हॉरर मूवी, मतलब रोंगटे खड़े कर देने वाली फ़िल्म. बॉलीवुड में अब भले ही कुछ अच्छी हॉरर फ़िल्में बन रही हों लेकिन 90 के दशक की डरावनी फ़िल्में डराती कम हंसाती ज़्यादा थीं. वैसे ग़लती इन्हें बनाने वालों की भी नहीं है. पहले ऐसी तकनीक ही नहीं थी कि वो परफ़ेक्ट हॉरर मूवी बना सकें. ख़ैर, जो भी हो इन फ़िल्मों ने एंटरटेन तो किया ही. आइए 90 के दशक की कुछ ऐसी ही फ़िल्मों के बारे में जानकर इनसे जुड़ी यादों में खो जाते हैं.
1. बंद दरवाज़ा
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इस फ़िल्म का ड्रैकुला जिस तरह की हरकतें करता है उन्हें देखकर तो आज के समय में लोग डरेंगे कम हंसेंगे ज़्यादा. ख़ासकर नेवले की मदद से प्रेग्नेंट होने वाला लॉजिक.
2. ख़ूनी मुर्दा
एक प्लेबॉय टाइप शख़्स को कुछ दोस्त मिलकर मार देते हैं. अब उसका भूत लड़कियों का पीछा करता है और अपनी मौत का बदला लेने आता है. सुनकर ही हंसी आ रही है ना. ऊपर से भूत का मेकअप भी माशाअल्लाह है.
3. वीराना
वीराना में एक डायन मरने के बाद फिर से लौटती है बदला लेने. इस बार वो अपनी ही बेटी को शिकार बनाती है. वो वीराने में घूमती है और लिफ़्ट लेने के बहाने लोगों को मारती है. लोगों का उसकी असलियत जानकर चिल्लाना काफ़ी फ़नी लगता है.
4. ख़ून की प्यासी डायन
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इस फ़िल्म का प्लॉट ही नहीं पल्ले पड़ेगा आपको. इसमें तांत्रिक द्वारा एक शख़्स को अपनी कामुकता फिर से पाने के लिए बेटी की बली देने को कहा जाता है. अब ये तर्क भी आपके गले से नहीं उतर रहा होगा, लेकिन इसे देखने का बाद आपकी हंसी पक्का नहीं रुकेगी.
5. पुराना मंदिर
पता नहीं इस फ़िल्म को लिखते समय लेखक के दिमाग़ में क्या चल रहा था. क्योंकि ये फ़िल्म हॉरर कम कॉमेडी ज़्यादा लग रही थी. इसमें लीड एक्टर्स या तो प्यार कर रहे होते या राक्षस से लड़ रहे होते थे, जो कतई डरावना नहीं था.
6. ख़ूनी पंजा
इस फ़िल्म में एक आत्मा नहीं, एक ख़ूनी पंजा है जो सबको परेशना किए हुए है. ये पंजा जिसका है उसकी मौत हो चुकी है और वो अपनी मौत का बदला लेने आई है. आत्मा तो लोग मान भी लेकिन पंजा कैसे किसी से बदला ले सकता है, ये बात ज़रा हज़म नहीं हुई.
7. प्यासी आत्मा
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इस फ़िल्म में एक लड़की का ख़ून कुछ दोस्त मिलकर कर देते हैं. अब उसकी आत्मा भटक रही है और अपने ख़ूनियों से बदला लेने आई है. लेकिन न तो इसमें आत्मा और न ही तांत्रिक डरावने लगते हैं. इसके उलट उन्हें देख हंसी ज़रूर आती है.
8. पापी गुड़िया
इसमें एक काला जादू करने वाला हत्यारा अपनी आत्मा को मरने से पहले एक गुड़िया में भेज देता है. ये गुड़िया एक बच्चे को मिल जाती है. अब ये उसे और उसके घरवालों को परेशान कर रही है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि एक गुड़िया में किसी की आत्मा कैसे जा सकती है.
इनमें से कौन सी फ़िल्म को आप वीकेंड पर दोस्तों के साथ देखने वाले हैं?