बचपन में हमें सिखाया जाता था कि तुम अच्छा काम करोगे, तो तुम्हें Award या ईनाम मिलेगा. स्कूल में भी जो बच्चा किसी कॉम्पटीशन में या पढ़ाई में फ़र्स्ट आता, तो उसे Award दिया जाता था. लेकिन पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड ने मुझे अवॉर्ड की ऐसी परिभाषा सिखाई है, जिसके हिसाब से अवॉर्ड उसे मिलता है, जो उसे ख़रीद पाता है.
बॉलीवुड में अवॉर्ड फंक्शन किसी अच्छे अभिनेता को Best Actor की ट्रॉफ़ी देना नहीं, बल्कि सज-धज कर ऐसे फंक्शन में जाना होता है, जहां नाच-गाना होगा, खूब सारा ड्रामा होगा, रेड कार्पेट पर पोज़ करना होगा…
जहां अवॉर्ड बिकेंगे और स्टार्स उन्हें ख़रीदेंगे. हमारे लिए बॉलीवुड के अवॉर्ड उस शो की तरह हैं, जो 1 घंटे से ज़्यादा चलता है. जब भी रिमोट काम करना बंद कर दे, तो आप इन अवॉर्ड्स को देख कर टाइम पास कर सकते हैं.
एक समय ऐसा भी था, जब बॉलीवुड में ऐसे समारोह गिनती के हुआ करते थे, इतने कम कि आप उन्हें उंगलियों में गिन सकते थे. लेकिन अब हर ब्रैंड ने ख़ुद को बेचने के लिए अवॉर्ड बना लिए हैं. कमलापसंद अवॉर्ड, मनेक्चंद अवॉर्ड, स्टारडस्ट अवॉर्ड, कलर्स अवॉर्ड, IIFA अवॉर्ड. इन सभी अवॉर्ड शोज़ ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि यहां सास-बहुत सीरियल जैसा एंटरटेनमेंट परोसा जाएगा.
फ़िल्मफ़ेअर से कुछ उम्मीदें थीं, कि वो कुछ ऐसा करे, जिससे हमारा विश्वास एक बार फिर से किसी बॉलीवुड अवार्ड शो की तरफ़ बने. ऑस्कर न बने, कम से कम कोशिश तो करे.
लेकिन Filmfare ने भी दिल तोड़ दिया. पिछले साल Best Male Debut का अवॉर्ड स्टार किड सूरज पंचोली को मिला था और विक्की कौल्शल की बेहतरीन एक्टिंग (मसान) को नज़रंदाज़ कर दिया गया.
इस साल भी Best Actor, Male अवॉर्ड के लिए Filmfare की लिस्ट कुछ यूं है:
Aamir Khan (Dangal), Amitabh Bachchan (Pink), Ranbir Kapoor (ADHM), Salman Khan (Sultan), SRK (Fan), Shahid Kapoor (Udta Punjab) And Sushant Singh Rajput (MS Dhoni: The Untold Story).
जिस भी ज्यूरी ने ये लिस्ट तैयार की, उसे सलमान खान की ‘एक्टिंग’ तो दिखी, लेकिन अलीगढ़ में मनोज वाजपेयी की अदाकारी नहीं दिखी. सरबजीत की कहानी में जानदार अभिनय करने वाले रणदीप हुड्डा को भी नज़रंदाज़ कर दिया गया, क्योंकि उनके लिए ऐश्वर्या का कमबैक ज़्यादा ज़रूरी था. (ऐश्वर्या को सरबजीत में अपने रोल के लिए इस साल Best Actor, Female के लिए नोमिनेट किया गया है)
Best Actor (Female) nominees:
Aishwarya Rai Bachchan (Sarbjit), Alia Bhatt (Dear Zindagi &Udta Punjab), Anushka Sharma (ADHM), Sonam Kapoor (Neerja), Vidya Balan (Kahaani 2)
जिस तरह से एक्टर्स का नाम बेस्ट एक्टर के लिए चुना जाता है, उससे तो यही लगता है कि सिर्फ़ उन्हीं चेहरों को पिक किया जाता है, जो अवॉर्ड पकड़ कर मैगज़ीन में अच्छे दिखेंगे, या जिनसे फ़िल्मी मैगज़ीन ज़्यादा बिकेंगी, वर्ना ऐ दिल है मुश्किल की अनुष्का शर्मा ज़्यादा बेहतर थीं या पिंक में तापसी पन्नू, ये शायद बताने वाली बात नहीं. न ही स्वरा भास्कर का निल बट्टे सन्नाटा में रोल ऐश्वर्या से कमतर था.
ख़ुद अमिताभ बच्चन ने ये बात कुबूली है. उन्होंने राजीव मसंद के शो पर कहा था कि ये अवॉर्ड शोज़ अब बस एंटरटेनमेंट के लिए रह गए हैं, यहां स्टार्स आते हैं, अपने अवॉर्ड उठाते हैं, 15 मिनट के लिए अपनी शक्ल दिखाते हैं और फिर गायब.
हर साल वही होता है, कैमरे बार-बार अमिताभ और रेखा के Expression दिखाते हैं, या जैसे ही बिग बी की बात होती है, रेखा का चेहरा दिखाया जाता है. रेखा स्टेज पर किसी को अवॉर्ड देने आती हैं, तो सबकी निगाहें अमिताभ और जया बच्चन की तरफ़ होती हैं.
हर साल सलमान-शाहरुख़ की दुश्मनी को भुनाया जता है और फिर दोनों की दोस्ती दिखाई जाती है. TRP के लिए अवॉर्ड भी बिक गए और अवॉर्ड शो भी.
हम बॉलीवुड की तुलना हॉलीवुड से करते हैं, लेकिन वहां तक पहुंचने में अभी हमें सालों लगेंगे. फ़िल्मों में सुधार की बात तो बहुत दूर है, हम पहले अपने अवॉर्ड शो को तो बचा लें.