बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक अतरंगी फ़िल्में बनी है. कुछ इतनी चौचक कि देखकर मन चकाचक हो जाए, तो कुछ ऐसी वाहियात कि चेहरे की चमचमाती मुस्कान भी चूस ले जाएं. 

मगर इन दोनों एक्स्ट्रीम के बीच भी कुछ ऐसी फ़िल्में हैं, जो अपनी हल्की-फुल्की मगर फुल एंटरटेनिंग कहानियों के लिए फ़ेमस हैं. साथ ही, ये वो फ़िल्में हैं, जो पर्दे पर भले ही उतना कमाल न कर पाई हो, लेकिन टीवी पर इन्होंने ताबड़तोड़ फ़ैन फ़ॉलोइंग बटोरी हुई है. सच्ची-मुच्ची कहें तो टीवी ने ही असल मायनों में इन फ़िल्मों को लोगों की ज़ुबान तक पहुंचाया है.

तो आाइए, मारते हैंं एक नज़र उन फ़िल्मों पर जो टीवी पर अनन्त काल तक गदर काटती रहेंगी.

1. आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया

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ये महाख़ुराफ़ाती पतियों और अतिसीधी पत्नियों के कलेश की कहानी है. लोवर मिडिल क्लास परिवार में जब पति की अय्याशी अंबानी को फेल करने पर आमादा हो, तब घर पर पत्नी और बच्चों का बुरा हाल हो ही जाता है. बस यही इसकी कहानी का सेंटर प्वाइंट है. साथ में, पत्नियों को घर की चारदीवारी में रहना चाहिए जैसी मर्दाना बेवकूफ़ियां भी फ़िल्म की कहानी में शामिल रही. गोविंदा, जॉनी लीवर से लेकर तब्बू जैसे स्टार इस फ़िल्म में थे. 575 बार ये फ़िल्म टीवी पर आई होगी और 576 बार हमनें देखा होगा. आज भी हम इस फ़िल्म को देखने से नहीं चूकते.

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2. खट्टा मीठा

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फ़िल्म में अक्षय कुमार ठेकेदार बने हैं. बिल्कुल फालतू टाइप. पैसा है नहींं, लेकिन तमाम बेमानी फैलाकर नोट छापना चाहते हैं. मगर फेल होते हैं. कहानी में ऐसा कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन अक्षय जब-जब कोई फ़टीचर क़िरदार निभाते हैं, तो हंसा-हंसाकर लोटपोट करने की गारंटी होती है. इस फ़िल्म के साथ भी ऐसा है. तब ही तो ये फ़िल्म टीवी पर लोगों का फुल टाइमपास करती है.

3. लाल बादशाह

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‘जब-जब होता है ज़ुल्मों का हादसा, तब-तब जन्म लेता है लाल बादशाह’. ये डॉयलाग जितना ऐतिहासिक है, उतनी ही फ़िल्म. भले ही अमिताभ बच्चन को इसका अफ़सोस हो, लेकिन हमें नहीं. हमें दिन में खिचड़ी खाते वक़्त रायता पसंद है, तो ये फ़िल्म देख लेते. हमारे जैसे बहुतों को रायता पसंद है, इसलिए ये फ़िल्म टीवी पर सुपरहिट है.

4. मालामाल वीकली

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अगर ये फ़िल्म सोना है तो अपना राजपाल यादव हीरा. यूं तो ओमपुरी, परेश रावल से लेकर रितेश देशमुख तक फ़िल्म में हैं, लेकिन राजपाल की खिसियाई जवानी ने इस फ़िल्म में चार-चांद लगा दिए थे. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ज़्यादातर लोग राजपाल यादव की कॉमेडी के चक्कर में इस फ़िल्म को बार-बार टीवी पर देखते हैं. 

5. सूर्यवंशम

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इस फ़िल्म में अमिताभ ने दर्शकों का खूब ख़ून चूसा. इतना कि आख़िर में वो ख़ुद भी उसे पचा न पाए. भानु प्रताप सिंह को ख़ून की उल्टी करता देखने के लिए ही लोग पूरी फ़िल्म आज भी टीवी पर देखते हैं. ‘हमारे एंटरटेनमेंट में कड़वाहट भरकर खीर खाने चला था, ले अब कर ख़ून की उल्टी.’

6. बिल्लू

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फ़िल्म में कुछ भी ख़ास नहीं था. सिवाए इरफ़ान ख़ान के. वो फ़िल्म में एक हेयर स्टाइलिस्ट बने थे. छोटे से गांव का एक शख़्स जिसका दोस्त शाहरुख़ ख़ान सुपरस्टार बन जाता है. बस बिल्लू कैसे अपने सुरस्टार दोस्त साहिल ख़ान से मिलता है, पूरी स्टोरी इसी पर है. पर्दे पर फ़िल्म कुछ ख़ास नहीं कर पाई, मगर टीवी पर हिट रही है.

7. बड़े मियां छोटे मियां

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‘अपने आपको मुगल-ए-आज़म, हमको अनारकली समझता है बे… कितना नचा रहा है?’ यार गोविंदा मतलब गोविंदा है. यूं तो अमिताभ भी फ़िल्म में थे, लेकिन गोविंदा ने मौज दिला दी थी. यही वजह है कि ये फ़िल्म सुपर एंटरटेनिंग है और टीवी पर ज़बरदस्त हिट साबित हुई.

8. हसीना मान जाएगी

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वो डॉयलाग याद है, ‘जब हम गए थे तब आप मुगल-ए-आज़म थे, जब हम आए हैं तब पगले आज़म हैं.’ हां, इसी फ़िल्म का तो है. फ़िल्म में सोनू-मोनू (संजय दत्त-गोविंदा) दोनों भाई हैं. फ़िल्म में महा कंजूस बाप (क़ादर ख़ान) अपनी निहायती ख़ुराफ़ाती औलादों से परेशान है. यहीं से कॉमेडी का ज़बरदस्त तड़का लगता है. फ़िल्म में बाकी भी किरदार हैं, जो मस्त हैं. पर्दे पर इस फ़िल्म ने अपने बजट के हिसाब से ठीक-ठाक कमाई की थी, लेकिन टीवी ने तो इस फ़िल्म के हर डॉयलाग लोगों को रटवा दिया. 

9. चल चला चल

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अपने नाम की तरह ही ये फ़िल्म पर्दे से कब चल चला चल हुई, मालूम ही नहीं पड़ा. फ़िल्म में गोविंदा एक बस सर्विस शुरू करता है. फ़िल्म में राजपाल यादव ने गोविंदा के लखैरे दोस्त का क़िरदार निभाया है. अब ये दो महारथी किसी फ़िल्म में हो और लोगों को मज़ा न आए. ऐसा तो हो ही नहीं सकता. बस भले ही पर्दे पर पिटी हो, लेकिन टीवी पर तो लोग पूरी फ़िल्म को निचोड़ चुके हैं. अभी भी ये फ़िल्म आ जाए, तो बस पलथी मारकर देखना शुरू हो जाएंगे सब.

10. ये तेरा घर ये मेरा घर

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ये फ़िल्म तो ग़ज़ब है. महिमा चौधरी फ़िल्म में किराएदार की भूमिका में है, जो सुनील शेट्टी के घर पर हैं. सुनील को अपना घर खाली करवाना है, लेकिन महिमा नहीं करती. बस यहीं से सारी भसड़ शुरू होती है. वाकई अगर फ़िल्में टीवी पर रिलीज़ नहीं होतीं, तो लोगों को इतनी अच्छी फ़िल्म देखने को न मिलती. 

11. चुप चुप के

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शाहिद कपूर की ये फ़िल्म पर्दे पर एवरेज थी, लेकिन टीवी पर ग़ज़ब भौकाल मचाई. राजपाल यादव और परेश रावल ने जो फ़िल्म में कॉमेडी पेली है, उसका तो कोई जवाब ही नहीं. ऊपर से शक्ति कपूर के साथ ने तो और भी जान डाल दी. आपकी तरह मैं भी इस फ़िल्म को कभी भी देख सकता हूंं.

12. अंदाज़ अपना अपना

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इस फ़िल्म को बनाने वाले पुरुष नहीं थे, महापुरुष थे. फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर धड़ाम हो गई थी, लेकिन टीवी पर ऐसी हिट हुई कि आज तक लोग बस यही पूछते हैं, ‘ये तेजा-तेजा क्या है? ये तेजा-तेजा…’ इस फ़िल्म की लीड कास्ट का नाम बताने की ज़रूरत नहीं है, सब जानते हैं.

तो ये थी उन फ़िल्मों की संपूर्ण लिस्ट, जिन्हें टीवी ने सही मायनों में हिट बनाया था. आपकी फ़ेवरेट फ़िल्म कौन सी है? करो कमंट्स.