में होता है.
8. क्या कहना?
इस फ़िल्म की कहानी में प्रिया (प्रीति ज़िंटा) को राहुल (सैफ़ अली ख़ान) से प्यार हो जाता है, लेकिन जब वो प्रेग्नेंट हो जाती है, तब वो उसे छोड़ देता है. उसका बेस्ट फ्रेंड अजय (चंद्रचूड़ सिंह) प्रिया से प्यार कर बैठता है और उसे सपोर्ट करता है. इस मूवी में ये दिखाया गया है कि कभी-कभी सच्चा प्यार रिलेशनशिप के अंत को मान लेने के बारे में है. चाहे इसका मतलब उस व्यक्ति को जाने देना ही क्यूं ना हो, जिससे आप प्यार करते हैं.