Bollywood Movies With Strange Climax: बॉलीवुड इंडस्ट्री (Bollywood Industry) हर साल दर्शकों के एंटरटेनमेंट के लिए बंपर मूवीज़ लेकर आती है. इनमें से कुछ ही मूवीज़ ऐसी होती हैं, जो दर्शकों के दिलों-दिमाग़ में उतर जाती हैं. वहीं, कुछ मूवीज़ का क्लाइमैक्स इतना खोपड़ी हिला देने वाला होता है कि ऑडियंस अंत तक स्क्रीन पर नज़र गढ़ाए रहने को मजबूर हो जाती है. इन मूवीज़ को देखने के दौरान एक भी सेकेंड के लिए पलकें झपकाने का मन नहीं करता है. इनमें हर पल कुछ अलग हो रहा होता है.

आज हम आपको बॉलीवुड की कुछ ऐसी ही  मूवीज़ (Bollywood Movies With Strange Climax) के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अंत तक ऑडियंस को अपनी पहेली में उलझाए रखा, लेकिन इसकी एंडिंग ने लोगों के दिमाग़ के पेंच ढीले कर दिए.

1- कार्तिक कॉलिंग कार्तिक

इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर में फ़रहान अख्तर लीड रोल में नज़र आए थे. फ़िल्म में उन्होंने एक ऐसा किरदार निभाया था जिसे अजनबी से बात करने की दिक्कत होती है, जो वो ख़ुद ही होते हैं. वो अजनबी उन्हें फ़ोन कॉल पर गाइड करता है कि उन्हें अपनी ज़िंदगी से कैसे डील करना चाहिए. बाद में ये ख़ुलासा होता है कि उन्हें एक प्रकार की मानसिक बीमारी है वो बचपन से अपने नकली भाई को इमेजिन कर रहे थे. इसकी की परतें एंडिंग तक आकर बेहद धीरे-धीरे खुलती हैं, लेकिन फिर भी आख़िर में ये ऑडियंस के दिमाग़ में कई सवाल छोड़ जाती है. (Bollywood Movies With Strange Climax)

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2. तलाश

रीमा कागती ने इस मूवी को बेहद ख़ूबसूरत तरीके से डायरेक्ट किया था. ये मूवी आमिर ख़ान के कैरेक्टर ‘सुरजन‘ के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने 8 साल के बेटे की मौत से डील करने की कोशिश कर रहा है. वो रोज़ी (करीना कपूर ख़ान) नाम की एक लड़की का केस सुलझाने की कोशिश करता है, जो बाद में एक भूत निकलती है. ये फ़िल्म ये एंगल दर्शाती है कि कभी-कभी शायद अपनी ज़िंदगी में शांति पाने के लिए हमें अप्राकृतिक चीज़ों में विश्वास हो जाता है. इस मूवी की एंडिंग में ‘सुरजन’ को अपने मृत बेटे के द्वारा एक नोट लिखा मिलता है, जो कई व्यूअर्स के पल्ले नहीं पड़ा था. (Bollywood Movies With Strange Climax)

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3. रॉय 

अच्छी स्टार कास्ट होने के बावजूद इस मूवी को प्लॉट के कई हिस्सों में कमज़ोर दिखाने के चलते काफ़ी आलोचनाएं मिली थीं. दो कहानियों का एक साथ मूवी में दिखाया जाना ठीक था, लेकिन डायरेक्टर उसको सही तरीक़े से अमल में नहीं ला सके. जब कबीर की मूवी (अर्जुन रामपाल), उनके कैरेक्टर्स (रणबीर और जैकलीन) एक साथ मिलते हैं और वो आएशा (जैकलीन) से मिलता है, वो सीन दर्शकों की समझ से आज तक बाहर है. 

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4. नो स्मोकिंग

ये साइकोलॉजिकल थ्रिल स्टीफ़न किंग की नॉवेल पर आधारित है, जो प्लॉट की जटिलता को समझाता है. इसमें एक चेनस्मोकर की कहानी दिखाई गई है, जो धूम्रपान छोड़ने का फ़ैसला लेता है और पुनर्वास में जाता है. लेकिन वो बाबा बंगाली के जाल में फंस जाता है, जो उसे स्मोकिंग छोड़ने की पूरी गारंटी देते हैं. इसकी एंडिंग जब ‘K’ (जॉन अब्राहम) की आत्मा उसकी बॉडी में वापिस आ जाती है और वो सिर्फ़ ये देखने के लिए जागता है कि उसकी दो उंगलियां गायब है. इसकी एंडिंग का कोई सेंस मुझे समझा दो ज़रा. (Bollywood Movies With Strange Climax)

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5. कौन

राम गोपाल वर्मा ये मूवी साल 1999 में लेकर आए थे, जिसमें मनोज बाजपेयी और उर्मिला मांतोडकर लीड रोल में थे. ये मूवी उर्मिला के कैरेक्टर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने घर में अकेली रह रही होती है. उसे बारिश की रात में एक बाहरी अजनबी डिस्टर्ब करता है. ये मूवी ये दिखाने के लिए आगे बढ़ती है कि मनोज एक खौफ़नाक पागल व्यक्ति है, जो अपने मज़े के लिए लोगों की जान लेता है. हालांकि, इसके क्लाइमैक्स में पता चलता है कि मनोज सीरियल किलर नहीं हैं. तो फिर आख़िर किलर कौन है? बस यही सवाल लोगों के मन में पैदा करते हुए मूवी ख़त्म हो जाती है. 

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6. ब्लफ़मास्टर!

ब्लफ़मास्टर!‘ मूवी में अभिषेक बच्चन ने एक मास्टर कॉन-मैन की भूमिका निभाई, जो अपने साइड किक रितेश देशमुख के साथ अमीर लोगों को ठगता है. हालांकि, अपने तरीक़े सुधारने का फ़ैसला करने के बाद वो सिर्फ़ एक ठगाई के लिए मान जाता है. वो इसमें सफ़ल भी होता है. इस मूवी के क्लाइमेक्स में उसे एहसास होता है कि वो ख़ुद सबसे बड़े नुकसान का शिकार हो गया है. हालांकि, सबसे बड़े ठग को कौन चकमा दे सकता है? आख़िर में पता चलता है कि इस पूरे टाइम में एक और ब्लफ़मास्टर था, जो उसके साथ खेल रहा था. 

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7. कहानी

‘कहानी’ फ़िल्म इसके कैरेक्टर विद्या बागची की स्टोरी को एक्सप्लोर करती है. इसमें एक प्रेग्नेंट महिला लंदन से कोलकाता अपने भागे पति को ढूंढने आती है. हालांकि, वो जिससे भी उसके बारे में पूछती है, सब मना कर देते हैं. लेकिन जल्द ही आपको एहसास हो जाएगा कि वो प्रेग्नेंट होने का नाटक कर रही है. वो चालाकी से पुलिस को यूज़ करके उस क्रिमिनल तक पहुंचती है, जिसने उसके पति की हत्या की थी. इस फ़िल्म में पल-पल में कहानी एक ट्विस्ट लाती है, जो आपको अंत तक बांधे रखेगी. क्लाइमैक्स सीन में वो अपने टमी से एस्थेटिक उतारती है और अपने अजन्मे बच्चे को न्याय दिलाते हुए विलेन को मार देती है.

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8. ए वेडनेज़डे

‘ए वेडनेसडे’ फ़िल्म की स्टोरीलाइन कमाल की है. फ़िल्म में एक आतंकवादी को मुंबई पुलिस को उसकी मांगों पर सहमत होने के लिए ब्लैकमेल करते हुए दिखाया गया है. हालांकि, क्या होगा यदि कोई आतंकवादी की डिमांड वास्तव में आपको अपने कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर सोचने के लिए प्रेरित करती है और आपके अपने सिस्टम पर सवाल उठाती है? इसका क्लाइमैक्स ये जानने के लिए ध्यान से देखिए कि कैसे एक सिंपल फ़ोन कॉल पूरे शहर को उसके पैरों पर ला देती है. 

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इन फ़िल्मों के क्लाइमैक्स ने कंफ्यूज़ कर डाला.