Danny Denzongpa Roles: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) पिछले 52 सालों से अपनी दमदार एक्टिंग से इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं. डैनी 80 और 90 के दशक की बॉलीवुड फ़िल्मों में अपनी ख़ूंख़ार एक्टिंग से फ़िल्म के हीरो को भी दहशत में डाल देते थे. डैनी ने बॉलीवुड फ़िल्मों में हीरो से लेकर विलेन हर तरह के किरदार निभाए हैं. लेकिन 80 और 90 का दशक उनकी नकरात्मक भूमिकाओं के लिए याद किया जाता है. फ़िल्मों में ख़ूंख़ार नज़र आने वाले डैनी असल ज़िंदगी में बेहद सरल स्वभाव के इंसान हैं.
असल ज़िंदगी में कौन हैं डैनी डेंज़ोंग्पा?
डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) का जन्म 25 फ़रवरी, 1948 को सिक्किम के युकसोम में हुआ था. उनका पूरा नाम ‘शेरिंग फ़िनसो डेंज़ोंग्पा’ हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई नैनीताल के Birla Vidya Mandir से स्कूलिंग की है, जबकि दार्जीलिंग के St Joseph’s College से ग्रेजुएशन किया है. सन 1964 में कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म करने उनका सिलेक्शन ‘इंडियन आर्मी’ में हो गया था, लेकिन मां के मना करने पर उन्होंने इंडियन आर्मी जॉइन नहीं की.
जाया बच्चन ने दिया डैनी नाम
बचपन से ही एक्टिंग और सिंगिंग के शौक़ीन डैनी डेंज़ोंग्पा ने इसके बाद पुणे के फ़िल्म और टेलीविज़न इंस्टीट्यूट (FTII) में एडमिशन ले लिया. पढ़ाई के दौरान दोस्त अक्सर उनके लुक्स और नाम को लेकर मज़ाक उड़ाते थे, जिससे वो काफ़ी परेशान रहते थे. इसी दौरान FTII में उनकी मुलाक़ात जया भादुरी (जया बच्चन) से हुई और दोनों अच्छे दोस्त बन गये. जया के कहने पर ही उन्होंने अपना नाम ‘डैनी डेंज़ोंग्पा’ रखा था.
FTII से सीखे एक्टिंग के गुर
पुणे के फ़िल्म और टेलीविज़न इंस्टीट्यूट (FTII) से पास आउट होने के बाद डैनी बॉलीवुड में स्ट्रगल करने लगे. सन 1970 की बात रही होगी. तब उस दौर के बेहतरीन फ़िल्म निर्देशक मोहन कुमार अपनी फ़िल्म Aap Aye Bahaar Ayee की कास्टिंग के लिए कलाकार ढूंढ रहे थे. एक रोज किसी के कहने पर डैनी काम मांगने मोहन कुमार के बंगले पर जा पहुंचे. जब मोहन कुमार के सामने उन्होंने एक्टर बनने की इच्छा रखी तो मोहन उन पर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे और बोले ‘एक्टिंग तो नहीं तुम मेरे बंगले में गार्ड की नौकरी कर सकते हो’.
डायरेक्टर को सिखाने चाहते थे सबक
निर्देशक मोहन कुमार की ये बात डैनी बेहद बुरी लगी. ये वो दिन था जब डैनी ने खुद से संकल्प किया था कि वो एक दिन मोहन कुमार के बंगले के बगल में अपना बंगला बनाएंगे. इसके बाद डैनी वहां से निराश होकर लौट आए. लेकिन डैनी डेंज़ोंग्पा की क़िस्मत अच्छी थी और 1 साल बाद ही सन 1971 में उन्हें बी. आर. इशरा की फ़िल्म ‘ज़रूरत’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने का मौका मिल गया. इस फ़िल्म में उन्होंने हीरो-हीरोइन के दोस्त ‘डैनी’ का किरदार निभाया था.
डैनी डेंज़ोंग्पा ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1971 में गुलज़ार की फ़िल्म ‘मेरे अपने’ में उन्हें बड़ा ब्रेक मिला. लेकिन 1973 में बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म ‘धुन’ में अहम भूमिका निभाकर डैनी मशहूर हो गए. 70 के दशक में डैनी कई फ़िल्मों में बतौर सेकेंड लीड पॉज़िटिव रोल में दिखाई दिए. इस दौरान ‘फ़कीरा’, ‘चोर मचाए शोर’, ‘देवता’, ‘कालीचरण’, ‘बुलंदी और ‘अधिकार’ जैसी फ़िल्मों में उन्होंने सकारात्मक किरदार भी निभाये हैं. साल 1975 में रमेश सिप्पी ने डैनी को ‘गब्बर सिंह’ का रोल ऑफ़र किया, लेकिन डेट्स नहीं होने की वजह वो ये रोल नहीं कर सके.
डैनी डेंज़ोंग्पा ने इस दौरान ‘आशिक़ हूं बहारों का’, ‘पापी’, ‘बंदिश’, ‘द बर्निंग ट्रेन’ और ‘चुनौती’ जैसी कई फ़िल्मों में दमदार नेगेटिव रोल्स निभाए. नेगेटिव रोल्स के मामले में 80 और 90 का दशक डैनी के नाम रहा. डैनी आज भी ‘कात्या’, ‘बख़्तावर’, ‘कांचा चीना’, ‘शेर ख़ान’, ‘पाशा’, ‘ख़ुदा बक्श’, ‘जब्बार’ समेत कई अन्य किरदारों के लिए जाने जाते हैं.
डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) जब 80 के दशक में मशहूर हो गये तो उन्होंने निर्देशक मोहन कुमार के बंगले के बगल में ख़ुद का बंगला बनाया. कहा जाता है कि मोहन कुमार ने कई बार डैनी के साथ काम करने की इच्छा जताई, लेकिन डैनी ने काम करने से साफ़ इंकार कर दिया था.
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