Bollywood Movies About Relationships: वैलेंटाइंस वीक (Valentine’s Week) चल रहा है इसलिए हर तरफ़ प्यार का माहौल है. लोग एक-दूसरे को प्रपोज़ कर रहे हैं तो कहीं प्यार का इज़हार करने का अंदाज़ निराला है. वैसे इन 7 दिनों में फ़िज़ा में भी प्यार घुल जाता है, तभी तो ये हवाएं भी प्यारभरी लगती हैं. कहीं न कहीं हम सबने प्यार को ख़्वाबों जितना ख़ूबसूरत बना दिया है, लेकिन दूसरी तरफ़ कुछ हक़ीक़तें ऐसी भी हैं, जो थोड़ी दर्दनाक है. एक प्यार ऐसा भी होता है, जो मतलबफऱोस्त है, धोखेबाज़ है और दर्दनाक है, जिसके लिए हर लड़की को खड़े होना चाहिए न कि ये सोचना चाहिए कि प्यार है सुधर जाएगा क्योंकि सुधर जाने पर ज़िंदगी नहीं जी जाती, बल्कि ऐसा करना चाहिए जैसा इन फ़िल्मों में दिखाया गया है.

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प्यार के नाम ग़लत सहने से अच्छा उठो हिम्मत करो और हद #LoveKiBoundary बताओ.

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Bollywood Movies About Relationships

1. थप्पड़ (Thappad)

इस फ़िल्म में तापसी पन्नू एक हाउस वाइफ़ बनी हैं, जो सब करती हैं अपने पति के लिए, लेकिन एक थप्पड़ की वजह से उनके रिश्ते में तूफ़ान आ जाता है. इसकी वजह से वो अपने पति को सबक सिखाती हैं कि प्यार में तिरस्कार सहनीय नहीं है.

2. सनम तेरी कसम (Sanam Teri Kasam)

ये कहानी सरस्वती और इंदर नाम के लड़के की है, सरस्वती बहुत ही सिंपल और साधारण है, जिसे समाज की चकाचौंध से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वो अपने आत्मविश्वास और सेल्फ़ रिस्पेक्ट दोनों का सम्मान रखना जानती है. इसीलिए जब इंदर उसे घर से निकलने के लिए कहता है तो वो उसे बताती है कि ये ग़लत था और ऐसा नहीं होना चाहिए. बाद में दोनों को प्यार हो जाता है.

3. पिंक (Pink)

इसमें तीन इंडिपेंडेंट लड़कियों की कहानी है, जो घर से दूर रहकर जॉब करती हैं और अपनी ज़िंदगी जीती हैं, लेकिन समाज की सोच से बने हुए लड़के ऐसी लड़कियों को अपनी प्रॉपर्टी समझते हैं. इसकी इसी सोच को मुंहतोड़ जवाब देती हैं ये लड़कियां.

4. क्या कहना (Kya Kehna!)

ये कहानी एक ऐसी लड़की प्रिया की है जो सच्चे दिल से प्यार करती है और उसे अपना सब कुछ सौंप देती है, लेकिन लड़का उसका फ़ायदा उठाकर उसे छोड़ देता है. एक बिनब्याही मां समाज से लड़ती है और परिवार से भी. सबसे लड़कर अपने बच्चे को जन्म देती है फिर जो पिता छोड़कर चला गया ता वो हक़ जताने आ जाता है, लेकिन वो लड़की उसे सबक सिखाती है ग़लत सही बताती है, लेकिन उसके साथ नहीं जाती है.

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5. इंग्लिश विंग्लिश (English Vinglish)

प्यार कितना भी पूरा या ग़हरा हो परीक्षा तो मांगता ही है ऐसी ही कुच कहानी है इंग्लिश-विंग्लिश की, जिसमें दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी और आदिल ख़ान हैं. श्रीदेवी एक ऐसे किरदार को जी रही थीं, जो इंग्लिश नहीं समझती लेकिन भावनाओं को समझती है. बस इंग्लिश न आने के चक्कर में वो घर के किसी अन्य सदस्यों के साथ-साथ अपने पति की नज़रों में भी एक पुराने सामान की तरह हो जाती है. इन्हीं सबको अपनी अहमियत बताने के लिए वो इंग्लिश सीखती है और उन्हें बताती है कि ज़िंदगी में इंग्लिश ही सबकुछ नहीं है.

6. प्यार का पंचनामा 2 (Pyaar Ka Punchama 2)

सिर्फ़ लड़कियों की ही फ़ीलिंग्स का खिलवाड़ नहीं होता है, बल्कि लड़कों के साथ भी होता है, जिसे ‘प्यार का पंचनामा’ जैसी फ़िल्में साबित भी करती हैं. इसका पहला पार्ट हो या दूसरा पार्ट दोनों ही ज़बरदस्त थे, लेकिन दूसरे पार्ट में कार्तिक आर्यन यानि अंशुल जिस तरह से नुस्रत भरूचा यानि रुचिका खन्ना को उनकी ग़लतियों का एहसास कराते हैं वो हर उस रिलेशनशिप में ज़रूरी है, जिसमें एक पार्टनर दूसरे की रिस्पेक्ट नहीं करता.

7. कबीर सिंह (Kabir Singh)

इस फ़िल्म की कहानी को पसंद करने वाले जितने थे उससे कहीं ज़्यादा नापसंद करने वाले. इन सबसे ऊपर उठकर देखें तो ये दो लोगों के प्यार की कहानी थी, जो प्यार में कुछ भी बर्दाश्त करने को तैयार थे, लेकिन हर बर्दाश्त की एक हद होती है, जो कभी पार नहीं होनी चाहिए. इसलिए जब वो हद पार होती है तो कियारा आडवाणी यानि प्रीति अपने शाहिद कपूर यानि कबीर सिंह को छोड़कर चली जाती है. फिर जब दोनों दोबारा मिलते हैं तो कबीर सिंह को अपनी ग़लती का एहसास होता है और दोनों एक हो जाते हैं.

एक शख़्स जिसके लिए आप सब करते हो, उसके परिवार को संभालते हो उसे संभालते हो, लेकिन वो प्यार के नाम पर आपको सिर्फ़ तिरस्कार देता है. ऐसे शख़्स को फिर वो लड़का हो या लड़की उसे अपनी अहमियत कराना और #LoveKiBoundary तय करना बहुत ज़रूरी होता है.