इन दिनों फ़्रांस में 75वां कांस फ़िल्म फ़ेस्टिवल (Cannes Film Festival 2022) चल रहा है. दुनिया के सबसे मशहूर फ़िल्म फ़ेस्टिवल में से एक ‘कांस फ़िल्म फ़ेस्टिवल’ इस बार इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि इस साल पहली बार भारत को ‘Country of Honor’ का दर्ज़ा मिला है. इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में हर साल कई देशों की अलग-अलग फ़िल्मों को दिखाया जाता है. इसमें भारत की फ़िल्में भी शामिल होती हैं. Cannes 2022 में भारतीय सिनेमा की कई फ़िल्मों की स्क्रीनिंग भी की जाएगी.

आइए आपको बता देते हैं कि वो कौन-कौन सी भारतीय फ़िल्में हैं, जो कांस फ़िल्म फ़ेस्टिवल (Cannes Film Festival 2022) में दिखाई जाएंगी.

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1. रॉकेट्री: द नंबी इफ़ेक्ट

इस फ़िल्म के ज़रिए आर. माधवन ने बतौर डायरेक्टर अपना डेब्यू किया है. ये फ़िल्म ISRO के एक पूर्व वैज्ञानिक और एरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायण की ज़िंदगी पर आधारित है. साल 1994 में नारायण पर महवपूर्ण देश की रक्षा संबंधित रहस्य लीक करने का आरोप लगा था. इसके बाद उन्होंने अपना केस लड़ा और 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फ़ैसला सुनाया. इस फ़िल्म में आर माधवन लीड रोल में हैं, जबकि शाहरुख़ ख़ान की इसमें गेस्ट अपीयरेंस है. ये फ़िल्म हिंदी, अंग्रेज़ी और तमिल भाषा में 1 जुलाई को रिलीज़ होगी.

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2. अल्फ़ा बीटा गामा

ये हिंदी रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म डायरेक्टर शंकर श्रीकुमार ने बनाई थी. ये फ़िल्म आज की दुनिया को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिसमें कोरोना वायरस का कहर बढ़ रहा है. इसमें एक ‘मिताली‘ नाम की महिला की कहानी दिखाई गई है, जो होने वाले एक्स हसबैंड ‘जय’ और बॉयफ्रेंड ‘रवि’ के साथ 14 दिनों के लॉकडाउन के चलते एक घर में फंस जाती है. ये फ़िल्म उन भावनाओं को दर्शाती है, जिनसे हम सभी गुज़रते हैं, कैसे प्यार लोगों में सबसे अच्छे और बुरे को सामने लाता है. (Cannes Film Festival 2022)

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3. गोदावरी

निखिल महाजन की मराठी फ़िल्म ‘गोदावरी‘ भी इस फ़ेस्टिवल में दिखाई जाएगी. इस मूवी में एक आदमी की कहानी दिखाई गई है, जिसका नाम निशिकांत देशमुख़ है. वो और उसकी फ़ैमिली अपने दो क़रीबी रिश्तेदारों की हुई मौत के सदमे से उबर रहे हैं. एक मौत जिसकी होने की आशंका थी, लेकिन दूसरी मौत से वो बेख़बर थे. इसका वर्ल्ड प्रीमियर ‘Vancouver International Film Festival 2021′ में हुआ था.

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4. Dhuin

50 मिनट की ये फ़िल्म एक महत्वाकांक्षी एक्टर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी रोज़ी-रोटी स्ट्रीट प्ले करके चला रहा है. वो मुंबई जाकर फ़िल्म इंडस्ट्री में ख़ुद का नाम कमाना चाहता है. लेकिन वो और उसकी फ़ैमिली लॉकडाउन के दौरान वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. इस फ़िल्म को अचल मिश्रा ने डायरेक्ट किया था और इसकी 22वें मुंबई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में स्क्रीनिंग की जा चुकी है.

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5. बुम्बा राइड

बिस्वजीत बोरा की फ़िल्म ‘बुम्बा राइड‘ को भारत की ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में होने वाले भ्रष्टाचार पर एक व्यंग्य कहा जा रहा है. इसकी कहानी एक ख़स्ताहाल स्कूल के बारे में है, जहां पर सिर्फ़ ‘बुम्बा‘ नाम का एक ही छात्र पढ़ता है. इस फ़िल्म को असम की ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे शूट किया गया है.

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6. ट्री फ़ुल ऑफ़ पैरेट्स

इस फ़िल्म को डायरेक्टर जयराज ने बनाया है. इसकी कहानी एक 8 साल के बच्चे ‘पुंजन’ पर आधारित है, जो आम बच्चा नहीं है. वो अपनी रोज़ी-रोटी छोटी-मोटी जॉब्स करके चलाता है और अपनी फ़ैमिली जिसमें उसके नशेड़ी पिता, दादा और परदादा हैं, उन सबकी देखभाल करता है. उसकी मां कई सालों पहले किसी व्यक्ति के साथ भाग चुकी हैं. इस मलयालम फ़िल्म को नवनीत फ़िल्म्स ने प्रोड्यूस किया था. 

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