मैं: और क्या चल रहा है…

दोस्त : पहले फ़ॉग चलता था, आजकल ‘पद्मावत’ पर विवाद चल रहा है.

जोक गंदा था, लेकिन सच्चाई 100 फ़ीसदी थी. इंडियन सिनेमा के इतिहास में कुछ ही फ़िल्में हैं, जिन्हें इस लेवल पर प्रोटेस्ट झेलना पड़ा. फ़िल्म के नाम से एक लेटर हटाना, इसमें कट लगाना, करणी सेना का फ़िल्म से जुड़े लोगों को धमकाना, राजपूतों का विरोध करना… जितनी अटेंशन ‘पद्मावत’ को मिली है, उतनी तो शादी के फ़ौरन बाद घर के दामाद को नहीं मिलती!

और मिले भी क्यों न? पिछले एक साल में देश में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जो ‘पद्मावत’ के विवाद से ज़्यादा बड़ा था.

2018 की शुरुआत में बस 5-6 ही गैंगरेप हुए

2018 की शुरुआत में ही छोटी बच्चियों, लड़कियों के साथ गैंगरेप ही तो हुए… इसमें कौन सी बड़ी बात है! रानी पद्मिनी Priority है, बलात्कार में तार-तार हुई औरत की इज़्ज़त तो देश के बाकी लोग देख लेंगे.

पिछले 6 महीने से लोगों का सरकारी नौकरी का कॉल लेटर नहीं आया है… तो क्या

यार चीज़ें लेट हो जाती हैं लेकिन पद्मावत के विरोध के चक्कर में किसी को डराने-धमकाने में लेट हुए तो मामला हाथ से निकला सकता है. वैसे भी सरकारी नौकरी में कोई ख़ास Development नहीं होता. आप धार्मिक भावना का कार्ड खेलो, हम आपके साथ है.

गोरखपुर के हॉस्पिटल में कुछ ही तो बच्चे मरे हैं

भंसाली ने जिस तरह राजपूतों की वीरता को मारा है, उसके आगे इन बच्चों की मौत क्या है? रानी पद्मिनी को ग़लत दिखा कर, जो आपको दुःख पहुंचाया है, उसके आगे इन बच्चों के मां-बाप का दुःख बहुत छोटा है. कंट्रोवर्सी से जुड़ा दुःख ज़्यादा मार्केट वैल्यू वाला होता है, इसलिए आप पोलिटिकल कार्ड खेलो, हम आपके साथ हैं.

पत्रकारों को सरे-आम मारा जा रहा है. उसमें क्या नई बात है?

पत्रकारों को तो अंग्रेज़ों के टाइम से मारा जा रहा है, लेकिन पहली बार इतनी महिलाएं एक फ़िल्म के लिए जौहर करने को तैयार बैठी हैं. ये सदी की सबसे बड़ी बात है. आप अपने लक्ष्य से बिलकुल मत भटको, पूरे राजपूत आपके साथ हैं.

देश का किसान भूखा मर रहा है… ख़ैर छोड़िये, इसको तो मीडिया भी तूल नहीं देती.

पदक लाने वाला खिलाड़ी सब्ज़ी बेच रहा है

स्पोर्ट्स की तरफ़ आप बिलकुल भी न देखना, हम क्रिकेट से काम चला लेंगे. लेकिन अगर दीपिका की नाक, भंसाली का सिर और बहुत कुछ काटने-पीटने के बयानों में कमी आयी, तो अपना पलड़ा हल्का हो जाएगा. इसलिए आप पब्लिक प्रॉपर्टी जलाओ, स्कूलों में तोड़-फोड़ कर अपना शक्ति प्रदर्शन करो. सरकार की चुप्पी आपके साथ है.

राजस्थान में 8 साल की बच्चियां बन रही हैं दुल्हन

अब क्या राजपूत महिलाएं और करणी सेना इन बच्चियों के लिए अपना टाइम Waste करेंगी? राजपूतों का सारा मान-सम्मान उनकी हिस्ट्री से जुड़ा है. हिस्ट्री के बारे में नहीं बोलने का. पधारो म्हारे देस सा…

पिछले साल क्या, पिछले कई सालों से इस देश में ऐसा कुछ भी ज़रूरी नहीं हो रहा है, जिसके लिए करणी सेना, राजपूत कम्युनिटी सड़क पर इस क़दर आयी हो. इसलिए तुम वोट, नोट और झूठ का खेल खेलो, अगले साल एक पार्टी की सीट तुम्हारे साथ है.