बॉलीवुड में कई ऐसे दिग्गज कलाकार हैं, जिन्हें लोग उनके काम से जानते हैं नाम से नहीं. इसकी सबसे बड़ी वजह है, इन स्टार्स की कम पब्लिसिटी होना. कुछ सहकलाकार दमदार एक्टिंग के बावजूद लाइमलाइट से दूर रहते हैं या फिर उन्हें जानबूझकर तवज्जो नहीं दी जाती. बॉलीवुड के इन्हीं बेहतरीन कलाकारों में शरत सक्सेना भी हैं.

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आपको जानकर हैरानी होगी कि 160 फ़िल्मों में काम करने के बावजूद बॉलीवुड ने 30 साल तक शरत सक्सेना को नज़रअंदाज़ किया. इस बात का ख़ुलासा ख़ुद उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान किया. CINTAA को दिया गया ये इंटरव्यू काफ़ी पुराना है, जो अब सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है. वो कहते हैं, उनके टाइम में बॉडी बिल्डर की तरह दिखने वाले लोगों को जूनियर आर्टिस्ट के रूप में देखा जाता था. उस इंसान के अंदर चाहे कितनी ही कलाकारी क्यों न हो, पर फिर उसे ‘लेबर क्लास’ की तरह रखा जाता था.

शरत सक्सेना ने बताया कि उनके पिता इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एथलीट थे. पिता से प्रेरित होकर उन्होंने भी अपनी बॉडी पर काम किया, पर जब वो एक्टर बनने मुंबई आये, तो निर्माता-निर्देशक ने उन्हें एक जूनियर कलाकार बना दिया. वो कलाकार जो फ़िल्मों में या तो फ़ाइट करता दिखता था या छोटे-मोटे डायलॉग बोलता था. शरत सक्सेना कहते हैं बॉलीवुड में उन्हें अपनी पहचान बनाने में 30 साल गये, तब जाकर उन्हें निर्देशक शाद अली ने ‘साथिया’ फ़िल्म में रानी मुखर्जी के पिता का रोल दिया. ये रोल ज़्यादा बड़ा नहीं था. पर हां छोटी सी भूमिका को भी दर्शकों ने ख़ूब सराहा.

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शरत सक्सेना ने अपने फ़िल्मी करियर में ‘मिस्टर इंडिया’, ‘गुलाम’, ‘सोल्ज़र’, ‘क्रिश’ और ‘फ़ना’ जैसी कई सुपरहिट फ़िल्में दी हैं. वो अपनी एक्टिंग के साथ-साथ दमदार बॉडी और मुछों के लिये भी जाने जाते हैं. दुख होता है ये जानकर कि बेहतरीन कलाकारों को पहचान बनाने में इतना समय लग जाता है.