दिल्ली वालों के दिल का दम निकला जा रहा है आजकल! ये शहर हुआ धुआं- धुआं, छाती पकड़, आंख मसल, सांस लेता शहर, फिर हुआ ज़हर- ज़हर. हर साल का वही तमाशा, हाय दिल्ली तेरी हवा ने मार डाला!
इस बार दिल्ली ने केवल फेफड़ों ही नहीं राइटर के दिमाग़ पर भी असर डाला. इसलिए राइटर ने फ़िल्मों और सीरीज़ के अंदर भी धुआं- धुआं कर डाला.
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सांसों की ज़रूरत है जैसे ज़िन्दगी के लिए …
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