आपको किस तरह की फ़िल्में अच्छी लगती हैं? इस सवाल का जवाब सबके लिए अलग-अलग होगा. किसी को एक्शन फ़िल्में पसंद आती हैं तो कोई रोमांटिक, कॉमेडी फ़िल्मों का दीवाना होता है. कोई किसी खास हीरो के लिए कोई फ़िल्म देखने जाता है, तो कोई किसी खास हीरोईन के लिए. इन हीरो-हीरोईन के अलावा बॉलीवुड के चाइल्ड एक्टर्स भी किसी से कम नहीं हैं. तभी तो कई फ़िल्मों में बच्चों ने अपनी एक्टिंग का ऐसा जादू चलाया कि उनके सामने बड़े-बड़े एक्टर्स भी कम नज़र आए.
खास बात ये है कि ज़रूरी नहीं कि ये सभी फ़िल्में केवल बच्चों के मनोरंजन के लिए ही बनीं हों. निर्माता-निर्देशकों ने कई गंभीर मुद्दों को बच्चों की कहानी के इर्द-गिर्द पिरो कर उठाया है. हमारे नन्हे एक्टर्स ने भी इन किरदारों को बखूबी निभाया और अपनी फ़िल्म की USP बन गए.
1. बजरंगी भाईजान
मुन्नी
वैसे तो 2015 में आई इस फ़िल्म के हीरो सलमान खान थे, लेकिन दर्शकों का तो दिल मासूम मुन्नी ने ही जीता था. 9 साल की हर्षाली मल्होत्रा ने एक मूक बच्ची के किरदार से लोगों के दिलों में जगह बनाई थी. बिना किसी डायलॉग के ही हर्षाली दर्शकों को रुलाने और हंसाने में कामयाब रही थी.
2. भूतनाथ
बंकू
2008 की ये फ़िल्म एक हॉरर-कॉमेडी है. इसमें अमिताभ बच्चन ने एक भूत का किरदार निभाया है, जो बंकू को डराने की कोशिश करता है. लेकिन बंकू भूत से डरने के बजाय उल्टा उससे दोस्ती कर लेता है और उसके साथ मिलकर खूब शरारत करता है. बंकू के किरदार में अमन सिद्दिकी ने लाजवाब एक्टिंग की है. अपनी एक्टिंग से ही अमन, बंकू के साथ-साथ दर्शकों की भी भूत से दोस्ती करा देता है.
3. भूतनाथ रिटर्न्स
अखरोट
2014 में भूतनाथ की सीक्वल भूतनाथ रिटर्न्स आई थी. इसमें भी भूत के किरदार में अमिताभ बच्चन थे. लेकिन इस बार उनसे दोस्ती करने वाले बच्चे का नाम अखरोट था. अखरोट का किरदार पार्थ भलेराव ने निभाया था. कॉमेडी और भूत की आड़ में फ़िल्म में भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दे को उठाया गया था.
4. तारे ज़मीन पर
ईशान
2007 में इस फ़िल्म के आने के बाद दर्शील सफ़ारी रातों-रात चर्चा में आ गए थे. दर्शील ने फ़िल्म में 8 साल के ईशान अवस्थी का किरदार निभाया था. ईशान को पढ़ना-लिखना या स्कूल जाना बिल्कुल पसंद नहीं था. इससे तंग आकर उसके मां-बाप ने उसे एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया. इस नए स्कूल में उसकी दोस्ती एक नए टीचर ‘निकुंब सर’ (आमिर खान) से होती है, जो ये समझ पाते हैं कि वो डिसलेक्सिया नाम की बीमारी का शिकार है. इसके बाद से ईशान के हालात सुधरने लगते हैं.
फ़िल्म में आमिर और दर्शील की जोड़ी कमाल की है. ये दर्शील की एक्टिंग ही थी कि फ़िल्म का एक गाना ‘मां’ सबको रुला देता है.
5. धनक
परी
धनक दो नन्हें भाई-बहन, छोटू और परी की कहानी है. छोटू एक दृष्टिहीन बच्चा है जिससे उसकी बहन ने उसके नौंवे जन्मदिन के पहले उसकी आंखों की रोशनी लौटाने का वादा किया था. एक दिन वो अपने फ़ेवरेट हीरो शाहरुख़ खान का Eye Donation वाला पोस्टर देखती है, तो उसे कुछ उम्मीद जगती है. इसके बाद वो अकेले ही शाहरुख़ से मिलने के लिए निकल पड़ती है.
इस फ़िल्म में छोटू का किरदार कृष छाबरा ने और परी का किरदार हेतल गड्डा ने निभाया है.
6. द ब्लू अम्ब्रेला
बिनिया
जितनी मासूम इस फ़िल्म की एक्टर है. उतनी ही मासूम सी इसकी कहानी है. ये कहानी है हिमाचल प्रदेश के एक गांव बानीखेत में रहने वाली बिनिया की. बिनिया को एक दिन एक जापानी टूरिस्ट्स के ग्रुप में एक नीली छतरी दिखती है. बिनिया उसके लिए ललचा जाती है और अपने गले का नेकलेस बेचकर छतरी खरीद लेती है. गांव में सबको वो छतरी अच्छी लगती है और बिनिया गांव की सेलिब्रिटी बन जाती है. लेकिन, एक दिन ये छतरी चोरी हो जाती है और बिनिया का दिल टूट जाता है. इसके बाद शुरू होती है बिनिया की अपनी छतरी की तलाश. बिनिया का किरदार श्रिया शर्मा ने निभाया है, जो बिनिया की मासूमियत को निभाने में पूरी तरह कामयाब रही हैं.
7. लक्ष्मी
लक्ष्मी
लक्ष्मी 14 साल की एक लड़की की कहानी है जिसे किडनैप करके रेड लाइट एरिया में बेच दिया जाता है. ये फ़िल्म एक सच्ची घटना से प्रेरित है और लक्ष्मी की तकलीफ़,साहस और न्यायिक लड़ाई को दिखाती है. लक्ष्मी के किरदार में मोनाली ठाकुर दर्शकों की धड़कने थाम लेती हैं.
8. आई एम कलाम
फ़िल्म का लीड कैरेक्टर यानि छोटू एक ढाबे में काम करता है. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के संघर्षों के बारे में जानकर वो उनसे प्रेरित होता है और लोगों को अपना नाम कलाम बताने लगता है. गांव में ही उसकी दोस्ती अपने ही उम्र के कुंवर रणविजय सिंह से होती है. रणविजय चुपके से कलाम को अपने महल में घुसाकर उसके साथ खेलता है और उसे पढ़ने के लिए अपनी किताबें भी दे देता है. छोटू के किरदार में हर्ष मायर ने अपनी काबिलियत को साबित किया है.
9. बम बम बोले
बम बम बोले भी दो भाई-बहन पीनू और रिमझिम की कहानी है. दोनों बच्चे एक गरीब परिवार से हैं. उनके पास स्कूल की यूनिफ़ॉर्म के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं. दोनों भाई-बहन पर तब आफ़त आ जाती है जब एक दिन पीनू रिमझिम का जूता कहीं खो देता है. रिमझिम के पास एक ही जोड़ा जूता था. इसके बाद पीनू किसी तरह रिमझिम को ये बात मां को न बताने के लिए मनाता है और दोनों बच्चे स्कूल में आधे-आधे दिन के लिए पीनू के जूते शेयर करते हैं.
फ़िल्म में पीनू का किरदार तारे ज़मीन पर के स्टार दर्शील सफ़ारी ने निभाया है. ये फ़िल्म ईरानी फ़िल्म ‘चिल्ड्रेन ऑफ़ हैवेन’ से प्रेरित है.
10. मदारी
ये फ़िल्म, देश के सिस्टम में फैले करप्शन की कहानी कहती है. फ़िल्म में कुमार नाम का एक शख़्स (इरफ़ान ख़ान) गृह मंत्री के दस साल के बेटे रोहन को किडनैप कर लेता है. उधर पूरा का पूरा प्रशासन रोहन को खोजने में जुट जाता है, इधर दर्शकों के सामने इस किडनैपिंग की वजह धीरे-धीरे सामने आती है. इस दौरान रोहन की किडनैपर से दोस्ती हो जाती है. इरफ़ान खान ने तो हमेशा की तरह दमदार एक्टिंग की ही है, रोहन के रूप में विशेष बंसल ने भी उनका बेहतरीन साथ दिया है.