मूवीज़ (Movies) हमेशा रियलिटी से परे होती हैं. इसमें आपको एक्शन, ड्रामा, रोमांस सब कुछ भरपूर मात्रा में मिलता है. फ़िल्में आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं, जहां सब कुछ इमेजिनरी होता है. ज़्यादातर फ़िक्शनल मूवीज़ का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता है. रोज़मर्रा की भागदौड़ और उबाऊ ज़िंदगी से विपरीत ये आपको एंटरटेन करके रिलैक्स फ़ील करवाने की कोशिश करती हैं. हालांकि, कभी-कभी इसमें कुछ ऐसा देखने को मिलता है, जो दिमाग़ को स्ट्रेस फ़्री करने के बजाय उसे और स्ट्रेस दे देता है. मतलब कहानी में ऐसे-ऐसे ट्विस्ट फ़िल्ममेकर्स डाल देते हैं, जो पूरी बुद्धि को ही ट्विस्ट कर देते हैं.

चलिए आज आपको कुछ ऐसी ही अजीबो-ग़रीब चीज़ों (Bollywood Unrealistic Things) के बारे में बताएंगे, जो बॉलीवुड फ़िल्मों में हमें देखने को मिलती आई हैं.

Bollywood Unrealistic Things

1. हीरो का अप्रत्याशित रूप से बच जाना 

आपने कई फ़िल्मों में देखा होगा कि चाहे हीरो किसी खाई में गिर गया हो, चाहे उसके सीने में गोलियां ठुसी पड़ीं हों, चाहे बदमाशों ने उसका मार-मार कर दिवाला निकाल दिया हो, लेकिन न जाने कैसे हीरो हमेशा बच जाता है. कभी-कभी तो हॉस्पिटल के डॉक्टर भी उसके मरने की पुष्टि कर चुके होते हैं, लेकिन न जाने कौन सी देवीय शक्ति के बलबूते पर वो MBBS की पढ़ाई किए हुए डॉक्टर की भी बात झुठला कर जीवित हो जाता है. लगता है हिंदी फ़िल्म के हीरो हनुमान जी की संजीवनी बूटी का डोज़ ले चुके हैं. ‘मां तुझे सलाम‘ में सनी देओल के क़िरदार को ही देख लीजिए. 30 गोलियां लगने के बाद भी हीरो को ज़िन्दा कर दिया जाता है.

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2. पुनर्जन्म

दुनियाभर के साइंटिस्ट इस मुद्दे पर बोरियां भर-भर के रिसर्च कर चुके हैं, लेकिन उन्हें भी इस तरह का कोई पुख्ता प्रमाण हाथ न लगा. लेकिन लगता है बॉलीवुड वैज्ञानिकों से कई आगे निकल चुका है. वो एक जन्म नहीं, बल्कि दो-दो जन्म की कहानी फ़िल्मी पर्दे पर दर्शाने की हिम्मत रखता है. किसी फ़िल्म में तो कुछ लोगों को अपने पुराने जमाने के लैला-मजनू भी याद रहते हैं और वो उन्हें पागलों की तरह ढूंढने निकल पड़ते हैं. यहां ये तो याद नहीं रहता कि दो दिन पहले हमने खाने में क्या खाया था और यहां लोग पिछले जनम को याद करने की बात कर रहे हैं. (Bollywood Unrealistic Things)

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3. रहस्यमयी जुड़वा भाई 

80 के दशक में बॉलीवुड की हमने ऐसी कई फ़िल्में देखी थीं, जिसमें एक भाई को अपने जुड़वा भाई की कानों-कान ख़बर नहीं होती और फिर अचानक से दोनों एक दिन एक-दूसरे के सामने आ टपकते हैं. हमेशा इनमें से एक भाई नेक दिल वाला होगा, वहीं दूसरा भाई बिगडै़ल होने में कोई कसर नहीं छोड़ता. मानो इन सब की माएं कुंभ मेले में ही आती-जाती रहती थीं.

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4. हमेशा एक जैसे स्टेप्स करना

बॉलीवुड फ़िल्मों में ये चीज़ दशकों से चली आ रही है. सीन के बीच में गाना आ जाता है, उसके बाद न जाने कहां से बैकग्राउंड डांसर आ जाते हैं और हीरो या हीरोइन के जैसे ही स्टेप्स करने लगते हैं. ये बैकग्राउंड बिन बुलाए मेहमान जैसे लगते हैं, जो कभी भी आ धमकते हैं. हम लोग क्या बेवकूफ़ हैं, जो किसी दोस्त के संगीत लिए महीनों पहले प्रैक्टिस करते हैं और इसके बावज़ूद इतने परफ़ेक्ट तरीके से एक जैसे स्टेप्स नहीं कर पाते. (Bollywood Unrealistic Things)

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5. नफ़रत के बाद प्यार

रियल लाइफ़ में ऐसा होना नामुमकिन है कि लड़का और लड़की एक-दूसरे को रत्ती भर पसंद न करें और फिर अचानक से दोनों में प्यार हो जाए. लेकिन फ़िल्में नामुमकिन को मुमकिन बनाने के लिए ही बनी हैं. लड़का चाहे कितनी भी बद्तमीज़ी कर ले, लेकिन पहले उससे नफ़रत करने वाली लड़की उसके प्यार में ऐसे पागल होती है कि उसके आगे निब्बा-निब्बी वाला प्यार भी फीका पड़ जाए.  

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6. कहीं भी डांस करने लगना

हिंदी मूवीज़ में डीजे, पार्टी में डांस जैसी चीज़ें बहुत कम ही देखने को मिलती होंगी. यहां हीरो और हीरोइन को डांस करने के लिए कोई विशेष स्थान नहीं चाहिए. मौका मिलने पर ये कहीं भी थिरकने लगते हैं. रेल की पटरियां, पार्क, एयरपोर्ट, छत पर टंग कर, इन्हें कोई भी जगह दे दो, ये हर जगह कम्फ़र्टेबल हैं. (Bollywood Unrealistic Things)

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7. फ़िजिक्स की रेढ़ पीटना

अगर आप कोई बॉलीवुड मूवी देख रहे हैं, तो उसमें फ़िजिक्स को तो बिल्कुल ही भूल जाइए. इसके साथ ही अगर एक्शन मूवी हो, फिर तो इस टर्म का नाम ही मत ले लेना. मार-धाड़ के साथ इसमें हीरो के एक मुक्के में ही इतनी ताकत होती है कि विलन कोसो दूर जा गिरता है. गाड़ियां उड़ती हुई दिखाई देंगी, हीरो की बंदूक कई गाड़ियों के आर-पार होती दिखाई देने लगेगी. मतलब कुछ भी चल रहा होता है.

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8. एलियन का दूसरे ग्रह से आना

अपने ग्रह के प्राणी तो झेलना मुश्किल हुआ जा रहा है और फ़िल्मों में दूसरे ग्रह से एलियन टपक रहे हैं. हद तो तब हो जाती है, जब एलियन अपने ग्रह के लोगों को सही राह पर चलने का पाठ पढ़ाते हैं. वो हमारी भाषा भी बोलना जानते हैं. उदाहरण के तौर पर ‘पीके’ में एलियन के कैरेक्टर में दिखे आमिर ख़ान के अंदर सुपरनैचुरल पॉवर दिखाई गई हैं, जिससे वो किसी का भी हाथ पकड़कर उसके जैसी भाषा बोलना सीख़ जाता है. कुछ तो लॉजिक दिखा दो भाई.

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बॉलीवुड में एंटरटेनमेंट के नाम पर लॉजिक की ऐसी की तैसी हो चुकी है.