बॉलीवुड (Bollywood) हो या फिर हॉलीवुड (Hollywood) हर कलाकार के लिए कॉमेडी करना सबसे मश्किल काम होता है. बड़े परदे पर रोमांस, एक्शन और रोना-धोना तो हर कलाकार कर लेता है, लेकिन अपनी सटीक कॉमेडी टाइमिंग से दर्शकों को हंसाना हर किसी के बस की बात नहीं है. इसलिए हर कलाकार को कॉमेडी करना सबसे मुश्किल काम लगता है. बॉलीवुड में महमूद, जगदीप, असरानी, जॉनी लीवर और राजपाल यादव समेत कई कलाकार इसके सटीक उदहारण हैं.

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हॉलीवुड (Hollywood) की बात करें तो हर किसी के दिमाग़ में पहला नाम चार्ली चैप्लिन (Charlie Chaplin) का ही आएगा. चार्ली चैप्लिन सिर्फ़ हॉलीवुड के ही नहीं, दुनिया के सबसे बड़े हास्य कलाकार माने जाते हैं. चार्ली चैप्लिन इसलिए भी ख़ास थे क्योंकि वो बिना कुछ कहे लोगों को हंसाने का काम करते थे. शब्दों के दम पर दर्शकों को हंसाना फिर भी आसान होता है, लेकिन बिना एक शब्द कहे अपने एक्सप्रेशंस से लोगों को हंसाना सबसे मश्किल काम होता है. चार्ली चैप्लिन इसी काम के बेताज बादशाह थे.  

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कौन थे चार्ली चैप्लिन? 

चार्ली चैप्लिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 इंग्लैंड के लंदन शहर में हुआ था. सर चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन (Charlie Chaplin) ब्रिटिश हास्य अभिनेता, फ़िल्म निर्माता और संगीतकार थे, जो मूक फ़िल्म (Silent Film) युग के प्रसिद्धि एक्टर थे. चार्ली चैप्लिन को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. 14 साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज शो करने शुरू कर दिए थे. 19 साल की उम्र में उन्होंने हॉलीवुड फ़िल्मों में काम करना शुरू कर दिया था. इस दौरान चार्ली चैप्लिन ने सैकड़ों फ़िल्मों में काम किया और वो दुनिया के सबसे लोकप्रिय कलाकार बन गए. उनका फ़िल्मी करियर 75 सालों तक चला.  

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चार्ली चैप्लिन पर लगा प्रतिबंध

सन 1950 के दशक में चार्ली चैप्लिन भी उन लोगों में से थे जिन्हें संदिग्ध रूप से कम्युनिस्ट मानकर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस दौरान उनकी फ़िल्म ‘लाइमलाइट’ बन कर तैयार थी, लेकिन इस विवाद के चलते रिलीज़ नहीं हो पाई. इससे आहत चार्ली चैप्लिन हमेशा के लिए हॉलीवुड छोड़ कर स्विट्ज़रलैंड के Lausanne में जा बसे.

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चार्ली चैप्लिन का ताबूत ग़ायब

25 दिसंबर 1977 को चार्ली चैप्लिन का स्विट्ज़रलैंड में ही निधन हो गया था. 27 दिसंबर 1977 को चार्ली चैप्लिन को Corsier-Sur-Vevey नामक गांव की एंग्लिकन सेमेटरी में दफ़ना दिया गया. दो महीने बीतते के बाद गांव वालों ने देखा कि चार्ली चैप्लिन की कब्र ख़ुदी हुई है और उनका ताबूत ग़ायब है. इस दौरान उनके ताबूत को ढूंढने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन सफ़लता हाथ नहीं लगी.

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2 मार्च 1978 से 16 मई 1978 के बीच चार्ली चैप्लिन की पत्नी ऊना चैप्लिन और उनके वकील को 27 टेलीफ़ोन कॉल मिले. इस दौरान चार्ली चैप्लिन के पार्थिव शरीर को लौटाने के एवज में उनसे 6 लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की गई, लेकिन चार्ली चैप्लिन की पत्नी ने ये कहते मना कर दिया कि अगर चार्ली ज़िंदा होते तो वो इसे हास्यास्पद समझते. 

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इस दौरान स्विट्ज़रलैंड पुलिस ने क़रीब 200 टेलिफ़ोन बूथ पर निगरानी रखनी शुरू कर दी. 16 मई 1978 को पुलिस ने एक टेलिफ़ोन बूथ से फ़िरौती की कॉल करते 25 वर्षीय पोलिश शरणार्थी रोमन वार्डेस (Roman Wardas) को गिरफ़्तार कर लिया. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने शीघ्र ही उसके बुल्गारियाई सहयोगी गांतेस्चो गनेव (Gantscho Ganev) भी पकड़ा लिया.  

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इसके बाद चार्ली चैप्लिन के परिवार ने पुनः उनके पार्थिव शरीर को एक सुरक्षित वॉल्ट में कंक्रीट की कब्र में दफ़ना दिया.