बॉलीवुड फ़िल्म इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक विलेन हुये हैं, लेकिन बॉब क्रिस्टो (Bob Christo) को हम भला कैसे भूल सकते हैं. बॉब क्रिस्टो 80 और 90 के दशक की हिंदी फ़िल्मों में नकारात्मक भूमिकाओं के लिए मशहूर थे. फ़िल्म के हीरो से पंगा लेने से लेकर सोने की स्मगलिंग, हीरोइन की इज्जत पर हाथ डालने तक, बॉब ने वो सब किया जो उस दौर में हिंदी फ़िल्मों के विलेन करते थे. बॉब देशभक्ति वाली बॉलीवुड फ़िल्मों में अंग्रेज़ अफ़सर बनकर हिंदुस्तानियों पर जुल्म ढाते नज़र आते थे, लेकिन रियल लाइफ़ में वो अपने स्वभाव के विपरीत बेहद बेहद भोले शख्स थे.
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बॉब क्रिस्टो (Bob Christo) का जन्म 1938 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हुआ था. उनका पूरा नाम Robert John Christo था. सन 1943 में वो अपने पिता के साथ जर्मनी शिफ़्ट हो गये. जर्मनी में ही बॉब ने पढ़ाई के साथ थिएटर भी शुरू कर दिया था. थिएटर के दौरान उनकी मुलाक़ात हेल्गा नाम की लड़की से हुई और बाद में उन्होंने हेल्गा से शादी कर ली. हेल्गा और बॉब के 3 बच्चे हुए 1 लड़का डॉरियस और 2 लड़कियां मॉनिक और निकोल. लेकिन एक कार एक्सीडेंट में हेल्गा की मौत हो गई. इसके बाद वो अपने बच्चों को एक अमेरिकन कपल को सौंप एक आर्मी असाइनमेंट पर विएतनाम चले गए.
परवीन बॉबी के प्यार में चले आये भारत
सन 1970 के दशक की बात है. बॉब क्रिस्टो (Bob Christo) ने एक दिन किसी मैगज़ीन के कवर पेज पर बॉलीवुड एक्ट्रेस परवीन बॉबी (Parveen Babi) की तस्वीर देखी. वो परवीन बॉबी पर इस कदर फिदा हुये कि उनसे मिलने की ख़्वाहिश में इंडिया चले आए. बॉब जब मुंबई पहुंचे तो यहां उनकी मुलाक़ात चर्चगेट के पास एक फ़िल्म की यूनिट से हुई. बातों-बातों में पता चला कि इस यूनिट का कैमरामैन अगले ही दिन फ़िल्म ‘द बर्निंग ट्रेन’ के सेट पर परवीन बाबी से मिलने वाला है. अगले दिन कैमरामैन की मदद से बॉब क्रिस्टो ने परवीन बॉबी से मुलाक़ात की.
बॉब क्रिस्टो (Bob Christo)
बॉब क्रिस्टो और परवीन बॉबी की ये मुलाक़ात दोस्ती में बदल गई. दोस्ती की ख़ातिर परवीन ने बॉब से उन्हें हिंदी फ़िल्मों में काम दिलाने का वादा भी किया. इसके बाद बॉब क्रिस्टो ने साल 1978 में हिंदी फ़िल्म अरविंद देसाई की अजीब दास्तान से बॉलीवुड में डेब्यू किया. इस फ़िल्म में उन्होंने Roberts की भूमिका निभाई थी. इस दौरान बॉब को ‘पहरेदार’, ‘क़ुर्बानी’ और ‘कोबरा’ फ़िल्मों में भी काम करने का मौका मिला. इसके बाद उन्हें धीरे-धीरे बॉलीवुड में पहचान मिलने लगी.
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सन 1980 में परवीन बॉबी ने बॉब की मुलाक़ात अपने दोस्त और बॉलीवुड निर्देशक संजय ख़ान से करवाई. संजय तब अपनी आगामी फ़िल्म ‘अब्दुल्ला’ की तैयारी में जुटे हुये थे. ख़ुशकिस्मती से बॉब को इस फ़िल्म में जादूगर की भूमिका के लिए चुन लिया गया. संजय ख़ान द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में राज कपूर, संजय ख़ान और ज़ीनत अमान मुख्य भूमिकाओं में नज़र आये थे. इसके अलावा डैनी डेंज़ोंग्पा ने विलेन ‘ख़लील’ की भूमिका निभाई थी.
इन सुपरहिट फ़िल्मों में किया काम
बॉब क्रिस्टो (Bob Christo) अब बॉलीवुड में काफ़ी मशहूर हो चुके थे. इसके बाद उन्होंने ‘कालिया’, ‘नमक हलाल’, ‘डिस्को डांसर’, ‘नास्तिक’, ‘नौकर बीवी का’, मैं इंतेक़ाम लूंगा’, ‘हम से है ज़माना’, शराबी, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘राज तिलक’, ‘मर्द’, ‘इंसाफ़ मैं करूंगा’, ‘हुकूमत’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘वर्दी’, ‘तूफ़ान’, ‘अग्निपथ’, ‘तिरंगा’, ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ और ‘गुमराह’ जैसी क़रीब 200 से अधिक फ़िल्मों में गैंगस्टर, जालिम अंग्रेज़ अफ़सर, गैंगस्टर, स्मगलर, भ्रष्ट पुलिस ऑफ़िसर और सुपारी किलर जैसे कई किरदार निभाए.
बॉब क्रिस्टो (Bob Christo) की संजय खान से काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गई थी. साल 1994 में संजय ख़ान ने बॉब को अपने पहले टेलीविजन धारावाहिक ‘द ग्रेट मराठा’ में भी ब्रेक दिया. इस धारावाहिक में बॉब ने अहमद शाह अब्दाली का प्रतिष्ठित चरित्र निभाया था. इस किरदार की वजह से बॉब क्रिस्टो बॉलीवुड में काफ़ी मशहूर हो गये थे.
‘वीर सावरकर’ थी आख़िरी बॉलीवुड फ़िल्म
बॉब क्रिस्टो (Bob Christo) ने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए भारत में ही रहने का फ़ैसला किया था. इसके बाद उन्होंने भारतीय महिला नरगिस से दूसरी शादी कर ली. नरगिस से शादी के बाद बॉब क्रिस्टो हमेशा के लिए भारतीय नागरिक बन गये. नरगिस से उन्हें एक बेटा सुनील क्रिस्टो है. बॉब क्रिस्टो की आख़िरी बॉलीवुड फ़िल्म साल 2001 में आई ‘वीर सावरकर’ थी. इस फिल्म में उन्होंने William Hutt Curzon Wyllie की भूमिका निभाई थी.
20 मार्च, 2011 को 72 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से बेंगलुरू में बॉब क्रिस्टो का निधन हो गया. बॉब ने हिंदी समेत तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और अंग्रेज़ी भाषा की 200 से अधिक फ़िल्मों में काम किया था.
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