कुछ गाने टाइम मशीन की तरह होते हैं, जो कभी हमें अतीत की गलियों में ले जाते हैं, तो कभी आने वाले वक़्त की हसीन कल्पनाओं में डुबो देते हैं. ख़ासतौर से वो गाने, जिन्हें हमने बचपन में सुना था. वो भुलाए नहीं भूलते और अकसर बेख़्याली में हम कब उन्हें गुनगुनाने लगते हैं, पता ही नहीं चलता. आज हम आपके लिए कुछ ऐसे ही सदाबहार 23 गाने ले कर आये हैं, जिन्हें बच्चे तो पसन्द करते ही हैं और बड़े इन गानों को सुन कर भी बच्चे बन जाते हैं.
1. लकड़ी की काठी, ‘मासूम’ 1983
ये गाना सुनने पर बिना झूमे शायद ही कोई रह पाता हो. ये गाना बचपन में भाई-बहन के साथ बिताए प्यारे पलों की याद दिलाता है.
2. नन्हा-मुन्ना राही हूं, ‘सन ऑफ़ इण्डिया’ 1962
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर होने वाले Competitions में इस गाने पर Performance देखने को मिल ही जाती थी.
3. हम भी अगर बच्चे होते, ‘दूर की आवाज़’ 1964
बच्चे होने के क्या-क्या फ़ायदे हैं, इस गाने को सुन कर पता चला.
4. लल्ला-लल्ला लोरी, दूध की कटोरी, ‘मुक्ति’ 1977
ये है न हम सबकी फ़ेवरेट लोरी?
5. चन्दा मामा दूर के, ‘वचन’ 1950
जब बचपन हम में खाने के लिए नखरे करते थे, तो मां अकसर ये गाना गाती थी. हम गाने में खो जाते थे और मां बहाने से एक-एक कौर हमारे मुंह में डालती जाती थी.
6. रोना कभी नहीं रोना, ‘अपना देश’ 1972
बचपन में खिलौना टूट जाए, तो पापा ये गाना गा कर चुप करा देते थे.
7. चक्के पे चक्का, चक्के पे गाड़ी, ‘ब्रह्मचारी’ 1968
परिवार के साथ पिकनिक पर जाते हुए आपने भी ये गाना ज़रूर गाया होगा!
8. आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की, ‘जागृति’ 1954
इस गाने को सुन कर रोम-रोम से देशभक्ति फूटने लगती थी. आज भी ऐसा ही होता है.
9. इचक दाना, बिचक दाना, ‘श्री 420’ 1955
इस गाने ने मस्ती-मस्ती में पढ़ाई करना सीखा दिया था.
10. चुन-चुन करती आई चिड़िया, ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ 1957
बचपन में इस गाने को सुनने में न सिर्फ़ बहुत मज़ा आता था, बल्कि सारी चिड़ियों और जानवरों के नाम याद करने में भी मदद करता था ये गाना.
11. काबुलीवाला-काबुलीवाला, ‘काबुलीवाला’ 1961
रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा ये गाना आज भी हमें सपनों की दुनिया में ले जाता है.
12. फूलों का तारों का सबका कहना है, ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ 1971
अपनी बहन के लिए किस-किस ने गाया है ये गाना?
13. चन्दा है तू, मेरा सूरज है तू, ‘आराधना’ 1962
ये गाना तो मम्मी का फ़ेवरेट है., जब भी हम पर ज़्यादा प्यार आता है, तो इसे गुनगुनाने लगती हैं.
14. बच्चे मन के सच्चे, ‘दो कलियां’ 1968
बच्चों की मासूमियत देख कर यही गाना याद आता है.
15. सा रे के सा रे, गा मा को ले कर गाते चले, ‘परिचय’ 1972
जब मम्मी-पापा के घर पर न होने पर अपने भाई-बहनों के साथ मस्ती करते थे, तब गाते थे ये गाना.
16. है न बोलो-बोलो, ‘अंदाज़’ 1971
मम्मी-पापा का प्यार देख कर ये गाना गाने का मन करता है न?
17. नन्हे-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है, ‘बूट पॉलिश’ 1954
मुट्ठी में है तक़दीर हमारी…
18. पापा जल्दी आ जाना, ‘तक़दीर’ 1943
पापा के ऑफ़िस से लौटने का इंतज़ार होता था इस गाने के साथ.
19. रे मामा रे मामा रे, ‘अंदाज़’ 1971
पापा-बेटी के बीच की मस्ती को दिखाता ये गाना बचपन की यादें ताज़ा कर देता है.
20. अटकन बटकन दही चटोकन, ‘बारूद’ 1960
लता मंगेशकर का गाया ये गाना आज भी ज़ुबान से नहीं उतरा.
21. नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए, ‘मासूम’ 1960
इस गाने को गा कर नानी को छेड़ने का भी अपना ही मज़ा था.
22. दादी अम्मा, ‘घराना’ 1961
जब दादी हमारी शैतानियों से गुस्सा हो जाती थी, तब इस गाने को गा कर उन्हें मनाने में बड़ा मज़ा आता था.
23. हमको मन की शक्ति देना, ‘गुड्डी’ 1971
स्कूल के प्रार्थना वाले मैदान में रोज़ ही तो गाते थे ये गाना.
बचपन की मीठी-मीठी यादें ताज़ा हो गईं न? गानों के साथ दिए You Tube के Links पर क्लिक करके फिर से खो जाइए अपने बचपन की सुनहरी यादों में!