Bollywood Movies That Were Boycotted Decades Ago: बीते कुछ सालों में बॉयकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत सोशल मीडिया पर हुई थी. इस ट्रेंड का शिकार बहुत सारी फ़िल्में बनी थी.
वैसे ये ट्रेंड कोई नया नहीं है. सोशल मीडिया से पहले भी बॉलीवुड फ़िल्मों का बहिष्कार हो चुका है. चलिए आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ पुरानी फ़िल्मों के बारे में…
Bollywood Movies Boycotted Before Social Media
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1. नील आकाशेर नीचे (Neel Akasher Neechey)
संभवत: ये भारत की पहली फ़िल्म थी जिसे राजनीति विरोध बताते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बैन कर दिया था. मृणाल सेन की इस फ़िल्म में दिखाया गया था कि कैसे अपनी शक्तियों का प्रयोग कर नेता नीचे तबके के लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं. विवाद के 3 महीने बाद 1958 में इसे रिलीज़ किया गया था.
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2. किस्सा कुर्सी का (Kissa Kursi Ka)
अमृत नहाटा द्वारा निर्देशित इस मूवी में राज किरण, सुरेखा सीकरी, मनोहर सिंह और शबाना आजमी जैसे कलाकार थे. बताया जाता है कि इस फ़िल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ऊपर कटाक्ष किया गया था इसलिए इसे उनके बेटे संजय गांधी ने रिलीज़ नहीं होने दिया था. उन्होंने इसके प्रिंट तक जला डाले थे. इसके लिए बाद में उनको सज़ा भी हुई थी.
3. सत्यम शिवम सुंदरम (Satyam Shivam Sundaram)
शशि कपूर और ज़ीनत अमान की इस फ़िल्म को राज कपूर ने डायरेक्ट किया था. इसके ख़िलाफ हिमाचल प्रदेश में एक मुकदमा दायर हो गया था. वहां इसका विरोध शुरू हो गया था. कुछ लोगों ने फ़िल्म के ज़रिये राज कपूर पर अश्लीलता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केस खारिज कर दिया था.
4. कलयुग और रामायण (Kalyug Aur Ramayan)
इस फ़िल्म का नाम पहले ‘कलयुग की रामायण’ था, इसे बाबूभाई मिस्त्री ने डायरेक्ट किया था. मगर ये नाम लोगों को पसंद नहीं आया और इसे बायकॉट करने की मांग उठने लगी. तब मनोज कुमार ने इसका नाम बदलकर ‘कलयुग और रामायण’ कर दिया, तब ही इसे रिलीज़ होने दिया गया.
5. आंधी (Aandhi)
गीतकार गुलज़ार द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन ने मुख्य भूमिका निभाई थी. ऐसी अफ़वाह थी कि ये पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित थी, इसलिए इसके रिलीज़ होने के बाद ही इसे बैन कर दिया गया. बाद में कुछ एडिटिंग के बाद इसे रिलीज़ किया गया था.
6. गरम हवा (Garam Hava)
बलराज साहनी की ये फ़िल्म पूरे 8 महीने तक सेंसर बोर्ड में अटकी थी. 1974 में इसके प्रीमियर से पहले शिवसेना के पूर्व प्रमुख बाल ठाकरे ने सिनेमा हॉल को जलाने की धमकी दी थी. उनके मुताबिक ये फ़िल्म भारत विरोधी थी. हालांकि, इसे बाद में रिलीज़ कर दिया गया था.
7. एन ईवनिंग इन पेरिस (An Evening in Paris)
1967 की इस फ़िल्म में पहली बार किसी एक्ट्रेस ने बिकिनी पहनी थी. एक्ट्रेस थीं शर्मिला टैगोर. इस पर भी ख़ूब हंगामा हुआ. मगर विरोध प्रदर्शनों के बावजूद इसे रिलीज़ किया गया था.
8. फ़ायर (Fire)
समलैंगिक संबंधों को प्रदर्शित करने वाली पहली हिंदी फ़िल्म थी ये. इसमें शबाना आज़मी और नंदिता दास ने लीड रोल प्ले किया था. दीपा मेहता की इस मूवी का भी काफ़ी विरोध हुआ था. बहुत से लोगों ने थिएटर में तोड़फोड़ भी की थी.